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अमरिंदर ने दिया इस्तीफ़ा, कहा, आगे की राजनीति पर समर्थकों से मिल कर फ़ैसला 

अमरिंदर ने दिया इस्तीफ़ा, कहा, आगे की राजनीति पर समर्थकों से मिल कर फ़ैसला 

क्या पंजाब में मुख्यमंत्री बदले जाएंगे? इस सवाल पर शनिवार को फ़ैसला हो जाएगा जब कांग्रेस विधायक दल की आपात बैठक होगी। 

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिल कर इस्तीफ़ा सौंप दिया है। 

अमरिंदर सिंह ने कहा,

आज सुबह ही कांग्रेस अध्यक्ष से मेरी बात हुई थी, मैंने कह दिया था कि मैं इस्तीफ़ा दे दूंगा। यह तीसरी बार है कि मुझे इस तरह अपमानित किया गया है। दो महीने में तीन बार विधायकों को बुलाया गया।


अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब

समर्थकों से करेंगे बात

लेकिन इसके बाद उन्होंने जो कुछ कहा, वह बेहद अहम है। उनसे पूछा गया कि जो कोई मुख्यमंत्री बनेगा, उसे समर्थन देंगे, उसे स्वीकार कर लेंगे? इस पर कैप्टन ने कहा,

मैं अपने लोगों से मिलूँगा, बात करूंगा, जिनके साथ 50 साल से राजनीति की है, उनकी राय लूँगा। उसके बाद ही आगे का कोई निर्णय करूँगा।


अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब

समझा जाता है कि अमरिंदर सिंह ने अपने नज़दीक के लोगों से कहा था कि उनके साथ जो व्यवहार किया गया, उससे वे काफी आहत हैं। 

 - Satya Hindi

राज्यपाल को इस्तीफ़ा सोंपते हुए अमरिंदर सिंहtwitter/raninder singh

बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा देने को कहा गया था।

'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, इससे गुस्साए अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा था कि वे पार्टी ही छोड़ देंगे। 

समझा जाता है कि सोनिया गांधी ने शनिवार सुबह पंजाब के मुख्यमंत्री को फ़ोन कर उन्हें पार्टी के विधायकों की इच्छा के बारे में बताया था, यानी, उन्हें पद से हट जाने को कहा था।

क्या कहा था कैप्टन ने?

कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि कैप्टन ने सोनिया गांधी से खुद कहा था कि वे इस्तीफ़ा दे देंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वे पार्टी ही छोड़ देंगे। 

'एनडीटीवी' के मुताबिक़, अमरिंदर सिंह ने कहा था,

मैं इस तरह का अपमान बहुत सह चुका हूं, ऐसा तीसरी बार हो रहा है। इस तरह के अपमान सहते हुए मैं कांग्रेस पार्टी में नहीं रह सकता।


अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री, पंजाब

विधायक दल की बैठक

कांग्रेस आला कमान ने पंजाब कांग्रेस विधायक दल की आपात बैठक शनिवार को बुलाई थी।

'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, दो दिन पहले कुछ विधायकों ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि राज्य में कांग्रेस सरकार इस तरह नहीं चल सकती। 

समझा जाता है कि यह चिट्ठी कड़ी थी और इसमें मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कामकाज और उनके तौर-तरीकों की तीखी आलोचना की गई थी। 

समझा जाता है कि पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में एक हैं। वे मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नज़दीकी के आदमी समझे जाते हैं। 

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

सुनील जाखड़ के अलावा पूर्व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। 

बता दें कि पंजाब कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने शुक्रवार की रात कहा था, 

एआईसीसी को चिट्ठी लिख कर बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायकों ने विधायक दल की बैठक बुलाने की माँग की है। इसे देखते हुए शनिवार की शाम पंजाब कांग्रेस विधायक दल की आपात बैठक बुलाई गई है।


हरीश रावत, महामंत्री, कांग्रेस

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों को आना अनिवार्य कर दिया गया है। यह बैठक पंजाब कांग्रेस के मुख्यालय पर बुलाई गई है। इसमें पर्यवेक्षक के तौर पर हरीश रावत और अजय माकन उपस्थित होंगे।

नवजोत सिद्धू ने शुक्रवार की रात ट्वीट किया, "एआईसीसी के निर्देश पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यालय में 18 सितंबर 2021 को शाम 5 बजे बुलाई गई है। पिछले महीने पंजाब के 4 मंत्रियों और कई विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ असंतोष के सुर ऊंचे किए थे। विधायकों ने कहा था कि उन्हें अब इस बात का भरोसा नहीं है कि अमरिंदर सिंह में अधूरे वादों को पूरा करने की क्षमता है।"

क्या कहा था रावत ने?

याद दिला दें कि पिछले हफ़्ते राज्य में पार्टी के प्रभारी हरीश रावत ने कहा था कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। रावत के बयान का यह भी मतलब था कि इतने महीनों से राज्य के सियासी क्षत्रपों के बीच चल रहे घमासान को ख़त्म करने की जो कवायद हाईकमान कर रहा है, उसका नतीजा अब तक सिफर ही रहा है। 

बीते कुछ दिनों में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ पार्टी के नेताओं ने फिर से मोर्चा खोल दिया था और इसी बीच प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयानों ने भी पार्टी को मुश्किल में डाल दिया था।इसके बाद सिद्धू का बयान आया था कि अगर उन्हें फ़ैसले लेने की छूट नहीं दी गई तो वह ईंट से ईंट बजा देंगे। 

रावत ने इसके बाद कहा था कि अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को मिलकर काम करना ही होगा और इसी में दोनों का फ़ायदा है। उन्होंने कहा था कि ऐसा न करने से सबसे ज़्यादा नुक़सान उन्हीं लोगों को होगा, जो सबसे ताक़तवर पदों पर बैठे हैं। 

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