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एक हफ्ते में खोलें शंभू बॉर्डर, लोकतंत्र में किसानों को नहीं रोका जा सकता: HC

एक हफ्ते में खोलें शंभू बॉर्डर, लोकतंत्र में किसानों को नहीं रोका जा सकता: HC

जिस शंभू बॉर्डर को सरकार ने किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए बंद कर दिया था उसको लेकर हाई कोर्ट से सरकार को झटका लगा है। जानिए, इसने क्या कहा है। 

किसानों को रोकने के लिए लंबे समय से बंद किए गए शंभू बॉर्डर को अब खोल दिया जाएगा। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर को खोलने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यह पंजाब और हरियाणा तथा दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच नागरिकों की आवाजाही के लिए जीवन रेखा है तथा इसके बंद होने से आम जनता को भारी असुविधा हो रही है।

फरवरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया था, ताकि पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने वाले प्रदर्शनकारियों को रोका जा सके। याचिका में कहा गया कि आंदोलन के कारण पांच महीने से नेशनल हाइवे 44 बंद है। याचिका में मांग की गई कि शंभू बॉर्डर को तुरंत प्रभाव से खोलने के आदेश दिए जाएँ। 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति विकास बहल की खंडपीठ ने किसानों के विरोध जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसने कहा, 'राज्य को जाग जाना चाहिए, सीमा को हमेशा के लिए बंद नहीं किया जाना चाहिए।' इसने दोनों राज्यों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि क़ानून और व्यवस्था बनी रहे तथा राजमार्ग को उसके 'मूल गौरव' पर बहाल किया जाए।

हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने तर्क दिया कि 400-450 प्रदर्शनकारी अभी भी राजमार्ग पर पंजाब की ओर बैठे हैं तथा वे अंबाला में प्रवेश कर एसपी कार्यालय का घेराव कर सकते हैं।

इस पर न्यायमूर्ति संधावालिया ने टिप्पणी की, 'वर्दीधारी लोग उनसे डर नहीं सकते। हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता। उन्हें घेराव करने दें।'

न्यायालय ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा एहतियाती उपायों के कारण राजमार्ग बंद किया गया था और तब से 5-6 महीने बीत चुके हैं।

हाईकोर्ट ने कहा, 'जो डायवर्जन किया गया है, उससे बहुत असुविधा हो रही है। वाहनों और बसों का कोई निर्बाध आवागमन नहीं है, इसलिए आम जनता को बहुत असुविधा हो रही है।' न्यायालय ने कहा कि अब प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या घटकर 400-500 रह गई है, लेकिन पहले उसने कोई आदेश पारित करने से मना किया था क्योंकि हजारों की संख्या में लोग जुटे थे। हालाँकि अब स्थिति बदल गई है। न्यायालय ने किसान यूनियन को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि वे कानून का पालन करें। 

कोर्ट ने 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण सिंह की मौत के संबंध में दायर एफएसएल रिपोर्ट पर भी विचार किया। आरोप है कि सिंह की मौत पंजाब में हरियाणा पुलिस की गोली लगने से हुई।

हालांकि, एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार सिंह की मौत शॉटगन से हुई थी। इसे देखते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की, 'शॉटगन पुलिस अधिकारियों के पास नहीं होती।'

किसान यूनियन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस बैंस को संबोधित करते हुए कोर्ट ने कहा, 'इससे पता चलता है कि गोली आपके ही एक आदमी ने मारी थी और आप लोगों ने इस पर इतना हंगामा मचाया।' हालाँकि, कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नामित किया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा बल प्रयोग और अन्य पहलुओं पर समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।

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