पुणे पोर्शे केसः आरोपी लड़के की मां ब्लैड सैंपल बदलने के आरोप में गिरफ्तार
पुणे पोर्शे केस में ताजा घटनाक्रम में, नाबालिग आरोपी की मां को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस कमिश्नर ने शनिवार को यह जानकारी दी। पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने शनिवार को कहा कि जांच के दौरान पता चला कि किशोर के खून के नमूने को उसकी मां के खून के नमूने से बदल दिया गया था।
कुछ दिन पहले, पुणे पुलिस ने एक लोकल कोर्ट को बताया था कि लक्जरी कार चलाते समय दो लोगों को कुचलने के आरोपी 17 वर्षीय लड़के के ब्लड सैंपल को एक महिला के साथ बदल दिया गया था। लेकिन वो महिला कौन थी, तब तक पुलिस कोर्ट को नहीं बता पाई थी।
पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि मां ने कथित तौर पर अपने ब्लड सैंपल को इसलिए बदल दिया ताकि वे यह साबित कर सकें कि हादसे के समय उनका बेटा नशे में नहीं था। 19 मई सुबह को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में दो आईटी इंजीनियरों अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्ठा हादसे में मौत हो गई। कथित तौर पर नशे में धुत नाबालिग द्वारा चलाई जा रही एक पोर्शे कार ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। 24 साल के दोनों युवा इंजीनियर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
आरोपी लड़के को जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) से कुछ घंटों के भीतर जमानत मिल गई गई। उसे सजा के तौर पर सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के लिए कहा गया था। इसके अलावा 15 दिनों के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने के लिए कहा गया था। इस खबर के सामने आने के बाद देश में गुस्से की लहर दौड़ गई। लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि ऐसे हादसे में अगर आरोपी रसूखदार होता है तो पूरा सिस्टम उसके साथ बचाने में जुट जाता है।
मीडिया ने जब इसके बारे में बताना शुरू किया तो पुलिस दबाव में आई। पुलिस फिर से बोर्ड के पास पहुंची। जिसने आदेश में संशोधन किया और उसे 5 जून तक निगरानी गृह में भेज दिया। इस बीच, लड़के प्रॉपर्टी डीलर पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को पुणे पुलिस ने कथित तौर पर अपहरण करने और 19 मई की दुर्घटना का दोष अपने ऊपर लेने के लिए परिवार के ड्राइवर पर दबाव डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इस तरह इस केस में पूरे परिवार की गिरफ्तारी हो चुकी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी ससून अस्पताल में लड़के की मेडिकल जांच में भी अनियमितताएं पाई गईं। महाराष्ट्र मेडिकल एजुकेशन ने मामले की आगे की जांच के लिए मुंबई स्थित ग्रांट्स मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. पल्लवी सपले की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है। मामले में पुलिस पहले ही अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक वार्ड बॉय को हिरासत में ले चुकी है।
इस मामले में अस्पताल के डीन ने जब मंत्री हसन मुश्रीफ और स्थानीय विधायक टिंगरे का नाम लिया तो उन्हें हटा दिया गया। मंत्री भी अजीत पवार गुट से हैं।
अजीत पवार विधायक के बचाव में
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने शनिवार को कहा कि पुणे के विधायक सुनील टिंगरे को पोर्शे दुर्घटना से जोड़कर उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। टिंगरे पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से हैं और पुणे शहर के वडगांव शेरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। आरोप है कि टिंगरे ने यह सुनिश्चित करने के लिए दखल किया था कि हादसे के बाद आरोपी किशोर से पुलिस सख्ती न करे। मामले को रफादफा कर दे।
पीटीआई के मुताबिक अजीत पवार ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, “सुनील टिंगरे उस क्षेत्र के विधायक हैं जहां घटना हुई थी। जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं तो स्थानीय विधायक अक्सर घटनास्थल का दौरा करते हैं। क्या सुनील टिंगरे ने मामले को दबाने की कोशिश की? उन पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस घटना के बाद पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को फोन किया था, पवार ने कहा, "मैं अक्सर कई मुद्दों पर पुलिस आयुक्त को फोन करता हूं लेकिन मैंने इस मामले में उन्हें एक भी फोन नहीं किया है।"