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नागरिकता क़ानून: बिहार, बेंगलुरू, चंडीगढ़, हैदराबाद, पटना, लखनऊ, चेन्नई में प्रदर्शन

नागरिकता क़ानून: बिहार, बेंगलुरू, चंडीगढ़, हैदराबाद, पटना, लखनऊ, चेन्नई में प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर घिरी मोदी सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर घिरी मोदी सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली, पश्चिम बंगाल सहित कई जगहों पर क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं और हालात को क़ाबू करने में केंद्र और राज्य सरकारों को ख़ासी मुश्किलें पेश आ रही हैं। दूसरी ओर, छात्रों का विरोध अभी भी जारी है। बृहस्पतिवार को देश के कई बड़े शहरों में इस क़ानून के ख़िलाफ प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर गए हैं। पुलिस के क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे इतिहासकार राम चंद्र गुहा को हिरासत में ले लिया है। 

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि क़ानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान पत्थरबाज़ी और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान करने की ख़बरें आ चुकी हैं, ऐसे में पुलिस ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि 21 दिसंबर तक बेंगलुरू में सभी प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है। 

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा है कि राज्य में 19 दिसंबंर को धारा 144 लागू कर दी गई है, इसलिए लोग किसी भी तरह के प्रदर्शन में भाग नहीं लें। पुलिस ने अभिभावकों से भी कहा है कि वे अपने बच्चों को इस बारे में समझाएं। 

चंडीगढ़ में मुसलिम संगठनों ने नागरिकता संशोधन क़ानून और नेशनल रजिस्टर फ़ॉर सिटीजन (एनआरसी) के विरोध में प्रदर्शन किया है। 

उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में प्रदर्शन हो रहा है। इसके अलावा तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए हैं। भोपाल में और हैदराबाद में भी इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। पुणे में भी क़ानून के विरोध में लोग एकजुट हो गए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। 

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं। बृहस्पतिवार को भी वह क़ानून के विरोध में उतरी हैं। कई अन्य राज्य सरकारें भी इसके विरोध में हैं। विपक्षी दलों की अधिकांश सरकारों ने कहा है कि वह इस क़ानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगे। केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान की सरकारों ने इसके विरोध में आवाज़ उठाई है। 

बिहार में प्रदर्शन, ट्रेन रोकी

पटना में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के कार्यकर्ताओं ने नागरिकता क़ानून और एनआरसी के विरोध में राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को रोक दिया। इसके अलावा दरभंगा जिले में लाहिरासराय रेलवे स्टेशन पर सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शन किया है। 

इस क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।

विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे विरोध के बीच हालाँकि सरकार बार-बार कह रही है कि इससे भारत के अल्पसंख्यकों को कोई नुक़सान नहीं होगा। लेकिन फिर भी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की ख़बरें आ रही हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली के सीलमपुर और ज़ाफराबाद में भी हिंसा हुई है।

रोक लगाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन क़ानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालाँकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।  इस क़ानून के ख़िलाफ़ 59 याचिकाएं दायर की गई हैं। इंडियन यूनियन मुसलिम लीग (आईयूएमएल), जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट में याचिक दायर की है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी क़ानून के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दाख़िल की है। 

क़ानून के अस्तित्व में आने के बाद से ही असम, मेघालय से लेकर पश्चिम बंगाल और दिल्ली में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। कई राज्य सरकारें खुली चुनौती दे चुकी हैं कि वे इस क़ानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी। ऐसे में सरकार को देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों की इस क़ानून को लेकर पैदा हो रही आशंकाओं को तो दूर करना ही होगा, राज्य सरकारों से भी इस बारे में भी बातचीत करनी होगी। 

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