
वक्फ बिल के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन, समर्थन करने वाले भी पहुंचे
दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार 17 मार्च को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के नेतृत्व में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन में विभिन्न मुस्लिम संगठनों, सामाजिक समूहों और विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने इस बिल को "मुस्लिम विरोधी" और "संविधान के खिलाफ" करार देते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। दूसरी ओर, बीजेपी और हिंदू संगठनों ने इस प्रदर्शन को "वोट बैंक की राजनीति" और "सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश" बताकर इसका विरोध किया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और इसका मकसद वक्फ संपत्तियों और मस्जिदों पर सरकारी नियंत्रण करना है। बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, "यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सरकार वक्फ संपत्तियों को नष्ट करने की साजिश रच रही है।" प्रदर्शन में शामिल लोगों ने नारे लगाए और तख्तियां लहराईं, जिन पर "वक्फ बिल वापस लो" और "मुस्लिम अधिकारों की रक्षा करो" जैसे संदेश लिखे थे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
यह प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है, जब संसद में वक्फ बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी चल रही है। विपक्षी नेता, जैसे कांग्रेस के प्रमोद तिवारी और IUML के ई.टी. मुहम्मद बशीर, ने प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि यह बिल "लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है।"
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा, "हमारा काम विरोध करना है क्योंकि यह बिल असंवैधानिक है। यह बिल वक्फ की जायदाद को बचाने के लिए नहीं है, बल्कि वक्फ की जायदाद को खत्म करने के लिए लाया गया है। इसमें ऐसी धाराएं हैं जो कब्रिस्तान, खानकाह और दरगाह को मुसलमानों से छीन लेंगी।"
“जब हिंदुओं के लिए प्रथा और उपयोग के अनुसार मंदिर की जायदाद बन सकती है तो मुसलमानों के लिए वही पद्धति क्यों नहीं?”: @asadowaisi#WaqfAmendmentBill #WaqfBill pic.twitter.com/vVvhlj8iKk
— Asad Owaisi (Unofficial) (@asadowaisiunoff) March 17, 2025
उन्होंने आगे कहा, "इनका इरादा खराब है और ये देश में दूरियां बढ़ाना चाहते हैं। हम कह रहे हैं कि हम विरोध करेंगे। अगर चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और नीतीश कुमार इसका समर्थन करेंगे, तो जनता उन्हें जिंदगी भर याद रखेगी।" ओवैसी ने इस बिल को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और इसे संविधान के खिलाफ करार दिया।
वक्फ बिल को लेकर चल रहा यह विवाद अभी थमने के आसार नहीं दिख रहे। AIMPLB ने घोषणा की है कि वह इस मुद्दे पर कानूनी और शांतिपूर्ण कदम उठाएगा, जबकि बीजेपी और हिंदू संगठन इसे राष्ट्रीय हित का मुद्दा बताकर अपना समर्थन जारी रखेंगे। दिल्ली में सोमवार का प्रदर्शन इस सियासी जंग का एक नया अध्याय साबित हुआ है, जिसका असर आने वाले दिनों में और गहरा सकता है।
बीजेपी का तीखा बयान
बीजेपी ने इस प्रदर्शन को "अराजकता फैलाने की कोशिश" करार दिया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, "वक्फ तो बहाना है, असल मकसद देश में दंगे भड़काना और वोट बैंक की दुकान चलाना है। AIMPLB और इसके समर्थक दल जैसे कांग्रेस, सपा और AIMIM मुस्लिम नागरिकों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने दावा किया कि यह बिल वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करेगा और गरीब मुस्लिम महिलाओं व बच्चों को लाभ पहुंचाएगा। बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने कहा, "यह देश कानून से चलेगा, धमकियों से नहीं। प्रदर्शन करने वाले सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन सड़कों पर हंगामा करना गलत है।"
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने भी AIMPLB पर निशाना साधा और कहा, "यह संगठन भू-माफियाओं के इशारे पर नाच रहा है। वक्फ संपत्तियों को माफियाओं से मुक्त कर गरीबों तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है।"
हिंदू संगठनों ने भी इस प्रदर्शन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं ने इसे "हिंदू भावनाओं का अपमान" बताया। विहिप के एक नेता ने कहा, "जब औरंगजेब जैसे शासकों की कब्र पर विवाद चल रहा है, तब वक्फ बिल का विरोध सांप्रदायिकता को बढ़ावा देगा।"
इसी बीच, मेरठ से आए हिंदू कार्यकर्ता सचिन सिरोही ने जंतर-मंतर पर वक्फ बिल के समर्थन में अकेले प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, "यह सनातनियों का देश है। हम वक्फ बिल का समर्थन करते हैं और इसके लिए जान देने को तैयार हैं।" पुलिस ने उन्हें AIMPLB के प्रदर्शन स्थल पर जाने से रोका, जिसके बाद उन्होंने सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा की।