नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला यानी एनडीडब्ल्यूबीएफ में लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर बाइबल की प्रतियों के मुफ्त वितरण के ख़िलाफ़ विरोध जताया। एक ईसाई संगठन के स्टॉल पर यह घटनाक्रम हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में प्रदर्शन करने वालों को धार्मिक नारे लगाते और हंगामा करते देखा और सुना जा सकता है। जब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो तीखी प्रतिक्रिया हुई।
ट्विटर पर एक यूज़र ने लिखा है कि गीता, क़ुरान, बाइबल इंसानियत सिखाती है! क्या फ़ायदा हमारे गीता, क़ुरान, बाइबल पढ़ने का अगर हम में इंसानियत ही नहीं है।
प्रगति मैदान में बुधवार को हुई इस घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया था। उसमें कुछ लोग धार्मिक नारे लगाते हुए और एक ईसाई संगठन गिडियन्स इंटरनेशनल द्वारा चलाए जा रहे स्टॉल पर मुफ्त बाइबल के वितरण को रोकने की मांग करते दिख रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कहा कि इस मामले में न तो पुस्तक मेले के आयोजकों ने और न ही गिडियन्स इंटरनेशनल ने कोई शिकायत दर्ज कराई है।
वीडियो में एक दक्षिणपंथी समूह के लोगों को बहस करते हुए और संविधान और उसके तहत निहित अधिकारों की बात करते हुए देखा जा सकता है।
जब यह मामला सोशल मीडिया पर आया तो कई लोगों ने धार्मिक ग्रंथों के बाँटे जाने के विरोध की आलोचना की। ऐसे लोगों में फिल्मकार और पत्रकार विनोद कापड़ी भी शामिल हैं। उन्होंने अपना एक वीडियो बयान ट्वीट करते हुए लिखा, 'अब तो मैं बाइबल को सहेज कर भी रखूँगा और पढ़ूँगा भी, आत्मसात् भी करूँगा। अन्य धर्म के विरूद्ध तुम्हारी गुंडागर्दी मेरा सनातन नहीं है।'
उनके समर्थन में पत्रकार अजित अंजुम ने भी ट्वीट किया, 'मेरे यहाँ तो रामायण, महाभारत, बाइबल और कुरान सब एक ही जगह रखा है। ये नफरत के पुतले देश को बहुत नुकसान कर रहे हैं। पता नहीं कहां जाने वाले हैं हम?'
आप नेता विनय मिश्रा ने लिखा कि दिल्ली में दुनिया के टॉप जी-20 देश आया हुआ है, इससे देश की इमेज कैसी बनेगी?
हिंदू दक्षिणपंथी संगठन विश्व हिंदू परिषद ने विरोध में अपनी भागीदारी से इनकार करते हुए ईसाई समूहों और मिशनरियों पर हिंदुओं को फंसाने का आरोप लगाया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, 'जिस तरह से वे लोगों को बांट रहे थे, उनका पीछा कर रहे थे या धोखा दे रहे थे, दूसरे धर्मों को बदनाम कर रहे थे, उससे लोग उत्तेजित हो गए।'
बता दें कि एनडीडब्ल्यूबीएफ में लगभग सभी विधाओं की पुस्तकें होती हैं। इनमें धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकें भी शामिल हैं। ऐसी पुस्तकों की बिक्री के लिए कई स्टॉल हैं। उनमें से कुछ धार्मिक ग्रंथों की प्रतियां मुफ्त में भी वितरित करते हैं।