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संदिग्ध कोरोना संक्रिमत की अंत्येष्टि से रोका, पथराव किया 

संदिग्ध कोरोना संक्रिमत की अंत्येष्टि से रोका, पथराव किया 

अंबाला में जब कुछ स्वास्थ्य कर्मी और पुलिस वाले एक महिला के शव को अंत्येष्टि के लिए ले गए तो उस गाँव के लोगों ने वहाँ अत्येष्टि करने का विरोध किया। 

कोरोना से लोग इतना डरे हुए हैं कि सिर्फ़ संक्रमण होने के संदेह पर ही कोरोना संदिग्ध का बॉयकॉट कर देते हैं। कुछ मामलों में कोरोना संदिग्ध की मौत के बाद लोग उसे अपने आसपास अंतिम संस्कार तक नहीं करने देते हैं। उन्हें डर रहता है कि मृतक की देह से निकला कोरोना वायरस उन तक पहुँच जाएगा। 

ऐसा ही एक वाकया हाल ही में हरियाणा में हुआ। इस राज्य के अंबाला में जब कुछ स्वास्थ्य कर्मी और पुलिस वाले एक महिला के शव को अंत्येष्टि के लिए ले गए तो उस गाँव के लोगों ने वहाँ अत्येष्टि करने का विरोध किया। 

कोरोना संक्रमित होने का संदेह

साठ साल की इस महिला के कोरोना से संक्रमित होने का संदेह लोगों का था। लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि कोरोना की पुष्टि नही हुई है क्योंकि जाँच की रिपोर्ट उस समय तक नही आई थी।

चाँदपुरा गाँव के कुछ बासिंदों ने पहले तो इसका विरोध किया, उसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस वालों पर पथराव भी किया। इन लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियाँ चलाईं। वहाँ से भीड़ छंटने के बाद ही उस महिला का अंतिम संस्कार हो सका।

सिविल सर्जन डॉक्टर कुलदीप सिंह ने एनडीटीवी से कहा, 'उस महिला को दमा था और सोमवार को उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगा, इलाज के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। हमने जाँच के लिए नमूने ले लिए, अभी जाँच का नतीजा नहीं आया है।' 

हवा में गोलियाँ चलाईं

सिविल सर्जन डॉक्टर कुलदीप सिंह ने एनडीटीवी से कहा, उस महिला को दमा था और सोमवार को उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगा, इलाज के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। हमने जाँच के लिए नमूने ले लिए, अभी जाँच का नतीजा नहीं आया है। 

बता दें कि अंबाला में कोरोना के 12 मामले पाए गए, पूरे हरियाणा में 289 लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया, जिनमें तीन की मौत हो गई। 

क़ब्रिस्तान में जगह नहीं मिली

कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ऐसा ख़ौफ़ पसरा हुआ है कि इससे मरे लोगों को कोई दफ़नाने को तैयार नहीं होता है, कोई क़ब्र खोदने को तैयार नहीं होता है, किसी क़ब्रिस्तान में इन्हें जगह नहीं मिल रही है।

दिल्ली में ऐसा ही एक मामला हुआ। इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कुछ कर्मचारी जब एक शव लेकर क़ब्रिस्तान पहुँचे, क़ब्र खोदने वालों ने क़ब्र खोदने से इनकार कर दिया, उन्होंने लाश के पास खड़े होना तक मुनासिब नहीं समझा।

अंत में परिवार के लोगों ने दो पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट खरीदे, ख़ुद अंतिम संस्कार किया और लाश को 15 फीट गहरे गड्ढे में दफ़ना दिया। उसके साथ ही वे पीपीई भी उसी क़ब्र में फेंक दिए गए।

मृतक के बेटे ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'किसी ने हमारा साथ नहीं दिया, हम मंगलोपुरी और बाड़ा हिन्दू राव इलाक़ों में भटकते रहे, एक क़ब्रिस्तान से दूसरे क़ब्रिस्तान का चक्कर लगाते रहे, किसी ने लाश दफ़नाने नहीं दिया।'

बेटे ने मुखाग्नि नहीं दी

मध्य प्रदेश के शाजापुर ज़िले में तो कोरोना संक्रमण से मरे एक व्यक्ति को उसके बेटे ने मुखाग्नि तक देने से इनकार कर दिया।

ज़िले की शुजालपुर तहसील निवासी प्रेम सिंह मेवाड़ा कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये थे। उन्हें भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चूंकि ‘कोविड 19’ संक्रमित रोगी के साथ रहने की अनुमति किसी को नहीं है, लिहाजा भर्ती कराने के बाद परिजन घर को लौट गये थे। 

कोरोना से लड़ते हुए प्रेम सिंह की मौत हो गई। पत्नी, साले और बेटे संदीप मेवाड़ा ने प्रेम सिंह की बाॅडी लेने से साफ इनकार कर दिया। अंत में प्रशासन ने अंतिम संस्कार कराया।

बेटी-दामाद को घर में घुसने नहीं दिया 

मध्य प्रदेश के ही उज्जैन में कोरोना संक्रमण के भय से तार-तार होते रिश्तों की भयावह तसवीर सामने आयी थी। इंदौर में रहने वाले एक परिवार के तीन बेटे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। तीनों को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद इनके माता-पिता को क्वरेंटीन किया गया था। लेकिन माता-पिता प्रशासन को गच्चा देकर इंदौर से उज्जैन के लिए पैदल निकल पड़े थे। 

उज्जैन की निलोफर ने कहा कि जब वह अपने पति के साथ मायके पहुँचीं, उनकी अम्मी नज़मा बी ने उन्हें घर में घुसने नहीं दिया। उसकी अम्मी का कहना था कि यदि उन्हें घर में रख लिया तो पूरा परिवार मुसीबत में पड़ जाएगा।

खाँसने पर दोस्त को गोली मार दी

दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में लूडो खेलने के दौरान खाँसी आने पर एक व्यक्ति को गोली मार दी गई। पुलिस के मुताबिक़, गोली मारने वाले का कहना था कि खाँसने वाला व्यक्ति उसे कोरोना वायरस से संक्रमित करना चाहता है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि गांव के चार लोग लूडो खेल रहे थे। तभी जयवीर सिंह उर्फ़ गुल्लू वहां पहुंचा। इसी दौरान प्रशांत सिंह नाम के शख़्स को खांसी आ गई।

गुल्लू ने प्रशांत पर जबरन खांसने और उसे कोरोना से संक्रमित करने का आरोप लगाया। यह बहस बहुत ज़्यादा बढ़ गई और गुल्लू ने अपनी पिस्टल निकालकर प्रशांत को गोली मार दी।

क्वरेन्टाइन में अमानवीय सलूक

कोरोना संक्रमण से डर की वजह से ही उत्तर प्रदेश के आगरा में क्वरेंटीन किए गए लोगों के साथ अमानवीय सलूक किया गया। जिस संस्थान पर लोगों को क्वरेंटीन किया गया है, वहां के लोगों के लिए गेट के बाहर ही खाने-पीने का सामान रख दिया गया है।

इस घटना के वायरल वीडियो में दिख रहा है कि लोग गेट में बने लोहे के खांचों में से बहुत मुश्किल से हाथ फंसाकर खाने-पीने का सामान लेने के लिए मजबूर हैं। 

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