यूपी: किसान पंचायतों के जरिये कांग्रेस को जिंदा करने में जुटीं प्रियंका
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हो रही किसान महापंचायतों के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल इन दिनों बेहद गर्म है। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के किसानों के समर्थन में खुलकर उतरने के बाद कांग्रेस भी किसान महापंचायतें करने में जुट गई है।
बुधवार को सहारनपुर में हुई किसान महापंचायत में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी पहुंची। प्रियंका का एक हफ़्ते के भीतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह दूसरा दौरा था। इससे पहले वह ट्रैक्टर रैली के दौरान मारे गए नवरीत सिंह के परिजनों से मिलने के लिए रामपुर स्थित उनके घर गई थीं।
सहारनपुर के चिलकाना में हुई इस किसान महापंचायत में भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेस नेताओं ने जमकर पसीना बहाया और इसमें उन्हें सफलता भी मिली। कांग्रेस किसान आंदोलन को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ख़ुद को इस इलाक़े में फिर से जिंदा करने के मौक़े के रूप में देख रही है।
प्रियंका ने इस मौक़े पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ‘जय जवान जय किसान’ अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 10 दिन तक 27 जिलों में चलेगा और इसमें पार्टी के कई बड़े नेता शामिल होंगे। इन जिलों में सहारनपुर, शामली, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बाग़पत, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़ सहित अन्य जिले शामिल हैं।
लोगों को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि 56 इंच की छाती के अंदर एक छोटा सा दिल है जो केवल कुछ उद्योगपतियों के लिये धड़कता है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार आएगी ये सभी क़ानून वापस होंगे और आपको समर्थन मूल्य का पूरा दाम मिलेगा। उन्होंने किसानों से कहा, “ये आपकी ज़मीन का आंदोलन है, आप पीछे मत हटिये। हम आपके साथ खड़े हैं, जब तक ये क़ानून वापस नहीं होते तब तक डटे रहिये।”
प्रियंका सहारनपुर के अलावा भी आगे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाली कांग्रेस की इन किसान महापंचायतों में शामिल हो सकती हैं। निश्चित रूप से कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जिस तरह का माहौल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बन रहा है, उससे इस इलाक़े में बीजेपी को सियासी नुक़सान हो सकता है।
आरएलडी भी खासी सक्रिय
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब तक मुज़फ्फरनगर से लेकर बाग़पत और मथुरा से लेकर बिजनौर और शामली में तक हुई महापंचायतों में बड़ी संख्या में किसान उमड़े हैं। आरएलडी भारतीय किसान यूनियन के साथ मिलकर भी किसान महापंचायतों का आयोजन कर रही है। इसे देखते हुए कांग्रेस भी ख़ुद को सक्रिय कर रही है।
कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर कांग्रेस पूरे उत्तर प्रदेश में सक्रिय दिखी है जबकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी बेहद कम और मायावती ने सिर्फ ट्विटर तक ही सीमित रहना काफी समझा।
प्रियंका के कंधों पर है जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश की प्रभारी होने के नाते भी कांग्रेस को यहां फिर से जिंदा करने की जिम्मेदारी प्रियंका पर ही है। प्रियंका ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान भी आगे बढ़कर कांग्रेस का नेतृत्व किया था और उसके बाद से वह जनहित के मुद्दों पर योगी सरकार पर लगातार हमलावर रही हैं।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासी माहौल पर देखिए वीडियो-
लॉकडाउन के दौरान महानगरों से घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों के लिए प्रियंका ने यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी कर दी थीं। लेकिन योगी सरकार ने इन बसों को खाली लौटा दिया था। प्रियंका मायावती और अखिलेश यादव को बीजेपी का अघोषित प्रवक्ता तक बता चुकी हैं।
लंबे वक़्त तक उत्तर प्रदेश में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस राम मंदिर आंदोलन के बाद से हाशिए पर चली गई है। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद भी उसे कोई फ़ायदा नहीं हुआ। अब जब यह लगभग तय है कि कांग्रेस 2022 का विधानसभा चुनाव प्रदेश में अकेले ही लड़ेगी, ऐसे में प्रियंका के सामने बड़ी जिम्मेदारी है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिस तरह सियासी माहौल बदल रहा है, ऐसे में वह ज़मीन पर उतरकर यहां कांग्रेस को मजबूत कर सकती हैं।