प्रियंका को जल्द रिहा न करने पर अदालत सख़्त, शेयर किया था मीम
ममता बनर्जी का मीम शेयर करने के मामले में गिरफ़्तार हुई बीजेपी नेता प्रियंका शर्मा को तत्काल रिहा नहीं करने पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख़्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बाद भी बीजेपी नेता को तत्काल रिहा क्यों नहीं किया गया अगर उन्हें जल्द रिहा नहीं किया जाता है तो यह अवमानना का मामला होगा। इससे पहले प्रियंका शर्मा के वकील एनके कौल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रियंका को अभी तक रिहा नहीं किया गया है। इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि प्रियंका को सुबह 9.40 बजे रिहा कर दिया गया है।कौल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रियंका से पुलिस द्वारा तैयार किए गए एक माफ़ी पत्र पर हस्ताक्षर करवाया गया। उनके मुताबिक़, माफ़ी पत्र में लिखा था कि वह इस मीम को दुबारा पोस्ट नहीं करेंगी। बता दें कि प्रियंका, ममता बनर्जी की फ़ोटोशॉप की हुई तसवीर को शेयर करने के आरोप में 10 मई से जेल में थीं।
इससे पहले मंगलवार को प्रियंका शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रिहा करने का फ़ैसला सुनाया था, लेकिन कोर्ट ने कहा था कि उन्हें माफ़ी माँगनी होगी। हालाँकि कोर्ट ने पहले आदेश में माफ़ी माँगने पर ही रिहा करने का फ़ैसला सुनाया था, लेकिन बाद में फ़ैसले में बदलाव कर प्रियंका को सीधे रिहा करने का फ़ैसला सुनाया और बाद में माफ़ी माँगने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फ़ैसले में कहा कि प्रियंका शर्मा रिहाई के तुरन्त बाद बनर्जी से माफ़ी ज़रूर माँगे। अदालत ने पूछा, 'क्या माफ़ी माँगने में कोई दिक्कत है हम उनसे उनके ख़ातिर ही माफ़ी माँगने को कह रहे हैं। बोलने की आज़ादी वहाँ ख़त्म हो जाती है जहाँ वह दूसरों के अधिकारों का हनन करने लगती है।' पश्चिम बंगाल पुलिस ने जिस तरह प्रियंका को गिरफ़्तार किया था, उसे देखते हुए अदालत ने उसे भी नोटिस जारी किया है।
भारतीय जनता युवा मोर्चा की कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा ने ममता बनर्जी की फोटोशॉप की हुई तसवीर शेयर की थी जिसमें प्रियंका चोपड़ा के मेट गाला अवतार में ममता बनर्जी को दिखाया गया था। इसके बाद प्रियंका शर्मा को कोलकाता पुलिस ने गिरफ़्तार किया और अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। ममता बनर्जी सरकार के इस फ़ैसले की सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुलकर ममता बनर्जी की आलोचना की। इसका ममता बनर्जी सरकार पर काफ़ी दबाव पड़ा। बीजेपी कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई।
कोर्ट ने किया आदेश में बदलाव
सुप्रीम कोर्ट की वैकेशन बेंच ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस तरह के मीम शेयर नहीं किए जाने चाहिए थे। कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में प्रियंका को सशर्त रिहा करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रियंका को ममता बनर्जी से माफ़ी माँगनी होगी। हालाँकि बाद में कोर्ट ने अपने आदेश में बदलाव करते हुए उसमें से माफ़ी माँगने की शर्त हटा दी। यानी कोर्ट ने कहा कि रिलीज से पहले माफ़ी माँगने की शर्त नहीं है, बल्कि रिलीज के बाद माफ़ी माँगनी है। साथ ही कोर्ट ने प्रियंका को तुरंत रिहा करने का फ़ैसला किया। कोर्ट की बेंच ने प्रियंका के वकील एन.के. कौल को बुलाकर इसकी जानकारी दी।
वकील ने क्या दीं दलीलें
प्रियंका के वकील एन.के. कौल ने कहा कि इससे अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़ संदेश जाएगा। माफ़ी मांगने का निर्देश अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार पर आघात की तरह है।जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि चूँकि प्रियंका शर्मा एक राजनीतिक पार्टी की सदस्य हैं इसलिए ऐसी तसवीरों को शेयर करना आम लोगों द्वारा शेयर किये जाने जैसा नहीं है।
सोशल मीडिया पर वायरल
यह मामला सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, ख़ास कर, ट्विटर पर यह तेज़ी से वायरल हो गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए ट्वीट कर कहा कि लोकतंत्र में हास्य-व्यंग्य होता रहता है। उन्होंने कहा, 'मुक्त समाज में हास्य, व्यंग्य, मज़ाक बचे रहते हैं। स्वेच्छाचारी सरकार में उसके लिए कोई जगह नहीं होती है। तानाशाह जनता पर हँसते हैं। वे यह नहीं चाहते कि लोग उन पर हँसें। बंगाल इसका एक उदाहरण है।'Humour, wit, sarcasm survive in a free society. They have no place in autocracies. Dictators laugh at people. They don’t like people laughing at them. Bengal, today is a case in point.
— Chowkidar Arun Jaitley (@arunjaitley) May 14, 2019
पत्रकार आकाश बनर्जी ने 'द देशभक्त' नामक हैंडल से ट्वीट किया, 'बिल्कुल सही कहा आपने महाशय। मैं इससे सहमत हूँ कि ममता बनर्जी को ऐसा नहीं करना चाहिए था, पर क्या नरेंद्र मोदी को करना चाहिए उन्होंने उस रेडियो कैरेक्टर को क्यों बंद कर दिया जो उनकी आवाज़ की नकल करता था त्रासदी तो यह है कि एक बार सत्ता में पहुँचते ही सब ममता-मोदी हो जाते हैं।'
Point well made sir. Agree that @MamataOfficial cannot take a joke....but are you suggesting that @narendramodi can
— The DeshBhakt (@akashbanerjee) May 14, 2019
Why did he then shut down a radio character that just mimicked his voice
Tragedy is that once in power, they all become Mamata-Modi. https://t.co/KGzaMq17yf
स्मिता शर्मा ने पूछा कि क्या अरुण जेटली ने पत्रकार किशोरचंद्र वांगखम के बारे में कुछ सोचा, जिसे मणिपुर सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत जेल में डाल दिया था
सवाल दर सवाल
कुछ लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि आखिर उस मीम में क्या आपत्तिजनक था न तो वह अश्लील था, न उसमें ममता बनर्जी के बारे में कुछ आपत्तिजनक कहा गया था। यह ज़रूर कहा जा सकता है कि वह अरुचिपूर्ण और घटिया है, पर इस आधार पर ही किसी को सज़ा कैसे हो सकती है, यह सवाल उठ रहा है। फिर पुलिस ने उसे गिरफ़्तार ही क्यों किया था लेकिन ममता बनर्जी ने अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए इस तरह का कदम उठाया हो, यह पहला मामला नहीं है।क्या हुआ था अंबिका महापात्र के साथ
कोलकाता स्थित जादवपुर विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर अंबिका महापात्र ने अप्रैल 2012 में ममता बनर्जी के एक कार्टून को अपने मित्रों को फ़ॉरवर्ड किया था। इसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था। लेकिन अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया था। बाद में लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया था कि वह प्रोफ़ेसर महापात्र को मुआवज़ा दे।ममता बनर्जी पर इस तरह की असहिष्णुता के आरोप लगते रहे हैं। एक बार एक टेलीविज़न चैनल ने एक कार्यक्रम आयोजत किया, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आमंत्रित किया गया और आम जनता के बीच से कुछ लोगों को वहाँ बुलाया गया। एक छात्रा ने एक कठिन सवाल पूछा तो बनर्जी ने आग बबूला हो कर कहा कि वह छात्रा माओवादी है, जिससे उस छात्रा ने इनकार किया। इसके बाद बनर्जी गुस्से में उठ कर चली गईं। भारतीय माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी प्रतिबंधित है और इस आरोप में उस छात्रा को गिरफ़्तार भी किया जा सकता था। हालााँकि उसे गिरफ़्तार नहीं किया गया, पर इससे मुख्यमंत्री पर सवाल तो ज़रूर लग गया।
इस वारदात से यह बहस भी खड़ी हो गई है कि राजनेता कई बार अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं करते, ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाती है। नरेंद्र मोदी के आवाज़ की नकल करने वाले श्याम रंगीला को एक कार्यक्रम से इसी आधार पर बाहर कर दिया गया था। आरोप यह भी लगाया जाता है कि इमर्जेंसी के दौरान ऑल इंडिया रेडियो ने गायक किशोर कुमार के गानों को बजाने से इनकार कर दिया था। तमाम पार्टियों के नेता इस तरह के काम करते रहते हैं।