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क्या प्रियंका गांधी वायनाड से चुनावी पारी शुरू करेंगी?

क्या प्रियंका गांधी वायनाड से चुनावी पारी शुरू करेंगी?

राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली के साथ ही केरल के वायनाड सीट से लोकसभा का चुनाव जीता है। तो अब क्या राहुल वायनाड सीट खाली करेंगे और प्रियंका गांधी वहाँ से अपनी चुनावी राजनीतिक पारी की शुरुआत करेंगी?

प्रियंका गांधी के चुनावी पारी शुरू करने के कयास अब जोर शोर से लगाए जा रहे हैं। वह भी वायनाड से। राहुल गांधी के बयान से भी इसको हवा मिली है। रायबरेली और वायनाड सीट से चुनाव जीते राहुल को अब एक सीट खाली करनी होगी और सवाल उठ रहा है कि वह कौन सी सीट खाली करेंगे? वायनाड की अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से कहा था कि वह दुविधा में हैं कि दोनों सीटों में से किसे चुनें। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि उनके इस फ़ैसले से लोग खुश होंगे।

अब कांग्रेस के अंदर भी ऐसी चर्चा है कि यदि राहुल गांधी रायबरेली के लिए वायनाड लोकसभा सीट छोड़ देते हैं तो प्रियंका गांधी वाड्रा के वहां से चुनाव लड़ने के विकल्प से इनकार नहीं किया जा सकता है। वैसे, प्रियंका के चुनाव लड़ने का ज़िक्र खुद राहुल गांधी ने रायबरेली में एक सभा में की थी। उन्होंने कहा था कि यदि प्रियंका वाराणसी से चुनाव लड़ जातीं तो पीएम मोदी 2-3 लाख वोटों से चुनाव हार जाते।

अब क्योंकि राहुल गांधी को दो सीटों में से एक को छोड़ना होगा, वायनाड सीट को लेकर कयास तेज हो गए हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि राहुल वायनाड सीट को छोड़ सकते हैं। द हिंदू ने कांग्रेस के एक शीर्ष नेता के हवाले से कहा है कि यदि राहुल वायनाड लोकसभा सीट छोड़ देते हैं तो प्रियंका गांधी वाड्रा के वहाँ से चुनाव लड़ने के विकल्प से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस बयान को राहुल के बयान 'मेरे इस फ़ैसले से लोग खुश होंगे' से जोड़कर देखा जा रहा है।

रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से कहा गया है, 'राहुल गांधी ने दो साल पहले ही रायबरेली से चुनाव लड़ने का फ़ैसला कर लिया था, लेकिन उन्होंने किसी को इसकी जानकारी नहीं होने दी। यहाँ तक ​​कि दो में से एक सीट खाली करने के मामले में भी पार्टी इसकी घोषणा करेगी।'

लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से राहुल गांधी पार्टी की जीत के लिए प्रियंका की तारीफ़ करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने रायबरेली में मंच से जीत के लिए प्रियंका को बड़ा श्रेय दिया था। 

वैसे, प्रियंका ने अपना ज़्यादातर समय रायबरेली और अमेठी में प्रचार में बिताया था। दोनों ही सीटों पर उनकी पार्टी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। रायबरेली से भले ही राहुल खड़े थे, लेकिन चुनाव प्रचार के मोर्चे पर प्रियंका डटी थीं।

अमेठी में भी प्रियंका ने भी प्रचार की कमान संभाल रखी थी। जब लोकसभा के नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 43 सीटें जीतकर भाजपा को चौंका दिया। कांग्रेस ने 2019 की अपनी एक सीट से इस बार बढ़ाकर छह सीटें कर ली हैं। पिछली बार 62 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार 33 सीटों पर सिमट गई। बीजेपी की सीटें समाजवादी पार्टी की 37 सीटों से चार कम हैं। पूरे देश में इस बार कांग्रेस की सीटें 99 पहुँच गई हैं।

प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी या नहीं, इसकी चर्चा कम से कम 2019 के लोकसभा चुनावों से ही चल रही है। पिछले चुनाव में ही ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में पीएम मोदी को चुनौती दे सकती हैं। 2024 के चुनावों से पहले सोनिया गांधी द्वारा रायबरेली सीट छोड़े जाने पर फिर से अटकलें लगाई जाने लगीं कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी और राहुल भाजपा की स्मृति ईरानी से अमेठी को वापस जीतने के लिए लड़ेंगे। हालाँकि प्रियंका ने चुनाव न लड़ने का फ़ैसला किया था। तब उनके क़रीबी सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि उन्होंने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि अगर वह भी लोकसभा चुनाव जीत जातीं तो इससे भाजपा के वंशवादी राजनीति के आरोप को बल मिलता। इसी के बाद राहुल वायनाड से लड़े और अमेठी से गांधी परिवार के क़रीबी केएल शर्मा को उतारा गया।

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