प्रियंका को भी वॉट्सऐप से आया था जासूसी का मैसेज: सुरजेवाला
वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी के मामले में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को भी वॉट्सऐप से मैसेज आया था।
कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सुरजेवाला ने पूछा कि क्या नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले आम लोगों और नेताओं की जासूसी की थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में हैरान करने वाले ख़ुलासे हुए हैं।
सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि जासूसी कांड में बीजेपी की सरकार और एजेंसियों ने ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक रूप से इज़रायली कंपनी एनएसओ के पैगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके भारतीय पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की। उन्होंने कहा कि लोग बीजेपी का नया नाम रख रहे हैं, वह है - भारतीय जासूस पार्टी।
सुरजेवाला ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान पैगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल से राजनेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के फ़ोन को टैप किया गया और इस बात की पूरी जानकारी केंद्र सरकार को थी। उन्होंने कहा कि एनएसओ समूह का पैगासस स्पाईवेयर केवल और केवल सरकार को ही बेचा जा सकता है, किसी और को नहीं।
LIVE: Congress Party briefing by @rssurjewala, In-charge, Communications, AICC https://t.co/rKe4rTmfyu
— Congress Live (@INCIndiaLive) November 3, 2019
सुरजेवाला ने कहा कि यह जासूसी कांड तब हो रहा था, जब देश में आम चुनाव हो रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अप्रैल-मई और सितंबर 2019 के पहले हफ़्ते में इस बारे में जानकारी दी गई थी, लेकिन मोदी सरकार चुप्पी साधे रही। उन्होंने कहा कि सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 20 अगस्त, 2019 को वॉट्सऐप के सीईओ क्रिस डेनियल्स के साथ बैठक की थी और इसके अलावा 12 सितंबर, 2019 को फ़ेसबुक के वाइस प्रेसीडेंट निक क्लेग (ग्लोबल अफ़ेयर्स एंड कम्युनिकेशंस) के साथ भी प्रसाद ने बैठक की थी, लेकिन उन्होंने इस बारे में इन दोनों से ही चर्चा नहीं की। सुरजेवाला ने कहा कि प्रसाद आख़िर क्यों चुप रहे और उन्होंने इसे लेकर चर्चा क्यों नहीं की।
बता दें कि अमेरिका के सैन फ़्रांसिस्को की एक संघीय अदालत में एक मुक़दमे की सुनवाई के दौरान वॉट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगैसस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स पर नज़र रखी थी। और ऐसा लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिए किया गया था। मुक़दमे के दौरान वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा था कि इस दौरान इस स्पाइवेयर ने भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी थी।
ख़बरों के मुताबिक़, वॉट्सऐप यूजर्स की जासूसी के मामले में केंद्र सरकार इस बात से नाराज़ है कि न तो वॉट्सऐप और न ही इसके स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक ने उसे भारतीय यूजर्स की सुरक्षा में सेंध लगने के बारे में कोई जानकारी दी, जबकि कंपनी के अधिकारियों के साथ उसकी कई बार बैठक हुई थी। लेकिन वॉट्सऐप का कहना है कि उसने भारत और अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों को मई में यूजर्स की ‘सुरक्षा से जुड़े मुद्दे’ को लेकर जानकारी दी थी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, वॉट्सऐप ने केंद्रीय सूचना और पर्यावरण मंत्रालय की ओर से भेजे गये नोटिस के जवाब में कहा है कि मई में सूचना देने के अलावा सितंबर महीने की शुरुआत में भी उसने एक चिट्ठी लिखकर 121 भारतीयों की ‘निजता में सेंध’ लगने की जानकारी दी थी।
इस ख़बर के सामने आने के बाद जब भारत में हंगामा मचा तो गृह मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि इस मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। सरकार ने वॉट्सऐप को नोटिस भेजकर पूछा है कि वह बताए कि निजता का उल्लंघन करते हुए कैसे भारतीय यूजर्स को निशाना बनाया गया। जबकि एनएसओ समूह का कहना है वह यह सॉफ़्टवेयर सिर्फ़ वैध सरकारी एजेंसियों को ही देती है।