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तो नहीं होगा बनारस में प्रियंका बनाम मोदी, कांग्रेस पीछे हटी!

तो नहीं होगा बनारस में प्रियंका बनाम मोदी, कांग्रेस पीछे हटी!

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। बनारस के ज़मीनी हालात का जायजा लेने के बाद अब कांग्रेस ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ाने का फ़ैसला किया है। कांग्रेस अब एक बार फिर से अपने पुराने प्रत्याशी अजय राय पर ही दाँव लगाएगी। हालाँकि औपचारिक तौर पर पार्टी ने इसकी घोषणा नहीं की है, लेकिन वह अगले दो-तीन दिनों में इसका एलान कर देगी। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक़ अजय राय से नामांकन पत्र ख़रीद लेने को भी कहा गया है।

प्रियंका गाँधी के कांग्रेस का महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने के बाद से ही यह अटकलें लगायी जा रही थीं कि उन्हें मोदी के ख़िलाफ़ वाराणसी से मैदान में उतारा जा सकता है।

ख़ुद प्रियंका गाँधी ने कई बार यह कहा था कि अगर पार्टी का निर्देश होगा तो वह कहीं से भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कई साक्षात्कारों में इस बात के संकेत भी दिए थे कि वाराणसी को लेकर कोई चौंकाने वाला नाम आ सकता है।

क्या डर से कांग्रेस ने किया किनारा

वाराणसी सीट को लेकर काफ़ी सोच-विचार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने जोख़िम न मोल लेते हुए इस सीट पर मोदी के मुक़ाबले प्रियंका को न खड़ा करने का फ़ैसला किया है। हालाँकि इस फ़ैसले से पहले कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने ख़ुद राहुल-प्रियंका की टीम के सदस्यों को वाराणसी भेज कर ज़मीनी हालात को परखा और चुनाव लड़ने की संभावनाएँ टटोलीं। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक़ बिना पूर्व तैयारी के मोदी से मुक़ाबले के लिए प्रियंका को उतारने का फ़ैसला जोख़िम भरा होगा। प्रियंका को वाराणसी से चुनाव लड़ाने को लेकर जायजा लेने दिल्ली से भेजी गयी कांग्रेस की टीम ने भी इस सीट को लेकर प्रतिकूल रिपोर्ट दी है। कांग्रेस का मानना है कि वाराणसी में परिस्थितियाँ प्रियंका के विपरीत हैं और वहाँ पार्टी का संगठन भी ठीक नहीं है। उनका मानना है कि प्रियंका को इस सीट से लड़ाने पर केवल असफलता हाथ आएगी।

सपा-बसपा गठबंधन से भी नहीं बन सकी बात

प्रियंका के चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस की सपा-बसपा गठबंधन से भी कोई सहमति नहीं बन सकी। सपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने इस बाबत कोई औपचारिक संदेश तक नहीं भेजा था और इन हालात में किस बात का समर्थन दिया जाता। कांग्रेस के कोई फ़ैसला लेने से पहले ही सपा ने यहाँ से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस के लिए गठबंधन ने पूरे उत्तर प्रदेश में केवल दो सीटें अमेठी और रायबरेली छोड़ी हैं।

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन ने शालिनी यादव को इस सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। शालिनी यादव इस सीट से पूर्व में कांग्रेस सांसद रहे श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं और मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं। पहले कांग्रेस में रही शालिनी यादव ने इसी हफ़्ते सपा की सदस्यता ली है।

अमेठी और रायबरेली पर ज़ोर

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रियंका के बनारस से चुनाव लड़ने पर अमेठी और रायबरेली में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के चुनाव पर भी असर पड़ेगा। अमेठी में राहुल गाँधी के मुक़ाबले बीजेपी ने एक बार फिर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उतारा है, जबकि रायबरेली में सोनिया के मुक़ाबले कांग्रेस के ही नेता रहे दिनेश प्रताप सिंह मैदान में हैं। बीजेपी और संघ जिस तरह से राहुल गाँधी को अमेठी में घेर रही है उसको देखते हुए प्रियंका को वहाँ काफ़ी समय देना पड़ेगा। वाराणसी को लेकर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि प्रियंका गाँधी को यहाँ से उतारने के लिए पहले तैयारी करनी चाहिए और संगठन की मज़बूती पर ध्यान देना चाहिए। उनके मुताबिक़ चौथे चरण का चुनाव क़रीब आने पर प्रियंका गाँधी को प्रत्याशी बनाने पर माहौल नहीं बन सकेगा और इसके लिए संसाधनों के साथ ही बड़ी तादाद में प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं की फ़ौज जुटानी होगी।

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