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पीएम ने वादे बहुत किए, पर क्या जीत पाएँगे कश्मीरियों का दिल?

पीएम ने वादे बहुत किए, पर क्या जीत पाएँगे कश्मीरियों का दिल?

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अब सारा ज़ोर कश्मीरियों का दिल जीतने में लगा रहे हैं। उन्होंने कई आश्वासन दिए और वादे किए, लेकिन क्या वह उनका दिल जीत पाएँगे? 

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा और वहाँ के नागरिकों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब सारा ज़ोर जम्मू-कश्मीर ख़ासकर घाटी के लोगों का दिल जीतने में लगा रहे हैं। बहुमत के दम पर संसद के दोनों सदनों से प्रस्ताव तो पारित करा लिया है, लेकिन कश्मीरियों का दिल जीते बगैर इसे अमली जामा पहनाना मुश्किल होगा। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीरियों का दिल जीतने की बात राष्ट्र के नाम दिए संदेश से ही कर दी है।

अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के फ़ैसले को जम्मू और लद्दाख में ज़बर्दस्त समर्थन मिला है। इस फ़ैसले के बाद जम्मू और लद्दाख दोनों ही जगहों से मिठाई बाँटकर ख़ुशी मनाने की तसवीरें सामने आई हैं। विरोध की आशंका सिर्फ़ कश्मीर घाटी में है। वहाँ अभी चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों के जवान तैनात हैं। हालाँकि गुरुवार को सुबह होते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल ने शोपियाँ में स्थानीय नागरिकों के साथ सड़क किनारे खाना खाते हुए अपनी तसवीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कराकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि घाटी में सब ठीक-ठाक है। लेकिन इन तसवीरों के ज़रिए दिए गए संदेश की हवा तब निकल गई जब दिल्ली से श्रीनगर गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को श्रीनगर हवाई अड्डे से ही दिल्ली बैरंग लौटा दिया गया।

इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के संदेश के बहाने जम्मू-कशमीर ख़ासकर कश्मीर की जनता को भरोसे में लेने की पुरज़ोर कोशिश की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करके दो अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की वजहें बताईं। उन्होंने हालात सुधरने पर जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य बनाने और लद्दाख में विकास में तेज़ी लाने जैसे कई वादों के ज़रिए जम्मू-कश्मीर के लोगों का दिल जीतने की कोशिश की है।

बता दें कि राज्य सभा में संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के मोदी सरकार के फ़ैसले पर कांग्रेस बँटी हुई दिखी। कश्मीर के पूर्व महाराजा हरि सिंह के बेटे और कभी जम्मू कश्मीर के सदर-ए-रियासत रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह ने भी सरकार के फ़ैसले का समर्थन कर दिया है। इनके अलावा भी कांग्रेस के कई नेताओं ने समर्थन किया। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का हौसला और बढ़ गया है। यह बात राष्ट्र के नाम दिए उनके संदेश में झलकती है।

संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने वाले प्रस्ताव को पारित कराने के बीच गृह मंत्री अमित शाह को कांग्रेस के नेताओं से तीखी झड़पें हुईं। सरकार पर कई तरह के आरोप भी लगे। लोकसभा में इस प्रस्ताव पर बहस के दौरान जम्मू-कश्मीर के कई बार मुख्यमंत्री रह चुके नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला की ग़ैर मौजूदगी पर कई पार्टियों के सांसदों ने सवाल उठाए तो गृह मंत्री अमित शाह नाराज़ हो गए थे। उनके रवैये पर सदन में हंगामा भी हुआ था। इस मामले में कई पार्टियों के नेताओं ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी। इससे संसद में तनातनी का माहौल बन गया था। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में उस तनातनी को ख़त्म करने की भी कोशिश की है। उन्होंने मतभेदों को भूलकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भविष्य के लिए मिलजुल कर काम करने का आह्वान किया है।

कश्मीरियों को आश्वासन

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता के साथ कश्मीर घाटी के लोगों को यह समझाने की पूरी कोशिश की है कि अनुच्छेद 370 को हटाने से उन्हें भविष्य में क्या फ़ायदे होने वाले हैं। मोदी बोले, ‘जम्मू-कश्मीर में अपने भाई-बहनों को एक और महत्वपूर्ण बात स्पष्ट करना चाहता हूँ। आपका जनप्रतिनिधि आपके द्वारा आपके बीच से ही चुना जाएगा। जैसे पहले एमएलए थे, वैसे ही आगे होंगे, जैसे पहले कैबिनेट होती थी, वैसी ही आगे भी होगी। जैसे पहले आपके सीएम होते थे, आगे भी वैसे आपके मुख्यमंत्री होंगे।’

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि धरती का स्वर्ग जम्मू-कश्मीर एक बार फिर विकास की नई ऊँचाइयों को पार करके पूरे विश्व को आकर्षित करने लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि नागरिकों के जीवन में ईज़ ऑफ लिविंग बढ़ेगी, नागरिकों को उनके हक़ की चीज़ें बे रोक-टोक मिलेंगी, शासन प्रशासन की पूरी व्यवस्था जनहित कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाएँगी तो जम्मू-कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश की व्यवस्था को चलाए रखने की ज़रूरत नहीं होगी। हालाँकि लद्दाख में यह बनी रहेगी।

सशस्त्र बलों की तैनाती 

जम्मू कश्मीर पर अहम फ़ैसला लेते वक़्त पूरे कश्मीर घाटी को छावनी में बदलने के मोदी सरकार के फ़ैसले की आलोचना भी हो रही है। प्रधानमंत्री ने इसे जायज़ ठहराते हुए इन क़दमों को एहतियात के लिए ज़रूरी बताया है और जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनकी परेशानियाँ बहुत जल्द दूर करने का भरोसा दिलाया है। प्रधानमंत्री ने ईद की मुबारकबाद देने के साथ ही इसे मनाने के लिए शांति पूर्ण माहौल देने का भरोसा दिलाया है।

कश्मीरियों की वीरता का ज़िक्र 

प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी सफ़ाई से लद्दाख, कश्मीर घाटी और जम्मू के मुसलमानों के बीच अपनी और अपनी सरकार की मुसलिम विरोधी छवि को बदलने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर हमारे देश का मुकुट है। इसकी रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के अंसख्य बेटे-बेटियों ने बलिदान दिया है। पुंछ ज़िले के मौलवी गुलामदीन, जिन्होंने 65 की लड़ाई में घुसपैठियों के बारे में भारतीय सेना को बताया था उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। कर्नल सोनम वांगुचक ने कागरिल में घुसपैठियों को धूल चटा दी थी। उन्हें महावीर चक्र मिला था। राजौरी की रुखसाना कौसर ने एक बड़े आतंकी को मार गिराया था, उन्हें भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।’ मोदी ने कुछ महीनों पहले शहीद हुए जम्मू-कश्मीर के जवान औरंगज़ेब को भी याद करके घाटी के लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की। 

अपने भाषण में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की जनता से ‘नए भारत’ के साथ ‘नए जम्मू-कश्मीर’ और ‘नए लद्दाख’ का निर्माण करने की अपील की। इतने आश्वासनों और वादों के बावजूद कश्मीर घाटी में जिस तरह की स्थिति है उसमें प्रधानमंत्री मोदी के लिए कश्मीरियों का दिल जीतना एक बड़ी चुनौती है।

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