बीबीसी पर कार्रवाई से भारत की छवि ख़राब होगी: प्रेस क्लब
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के बाद अब प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने भी बीबीसी के दफ़्तरों पर आयकर विभाग की कार्रवाई की निंदा की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया यानी पीसीआई ने मंगलवार को नई दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों में आयकर विभाग के सर्वेक्षणों की निंदा की।
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने ट्वीट कर कहा, 'प्रेस क्लब को इस बात की गहरी चिंता है कि अंतरराष्ट्रीय प्रसारण नेटवर्क पर सरकार की कार्रवाई से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा और छवि को नुक़सान पहुंचेगा। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह अपनी एजेंसियों को मीडिया को डराने-धमकाने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने से रोके।'
The Press Club is deeply concerned that the government’s action on an international broadcasting network will damage the reputation and image of India as the world’s largest democracy. We urge the govt to restrain its agencies from misusing their powers to intimidate the media pic.twitter.com/h41vQjeWVs
— Press Club of India (@PCITweets) February 14, 2023
पीसीआई ने बयान में कहा, 'हालिया छापे हाल के दिनों में सरकारी एजेंसियों द्वारा मीडिया पर किए गए हमलों की एक श्रृंखला का हिस्सा हैं, खासकर मीडिया के उन वर्गों के खिलाफ जिन्हें सरकार शत्रुतापूर्ण मानती है।'
इसने सरकार से अपनी एजेंसियों को मीडिया को डराने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने से रोकने की अपील की। पीसीआई ने कहा कि अगर सरकार को रिपोर्ट से कोई दिक्कत है तो उसे इसे संबंधित कार्यालय के समक्ष उठाना चाहिए।
इससे पहले एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया यानी ईजीआई ने भी "सर्वे" के बारे में गहरी चिंता जताई है। ईजीआई ने एक बयान में कहा, सत्तारूढ़ सरकार की आलोचना करने वाले समाचार संगठनों को डराने और परेशान करने के लिए सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति से ईजीआई व्यथित है।
गिल्ड ने याद दिलाया कि 2021 में न्यूज़क्लिक, न्यूज़लॉन्ड्री, दैनिक भास्कर और भारत समाचार के कार्यालयों में आईटी सर्वे किए गए थे। गिल्ड ने कहा, हर मामले में, छापे और सर्वे समाचार संगठनों द्वारा सरकारी प्रतिष्ठान के महत्वपूर्ण कवरेज की पृष्ठभूमि के खिलाफ थे। यह एक प्रवृत्ति है जो संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करती है।
गिल्ड ने अपनी पहले की मांग को दोहराया कि सरकारें तय करें कि इस तरह की जांच निर्धारित नियमों के भीतर की जाए और वे स्वतंत्र मीडिया को डराने के लिए उत्पीड़न का साधन नहीं बनें।
विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से जोड़ा है। कांग्रेस ने कहा है कि 'पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया और अब बीबीसी पर आईटी का छापा पड़ गया है।' कांग्रेस ने इसे 'अघोषित आपातकाल' क़रार दिया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि 'विनाशकाले विपरीत बुद्धि'। उन्होंने कहा है कि 'यहाँ हम अडानी के मामले में जेपीसी की मांग कर रहे हैं और वहाँ सरकार बीबीसी के पीछे पड़ी हुई है।' समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस कार्रवाई को 'वैचारिक आपातकाल की घोषणा' क़रार दिया है।
बता दें कि बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक दो-भाग की श्रृंखला में डॉक्यूमेंट्री आयी है। बीबीसी ने इस सीरीज के डिस्क्रिप्शन में कहा है कि 'भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच तनाव को देखते हुए 2002 के दंगों में उनकी भूमिका के बारे में दावों की जांच कर रहा है, जिसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे।'
जब इस डॉक्यूमेंट्री की ख़बर मीडिया में आई तो भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी श्रृंखला की कड़ी निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि 'झूठे नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए प्रोपेगेंडा डिजाइन किया गया'। केंद्र सरकार ने भारत में इसे झूठा और प्रोपेगेंडा कहकर प्रतिबंधित कर दिया है।
20 जनवरी को केंद्र ने यूट्यूब और ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था। आदेश में कहा गया था कि यह भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने वाला पाया गया, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध और देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है।