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सरकार दिसंबर तक सबको वैक्सीन कैसे लगवा पाएगी?

सरकार दिसंबर तक सबको वैक्सीन कैसे लगवा पाएगी?

राहुल गाँधी ने देश में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया तो केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दावे कर दिए कि इस साल के आख़िर यानी दिसंबर 2021 तक सभी लोगों को वैक्सीन लगा दी जाएगी। लेकिन क्या यह संभव है?

वैक्सीन ही कोरोना संकट से निकलने का एक रास्ता है, यह अब साफ़ हो गया है। तो भारत में वैक्सीन की क्या स्थिति है?

जब कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने देश में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया तो सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सफ़ाई देने आए। सफ़ाई क्या दी, उन्होंने दावे कर दिए कि इस साल के आख़िर यानी दिसंबर 2021 तक सभी लोगों को वैक्सीन लगा दी जाएगी। वैसे, यह ख़बर तो है ख़ुश होने वाली, लेकिन क्या यह संभव है? सरकार ने यह दावा किस आधार पर किया और जो दावे किए गए वे कहाँ टिकते हैं?

सरकार ने जो यह लक्ष्य रखा है, क्या इसे पाना आसान है? इस सवाल का जवाब कोरोना वैक्सीन के निर्माण और संभावित निर्माण की स्थिति से मिल सकता है। 

भारत की आबादी 135-140 करोड़ के आसपास है। लेकिन 18 साल से कम उम्र की आबादी को छोड़कर, कुल 106 करोड़ लोग हैं। हालाँकि, अब अमेरिका में 12 साल तक के लोगों को टीके लगने लगे हैं और भारत में भी 2 साल से ऊपर के बच्चों पर भी टीके लगाने का ट्रायल किया जाना है तो बच्चों को टीके लगाए जाने की स्थिति में यह संख्या और बढ़ जाएगी। 

बहरहाल, अगर इन 106 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा जाए तो भी 212 करोड़ खुराक चाहिए। सरकार का दावा है कि अब तक क़रीब 20 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी है। यानी क़रीब 192 करोड़ खुराक की अभी भी ज़रूरत है।

इस हिसाब से भारत में अब से दिसंबर तक यानी 7 महीने में हर रोज़ क़रीब 92 लाख टीके हर रोज़ लगाए जाने चाहिए। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है? स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के अनुसार एक दिन पहले ही 24 घंटे में 29,19,699 खुराक लगाई गई। 

तो देश के सभी लोगों को टीके लगाने का लक्ष्य कैसे पूरा किया जाएगा? इसे समझने के लिए प्रकाश जावड़ेकर के दावे पर ग़ौर करें। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ़-साफ़ बता दिया है कि इस साल अगस्त-दिसंबर तक 210 करोड़ टीके उपलब्ध होंगे। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के जिस दावे का ज़िक्र किया है उसके अनुसार कहा गया है कि कोविशील्ड की 75 करोड़, कोवैक्सीन की 55 करोड़, बायो ई सब यूनिट वैक्सीन 30 करोड़, जायडस कैडिला डीएनए वैकासीन 5 करोड़, सीरम इंस्टीट्यूट- नोवावैक्स की 20 करोड़, बीबी नेजल वैक्सीन 10 करोड़, जिनोवा वैक्सीन 6 करोड़ और स्पुतनिक की वैक्सीन 15.6 करोड़ उपलब्ध होगी। 

लेकिन सवाल है कि क्या ये कंपनियाँ दिसंबर महीने तक इतनी खुराक उपलब्ध करा पाएँगी?

देश में सबसे ज़्यादा जिन कंपनियों की वैक्सीन मिलने वाली है उनके आँकड़ों का ही विश्लेषण कर पूरी स्थिति को समझा जा सकता है। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत बायोटेक शामिल हैं।

सीरम इंस्टीट्यूट के बारे में कहा गया है कि पाँच महीने में वह 75 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराएगा। इस हिसाब से 15 करोड़ खुराक हर महीने यानी क़रीब 50 लाख खुराक प्रति दिन। लेकिन क्या सीरम इंस्टीट्यूट इतनी खुराक बना पाएगा?

हाल ही में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट के पास 6.5 करोड़ खुराक हर महीने तैयार करने की क्षमता है और बाद में वह इसे और बढ़ाएगा। 'लाइव मिंट' ने पीटीआई के हवाले से लिखा है कि सीरम इंस्टीट्यूट अगस्त महीने तक 10 करोड़ हर महीने वैक्सीन बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा। इसका मतलब है कि कंपनी तेज़ी लाने के बाद भी हर रोज़ 33.33 लाख खुराक तैयार कर पाएगी। तो सवाल है कि यह अगस्त-दिसंबर के बीच पाँच महीने में 75 करोड़ खुराक कैसे तैयार करेगी?

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सरकार के अनुसार भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की अगस्त से दिसंबर तक पाँच महीने में 55 करोड़ खुराक उपलब्ध होगी। इसका मतलब है कि इसके लिए कंपनी को हर महीने 11 करोड़ खुराक यानी हर रोज़ क़रीब 36.6 लाख खुराक तैयार करनी होगी। 'द हिंदू' की 20 अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार भारत बायोटेक के पास सालाना 70 करोड़ वैक्सीन तैयार करने की क्षमता है। इसका मतलब है कि हर महीने यह 5.8 करोड़ वैक्सीन यानी हर रोज़ क़रीब 19 लाख वैक्सीन की खुराक कंपनी तैयार कर सकती है। 

हालाँकि भारत बायोटेक की वैक्सीन के बारे में एक और दावा है। हाल ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि भारत बायोटेक अपनी निर्माण क्षमता जुलाई तक बढ़ाकर 5.5 करोड़ खुराक हर महीने यानी क़रीब 18 लाख खुराक हर रोज़ करने वाली है। 

जाहिर है सरकार द्वारा कही गई बात के अनुसार यह क़रीब 36 लाख खुराक हर रोज़ तैयार करने के लक्ष्य से काफ़ी कम है। 

हालाँकि, इसमें एक दावा यह किया जा सकता है कि भारत बायोटेक द्वारा विकसित इस वैक्सीन को दूसरी कंपनियों से भी टीके तैयार करवाए जाएँगे। तो आपको बता दें कि कि 'द क्विंट' की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने अब तक इसके लिए दो सरकारी कंपनियों को मंजूरी दी है- मुंबई के हाफकाइन बायो फर्मास्यूटिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड यानी आईआईएल और बीआईबीसीओएल। रिपोर्ट के अनुसार हाफकाइन के मैनेजिंग डाइरेक्टर संदीप राठौड़ा का कहना है कि उनकी कंपनी हर साल 22.8 करोड़ खुराक यानी हर रोज़ क़रीब 6.3 लाख खुराक तैयार कर सकती है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन अगले 8-10 महीने बाद ही लोगों को उपलब्ध हो पाएगी। बीआईबीसीओएल ने कहा है कि कंपनी नवंबर में ही इसका उत्पादन शुरू कर सकती है। इसका मतलब साफ़ है कि इन कंपनियों की वैक्सीन इस साल बहुत कम ही उपलब्ध हो पाएँगी।

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इसके अलावा दूसरी कंपनियों की वैक्सीन के भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध होने की उम्मीद ज़्यादा उत्साहजनक नहीं है। बायो ई सब वैक्सीन को अभी तीसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी मिली है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की नोवावैक्स की वैक्सीन के लिए भी दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। हालाँकि, रूस से स्पुतनिक वैक्सीन की कुछ खुराक आयात की गई हैं, लेकिन भारत में निर्मित इसके टीके अभी नहीं आए हैं। डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज द्वारा जुलाई तक 30 लाख से लेकर 1.2 करोड़ खुराक हर महीने तैयार किए जाने की उम्मीद है।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस साल सभी को टीका लगाने का वह लक्ष्य कैसे पूरा होगा? पाँच महीने में 216 करोड़ यानी हर महीने क़रीब 43 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन कैसे होगा?

यहाँ बता दें कि सरकार ने फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों का ज़िक्र नहीं किया है। ऐसा इसलिए भी है कि इनसे वैक्सीन को लेकर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। दुनिया भर में टीके की जबरदस्त मांग है। हर कोई वैक्सीन जल्दी लगवाना चाहता है, लेकिन इतनी आपूर्ति है नहीं। सरकार ने ऐसी कंपनियों को पहले से ऐसा कोई ऑर्डर तो दिया नहीं है कि टीके की आपूर्ति के लिए उनकी मजबूरी हो। अब देखना है कि सरकार का इस साल तक सबको वैक्सीन लगवाने का दावा कैसे पूरा होता है। 

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