कृषि विधेयक: बीजेपी का सबसे पुराना साथी अकाली दल ने भी एनडीए का साथ छोड़ा

08:39 am Sep 27, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

बीजेपी का सबसे पुराना साथी रहे शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए का साथ छोड़ दिया है। विवादास्पद तीन कृषि विधेयकों पर असहमति व्यक्त करते हुए अकाली दल ने शनिवार देर शाम को एनडीए से अलग होने की घोषणा की। दस दिन पहले ही अकाली दल ने मोदी मंत्रिमंडल से अलग होने का फ़ैसला लिया था और तब हरसिमरत कौर ने इस्तीफ़ा दे दिया था। अकाली किसानों के साथ खड़े होने का दावा करते हुए मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाणा में किसानों में ज़बरदस्त ग़ुस्से के बाद अकाली दल बीजेपी के ख़िलाफ़ आया है। शिवसेना के बाद अकाली दल ऐसी दूसरी पार्टी है जो एनडीए के सबसे पुराने साथी थी और जो बीजेपी से नाराज़ होकर अलग हो गई। 

एनडीए का साथ छोड़ने की घोषणा करते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने संवाददाताओं से कहा, 'कृषि विधेयकों पर सरकार का निर्णय न केवल किसानों, बल्कि खेत मज़दूर (खेत मज़दूर), व्यापारी, आढ़तिये (कमीशन एजेंट) और दलित जो कृषि पर निर्भर हैं, सभी के हितों पर गहरी चोट है।'

शिरोमणि अकाली दल की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कोर कमेटी ने शनिवार रात को आपातकालीन बैठक की। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि 'बैठक में कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से बीजेपी नीत एनडीए को छोड़ने का फ़ैसला किया।' बयान में कहा गया है कि यह फ़ैसला इसलिए लिया गया क्योंकि केंद्र सरकार ने किसान की फ़सल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बचाव के लिए क़ानूनी गारंटी देने से बार-बार इनकार किया। बयान में पंजाबी और सिख के मुद्दों के प्रति असंवेदनशीलता बरतने का भी आरोप लगाया गया है। 

एनडीए से अलग होने और बीजेपी का साथ छोड़ने का अकाली दल का यह फ़ैसला पंजाब में किसानों के एक दिन बंद के फ़ैसले के बाद आया है।

यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसानों में कृषि से जुड़े इन विधेयकों के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा है। केंद्र की मोदी सरकार तीन कृषि विधेयक लेकर आई है। इनको लेकर यह कहा जा रहा है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र ज़रिया है, विधेयक इसे भी ख़त्म कर देंगे। इसके अलावा कहा जा रहा है कि ये विधेयक साफ़ तौर पर मौजूदा मंडी व्यवस्था को ख़त्म करने वाले हैं। इन दोनों राज्यों के किसान पिछले तीन महीने से तब से प्रदर्शन कर रहे हैं जब इन विधेयकों से पहले अध्यादेश लाए गए थे। 

अकालियों ने शुरू में इन विधेयकों का समर्थन किया था, लेकिन जब देखा कि पंजाब और हरियाणा में किसानों में इसको लेकर ज़बरदस्त ग़ुस्सा है तो अपनी रणनीति बदली। इसके बाद से ही अकाली राज्य में संभावित नुक़सान की भरपाई की कोशिश कर रहे हैं और केंद्र से किसानों की चिंताओं को दूर करने अपील कर रहे हैं। हालाँकि इसके बावजूद बीजेपी इन विधेयकों पर अड़ी है। इसी के विरोध में अकाली दल ने संसद में उनके ख़िलाफ़ विधेयकों का समर्थन वापस लेने और उनके ख़िलाफ़ मतदान करने का फ़ैसला किया। तब अकाली दल के प्रमुख और हरसिमरत कौर के पति सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि अकाली दल सरकार और बीजेपी का समर्थन जारी रखेगा लेकिन 'किसान विरोधी राजनीति' का विरोध करेगा। उसी दिन हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था।