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क्या पीएम मोदी के महाकुंभ स्नान का दिल्ली चुनाव 2025 से संबंध है? 

क्या पीएम मोदी के महाकुंभ स्नान का दिल्ली चुनाव 2025 से संबंध है? 

प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को इलाहाबाद में संगम पर जाकर स्नान करेंगे। बुधवार 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान है। मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं। मतदान वाले दिन वे कहीं न कहीं हिन्दुत्व का प्रचार कर रहे होते हैं। 

एक तरफ दिल्ली 5 फरवरी को मतदान के लिए तैयार है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को ही महाकुंभ में संगम स्नान के लिए प्रयागराज जा रहे हैं। उनका वहां जाना चर्चा का विषय है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि 5 फरवरी को कुंभ में पीएम मोदी की यात्रा चुनावी रणनीति का हिस्सा है। महाकुंभ में 29 जनवरी को भगदड़ मची थी, जिसमें सरकार के मुताबिक 30 मौतें हुई थीं। हिन्दुओं के इतने बड़े पर्व में ऐसी भीषण घटना पर प्रधानमंत्री क्यों नहीं गये। उस दिन या उसके अगले दिन पीएम का जाना तो बनता था। इसलिए जब 5 फरवरी का दिन चुना गया है तो जाहिर सी बात है कि चारों तरफ इसकी चर्चा हो गई है।

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग ढांढा का कहना है कि "जैसे ही दिल्ली में मतदान शुरू होगा, प्रधानमंत्री मोदी कुंभ स्नान करेंगे। यह स्पष्ट रूप से एक सोची-समझी योजना को दर्शाता है, क्योंकि यह दिन चुनावी नजरिये से महत्वपूर्ण है।" उन्होंने भाजपा पर राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाने का आरोप लगाया। हालांकि, भाजपा ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

क्या केजरीवाल भी जाएंगेआप प्रवक्ता से जब पूछा गया कि क्या दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कुंभ में जाएंगे, तो अनुराग ढांढा ने स्पष्ट किया कि केजरीवाल 5 फरवरी के बाद अपने परिवार के साथ महाकुंभ में जाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल कुंभ में जरूर जाएंगे, लेकिन उनकी यात्रा पीएम मोदी की यात्रा जैसी नहीं होगी।

मोदी और बीजेपी को इसकी परवाह नहीं है। वे आये दिन इस तरह का धार्मिक प्रचार करते रहते हैं, जिसका मकसद राजनीतिक होता है। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है, जो लाखों भक्तों को पवित्र स्नान के लिए आकर्षित करता है। अब तक, प्रयागराज में चल रहे कुंभ में लाखों भक्तों ने भाग लिया है। चुनाव के मौसम में, धार्मिक आयोजनों में प्रमुख राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति अक्सर बहस का विषय बनती है। पिछले चुनावों में, भाजपा और अन्य दलों के नेता धार्मिक समारोहों में शामिल हुए हैं, जिस पर विपक्षी दलों ने उन पर 'धार्मिक राजनीति' करने का आरोप लगाया है।

अप्रैल 2024 याद कीजियेआम चुनाव 2024 की गहमागहमी थी। पीएम मोदी जोरदार तरीके से हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण कराने वाले भाषण दे रहे थे। चुनाव आयोग मूक दर्शक बना हुआ था। उसी दौरान हिन्दू कैलेंडर का सावन मास भी था। जिसका उत्तर भारत के हिन्दुओं में काफी महत्व है। मोदी की उधमपुर में रैली थी। उधमपुर में अपने भाषण के दौरान, मोदी ने मांसाहारी भोजन खाने वाले विपक्षी नेताओं की तुलना मुगलों से की। मोदी ने वहां कहा था- ''हर किसी को शाकाहारी या मांसाहारी खाने की आजादी है। लेकिन इन लोगों के इरादे तो कुछ और ही हैं। जब मुगल हमला करते थे तो वे किसी शासक को हराकर संतुष्ट नहीं होते थे। जब तक वे मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों को नष्ट नहीं कर देते, तब तक वे संतुष्ट नहीं होते थे। मोदी ने कहा “कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को देश के अधिकांश लोगों की भावनाओं की परवाह नहीं है। उन्हें लोगों की भावनाओं से खेलने में मजा आता है। सावन के महीने में कोई जमानत पर बाहर है, कोई कोर्ट से सजा काट चुका है, ऐसे लोगों के घर सावन के महीने में जाकर मटन पकाते हुए मौज-मस्ती कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने देश के लोगों का मजाक उड़ाने के लिए एक वीडियो भी बनाया है।” बता दें कि मोदी अप्रत्यक्ष रूप से नेता विपक्ष राहुल गांधी और लालू यादव का जिक्र कर रहे थे।

अप्रैल में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने अपने भाषणों में राम मंदिर का जिक्र किया। उदाहरण के लिए, 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक रैली में, मोदी ने कांग्रेस पर राम लला का "अपमान" करने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा-  “इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने हमेशा राम मंदिर के निर्माण से नफरत की है और जो जारी रहेगी। मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए अदालतों में जो कर सकते थे, किया। फिर भी प्राण प्रतिष्ठा में सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया गया, तो उन्होंने राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। और राम लला का अपमान किया।” उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीग का घोषणापत्र करार दिया था।

लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें चरण का मतदान 1 जून को था। मोदी 30 मई को कन्याकुमारी जा पहुंचे और वहां 31 मई तक ध्यान लगाया। उसका लाइव प्रसारण गोदी मीडिया के चैनलों ने किया था। गोदी मीडिया ने मोदी के ध्यान की तुलना स्वामी विवेकानंद के यहां 132 साल पहले ध्यान लगाने से कर डाली।


इसी तरह 2019 के चुनाव के दौरान पीएम मोदी केदारनाथ की गुफा में जा पहुंचे थे। वहां भी टीवी कैमरा गया था। गोदी मीडिया ने केदारनाथ में ध्यान लगाने का भी लाइव प्रसारण किया था। इसी तरह मोदी के अनगिनत धार्मिक कार्यक्रम हैं, जिनका कोई न कोई मकसद होता है। मोदी को किसी अन्य धर्म के कार्यक्रम में बहुत दुर्लभ देखा गया है। बीजेपी के अन्य नेता भी मोदी के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तो आये दिन गोरखपुर में गोरखधाम में पूजा करने पहुंच जाते हैं। गायों को चारा खिलाते उनकी तस्वीर अक्सर सामने आ जाती है।  

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