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जाति जनगणना पर मोदी सरकार झुकीः अमित शाह का संकेत क्या है, जानिए

जाति जनगणना पर मोदी सरकार झुकीः अमित शाह का संकेत क्या है, जानिए

मोदी सरकार जाति जनगणना पर झुकती नजर आ रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलावर को मोदी सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए जो प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, उसी में उन्होंने इसका संकेत छोड़ा है। जानिए क्या कहा अमित शाह नेः

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार जाति जनगणना कराएगी, जो विपक्ष की प्रमुख मांग है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को इस संभावना से इनकार नहीं किया, उन्होंने कहा कि जनगणना, जो 2021 से लंबित है, उसकी घोषणा के समय इसका फैसला लिया जाएगा। यानी सरकार जब देश में आम जनगणना की घोषणा करेगी तो उसी समय जाति जनगणना पर अपना रुख साफ कर देगी। इससे पहले सरकारी सूत्रों ने बताया था कि सरकार जनगणना वाले कालम में ही जाति का कालम देगी और ऐसा करने पर उसे जाति जनगणना नहीं कराना पड़ेगी।

एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर एक संवाददाता सम्मेलन में मंगलवार को गृह मंत्री ने कहा कि गणना "बहुत जल्द" शुरू होगी।

जाति जनगणना का मुद्दा विपक्ष ने सधे हुए तरीके से आगे बढ़ाया है। पिछले दो वर्षों से नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग शुरू की। भाजपा और आरएसएस ने अप्रत्यक्ष रूप से जाति जनगणना का विरोध किया। हाल ही में आरएसएस ने कहने को तो जाति जनगणना का समर्थन किया था लेकिन उसने समाज को जातियों में बंटने और नफरत बढ़ने की आशंका जताई थी। उसने कई किन्तु परन्तु लगाते हुए कहा था कि जाति जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल चुनाव के लिए नहीं किया जाए। राहुल गांधी ने जब दो साल पहले इस मांग को सार्वजनिक मंचों से उठाना शुरू किया तो बिहार में तत्कालीन महागठबंधन (आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस) सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति सर्वे करा डाला था और उस आधार पर आरक्षण की नई व्यवस्था लागू करने की घोषणा की थी। उसके बाद नीतीश ने पलटी मारी और भाजपा के साथ गठबंधन कर नए सिरे सरकार बनाई। राहुल के बाद राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की मांग समाजवादी पार्टी और आरजेडी ने रखी।

वक्फ संशोधन विधेयक के बारे में पूछे जाने पर, जिसे संसदीय समिति को भेजा गया है, उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले दिनों में इसे पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने यह भी कहा कि एनडीए सरकार के मौजूदा कार्यकाल में एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रस्ताव को लागू किया जाएगा। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मोदी एक साथ चुनाव की वकालत कर रहे हैं।

बहरहाल, अमित शाह ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई अन्य सवालों के जवाब भी दिये। मणिपुर में हाल की हिंसा और इससे निपटने की सरकार की योजना के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, शाह ने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना शुरू कर दिया गया है, जिसे उन्होंने समस्याओं का “उत्पत्ति” बताया है। उन्होंने कहा कि 100 दिनों में 30 किलोमीटर की बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है और सरकार ने पूरी 1,500 किलोमीटर लंबी सीमा के लिए बजट को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, सरकार ने म्यांमार के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था को निलंबित कर दिया है।

अमित शाह ने कहा कि “सीआरपीएफ को रणनीतिक स्थानों पर सफलतापूर्वक तैनात किया गया है… सीमा पर कई सुरक्षा खामियां थीं जिन्हें ठीक कर लिया गया है। हाल ही में तीन दिन हिंसक घटनाएं हुईं. इसके अलावा पिछले तीन महीने में कोई बड़ी घटना नहीं हुई। मुझे उम्मीद है कि हम इस पर नियंत्रण पाने में सफल होंगे। जब तक दोनों गुटों के बीच बातचीत नहीं होगी तब तक कोई समाधान नहीं निकल सकता। हम कुकी समूहों और मैतेई समूहों के साथ बातचीत कर रहे हैं। हमने हर तरह के प्रयास करने का रोडमैप बनाया है।''

2024 में 240 सीटें जीतने वाली भाजपा बहुमत के लिए टीडीपी, जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सहित अपने सहयोगियों पर निर्भर है। जाति जनगणना का भाजपा का समर्थन कर रही एलजेपी (रामविलास पासवान) ने भी कहा है कि जाति जनगणना चाहिए। इसी तरह एक देश एक चुनाव को लेकर एनडीए दलों की राय बंटी हुई है। वक्फ बिल पर एनडीए दलों की राय अलग-अलग है। इस तरह मोदी सरकार के लिए इन मुद्दों पर समर्थन हासिल करना आसान नहीं होगा।

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