महाराष्ट्र के दिग्गज एनसीपी नेता शरद पवार और बिजनेसमैन गौतम अडानी के बीच हुई मुलाकात पर बवाल मच गया है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने शरद पवार पर तीखा बोला है।
पवार-अडानी की मुलाकात पर महुआ ने कहा कि किसी भी नेता को गौतम अडानी के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए। अडानी के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपना रहीं महुआ मोइत्रा ने दावा किया कि एक अडानी ने अपने 'दोस्तों/व्हीलर डीलरों' के माध्यम से उनसे और कुछ अन्य लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए।
महुआ ने यह भी कहा कि उनके पास आमने-सामने बैठकर बात करने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तब तक "किसी भी राजनेता को उनके साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए।"
महुआ ने शरद पवार पर हमला करने के लिए हिंदी की एक कहावत का भी प्रयोग किया और कहा कि उन्हें "महान मराठों का मुकाबला करने में कोई डर नहीं है”। उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि "केवल आशा कर सकते हैं कि उनके पास पुराने रिश्तों को निभाने से पहले देश को प्राथमिकता देने की समझ होगी। वे शरद पवार पर हमला करते हुए केवल यहीं नहीं रुकी उन्होंने कहा कि मेरा यह ट्वीट विपक्षी एकता के विरोध में बिल्कुल भी नहीं, बल्कि जनता के हित में है।
पिछले हफ्ते शरद पवार ने अडानी समूह के आधिपत्य वाली एनडीटीवी को इंटरव्यू दिया था। उस इंटरव्यू में उन्होंने अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर उनका बचाव किया था। इस इंटरव्यू में पवार ने विपक्ष की जेपीसी की मांग को भी अनुचित कहा था। इस मांग को लेकर विपक्ष ने पूरे बजट सत्र में हंगामा किया जिससे बजट सत्र में बहुत मामूली सा ही काम हो पाया, यहां तक कि सरकार ने बजट को भी बिना चर्चा के पास करा लिया।
पवार के उस इंटरव्यू को विपक्षी एकता के खिलाफ भी देखा गया था, क्योंकि उस समय लगभग संपूर्ण विपक्ष अडानी समूह के खिलाफ जेपीसी की मांग कर रहा था। विपक्षी एकता के खिलाफ काम करने और अडानी का बचाव करने को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने इस मसले पर पवार की आलोचना की थी।
लगातार हो रही आलोचना के बाद पवार ने अपने बयान से पल्टी मारते हुए विपक्षी एकता के खिलाफ नहीं जाने की बात कही थी। और विपक्ष की मांग को अपना भी समर्थन दे दिया था।
उसके तुरंत बाद फिर गौतम अडानी से मुलाकात के बाद इस एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार मुखर है। राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के पीछे बड़ा कारण उनके द्वारा लगातार अडानी मुद्दे को उठाया जाना भी माना जा रहा है। कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के तहत एक गठबंधन में हैं और करीब ढाई साल एक साथ सरकार भी चला चुके हैं।