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केरल के कांग्रेसी नेताओं को चेतावनी के साथ क्या थरूर मामला खत्म?

केरल के कांग्रेसी नेताओं को चेतावनी के साथ क्या थरूर मामला खत्म?

केरल के कांग्रेस नेताओं को कांग्रेस आलाकमान ने अनुशासन में रहने की चेतावनी दी है। इसी के साथ शशि थरूर विवाद को निपटा दिया गया है। बैठक के बाद दावा भी किया गया कि कोई मतभेद नहीं है। लेकिन क्या इस बैठक के बाद शशि थरूर और अन्य विवाद खत्म हो पायेंगे।

कांग्रेस आलाकमान ने शुक्रवार को केरल के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की और उन्हें अपनी "निजी राय" व्यक्त न करने के सख्त निर्देश दिए। सूत्रों के अनुसार, "अनुशासन इस बैठक का मुख्य बिंदु रहा।" इसके बावजूद केरल के कई कांग्रेस नेताओं ने "पार्टी लाइन के खिलाफ बयान" देने पर चिंता जताई। विवाद के केंद्र में शशि थरूर हैं। हालांकि थरूर ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। लेकिन तमाम संशय बरकरार हैं।

यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी के महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने बुलाई थी। इसमें शामिल होने वालों में केरल कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरन, केरल विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता वी डी सतीशन, एआईसीसी प्रभारी दीपा दासमुंशी, वरिष्ठ पार्टी नेता रमेश चेन्नितला, प्रियंका गांधी वाड्रा और शशि थरूर सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल थे।

बैठक में शामिल एक सूत्र ने कहा, "पार्टी आलाकमान को बताया गया कि किस तरह के गैर-जिम्मेदार बयान पार्टी की छवि को धूमिल कर रहे हैं और राज्य सरकार के खिलाफ एक नैरेटिव बनाना मुश्किल बना रहे हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने स्पष्ट निर्देश दिए कि नेता मीडिया से बात करते समय अपने निजी विचार न दें और पार्टी के रुख पर कायम रहें।"

पार्टी हाईकमांड के ये निर्देश ऐसे समय आए हैं जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार की तारीफ में थरूर के लेख ने प्रदेश कांग्रेस नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया था। लेकिन थरूर ने फौरन ही स्थिति साफ कर दी। एक मलयालम पॉडकास्ट वार्तामानम पर थरूर ने पार्टी को नए मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपना आधार बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। थरूर ने कहा "राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर, कांग्रेस केवल अपने प्रतिबद्ध वोट बेस के साथ नहीं जीत सकती। यह एक वास्तविकता है। यदि आप राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो कांग्रेस का वोट लगभग 19% है। क्या हम अपने इस वोट बेस के साथ ठीक रहेंगे? केवल तभी जब हम 26-27% अतिरिक्त वोट प्राप्त करें, तभी हम सत्ता में आ सकते हैं। इसलिए, हमें उन लोगों की आवश्यकता है जिन्होंने पिछले दो चुनावों में हमारा समर्थन नहीं किया है।" 

शुक्रवार की बैठक के बाद, दीपा दासमुंशी ने संवाददाताओं से कहा कि जो पार्टी नेता हाईकमांड के निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। दासमुंशी ने कहा, "हमारे पार्टी अध्यक्ष खड़गे जी ने कहा कि हमें पहले पार्टी में अनुशासन का पालन करना चाहिए। दूसरा, नेताओं को एकजुट होना चाहिए और सामूहिक नेतृत्व होना चाहिए और हमें अपने कार्यकर्ताओं को कम नहीं आंकना चाहिए। राहुल जी ने कहा... हमें ऐसा कुछ नहीं बोलना चाहिए जो केरल के लोगों के खिलाफ जाए। अगर कोई व्यक्तिगत रूप से उस लाइन को पार करता है, तो इसका मतलब है कि वह केरल के लोगों का अपमान कर रहा है।"

उन्होंने यह भी कहा कि "पार्टी की राज्य इकाई में कोई भी एलडीएफ या भाजपा का समर्थक नहीं है।" "हमने तय किया कि कांग्रेस का एक नैरेटिव होना चाहिए और कोई भी इस नैरेटिव से अलग अपनी राय नहीं देगा। सभी को एक ही लाइन पर, एक ही आवाज में बोलना चाहिए।"

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह किसी विशेष नेता के बारे में है, तो उन्होंने कहा कि यह "सामान्य निर्देशों" का हिस्सा है। दीपा दासमुंशी ने कहा, "शशि थरूर जी ने जो स्पष्ट किया है, वह बहुत ही स्पष्ट तरीके से किया है और इस पर कोई भ्रम नहीं है। मुझे नहीं पता कि मीडिया हमेशा शशि थरूर का नाम क्यों लेते हैं... यह आम तौर पर सभी को बताया गया है कि पार्टी लाइन को पार करने वाले और पार्टी के खिलाफ कुछ कहने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"

खड़गे ने एक्स एक पोस्ट में कहा कि "केरल में बदलाव अनिवार्य है। हम अपने यूडीएफ को सत्ता में लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। अगले साल, लोग राज्य में दोनों दमनकारी और सांप्रदायिक मोर्चों को हरा देंगे।" 

हाल ही में थरूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीफ करने के लिए कुछ कांग्रेस नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा था कि इससे भारतीयों के लिए कुछ पॉजिटिव नतीजे सामने आए हैं। इसके बाद उन्होंने राज्य की वामपंथी सरकार की भी तारीफ की थी। थरूर के इस कदम से केरल कांग्रेस के नेता उबल पड़े। कांग्रेस ने शुक्रवार की बैठक इसी मुद्दे पर बुलाई थी। हालांकि विवाद खत्म हो गया है लेकिन क्या शशि थरूर इससे काबू आयेंगे। कहना मुश्किल है। क्योंकि वो अपने स्वतंत्र विचारों के लिए जाने जाते हैं और खुलकर राय रखते हैं।

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