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जाति जनगणनाः कांग्रेस ने RSS से पूछे सवाल, लालू ने कहा- 'कान पकड़कर उठक-बैठक कराएंगे'

जाति जनगणनाः कांग्रेस ने RSS से पूछे सवाल, लालू ने कहा- 'कान पकड़कर उठक-बैठक कराएंगे'

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को जाति जनगणना का समर्थन किया था। हालांकि अभी तक जाति जनगणना पर भाजपा और आरएसएस के विचार विरोध में रहे हैं। पीएम मोदी तो सीधा अटैक कर चुके हैं। लेकिन आरएसएस के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी और आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और आरएसएस से सवाल किए हैं।

आरएसएस के जाति जनगणना पर बयान के एक दिन बाद, कांग्रेस ने मंगलवार को संघ पर हमला किया और हैरानी जतायी कि क्या प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पुरानी पार्टी की एक और गारंटी को "हाइजैक" कर लेंगे और जाति जनगणना कराएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सोमवार को जाति जनगणना को अपना समर्थन देते हुए कहा था कि सरकार को इसे डेटा उद्देश्यों के लिए कराना चाहिए। हालाँकि, इसने एक शर्त रखी और कहा कि जाति जनगणना के नतीजों का इस्तेमाल नागरिकों की "कल्याणकारी" जरूरतों के लिए किया जाना चाहिए, न कि "चुनावी उद्देश्यों" के लिए।

कांग्रेस ने मंगलवार को जबरदस्त हमला किया और आरएसएस से सवाल पूछे। पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा- जाति जनगणना को लेकर RSS की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं:  क्या RSS के पास जाति जनगणना पर विषेधाधिकार है? जाति जनगणना के लिए इजाज़त देने वाला RSS कौन है? RSS का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या यह जज या अंपायर है? 

जयराम रमेश ने आगे पूछा कि RSS ने दलितों, आदिवासियों और OBC के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर रहस्यमई चुप्पी क्यों साध रखी है? अब जब RSS ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सवाल किया। खड़गे ने संघ से पूछा-  RSS स्पष्ट रूप से देश को बताएँ कि वो जातिगत जनगणना के पक्ष में है या विरोध में है? देश के संविधान के बजाय मनुस्मृति के पक्ष में होने वाले संघ परिवार को क्या दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग व ग़रीब-वंचित समाज की भागीदारी की चिंता है या नहीं?

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मंगलवार को जाति जनगणना के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा पर तीखा हमला बोला। यादव का हमला आरएसएस द्वारा जाति जनगणना का समर्थन करने के एक दिन बाद आया है। एक्स पर एक पोस्ट में बिहार के पूर्व सीएम ने कहा कि विपक्ष उन्हें इस हद तक मजबूर कर देगा कि उन्हें जाति जनगणना करानी होगी।

लालू प्रसाद का बयान रोचक है। लालू ने कहा- इन RSS/BJP वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा। दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है।

बता दें कि 1 सितंबर को लालू की पार्टी आरजेडी ने देशव्यापी जाति जनगणना की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। आरजेडी़ नेता तेजस्वी यादव ने कहा था- देश भर में जातिगत जनगणना एवं हमारी सरकार द्वारा बढ़ाए गए 65% आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने की माँग को लेकर संविधान व आरक्षण विरोधी एनडीए सरकार के विरुद्ध आरजेडी ने पूरे बिहार में धरना प्रदर्शन किया। 

जाति जनगणना पर सबसे मारक बयान कांग्रेस नेता राहुल गांथी का 25 अगस्त को आया था। राहुल ने उस दिन कहा था-  मोदी जी, अगर आप जाति जनगणना को रोकने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप सपना देख रहे हैं - कोई शक्ति अब इसे रोक नहीं सकती! हिंदुस्तान का order आ चुका है - जल्द ही 90% भारतीय जाति जनगणना का समर्थन और मांग करेंगे। Order अभी लागू कीजिए, या आप अगले प्रधानमंत्री को ये करते देखेंगे। 

पीएम मोदी जब देश में सिर्फ 4 जातियां- महिला, युवा, किसान और गरीब बता रहे थे और भाजपा जाति जनगणना पर चुप थी तो आरएसएस ने रणनीति सोमवार को स्पष्ट कर दी। आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता सुनील अंबेकर ने 2 सितंबर को कहा कि जाति जनगणना लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोगी है लेकिन इसका इस्तेमाल चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। संघ प्रवक्ता ने कहा था-

"जाति संबंधी प्रतिक्रियाएं हमारे समाज में एक संवेदनशील मुद्दा हैं, और वे राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, जाति जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।" अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उप-वर्गीकरण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संबंधित समुदायों की सहमति के बिना कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए।

 

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