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ट्रंप के चुनाव प्रचार के केंद्र में होगी नफ़रत की राजनीति?

ट्रंप के चुनाव प्रचार के केंद्र में होगी नफ़रत की राजनीति?

नवंबर में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डोनल्ड ट्रंप नफ़रत की राजनीति को ही अपना आधार बनाएंगे, यह अभी से साफ़ हो गया है।  

जब अमेरिका कोरोना महामारी से जीवन मरण की लड़ाई लड़ रहा है, और ऐसे में डोनल्ड ट्रंप का ध्यान सबको साथ लेकर चलने पर होना चाहिये, वह अभी भी गंदी और घटिया राजनीति से बाज नहीं आ रहे है। अमेरिका में कोरोना संकट के बीच राष्ट्रपति का चुनाव भी है।

डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ़ से पूर्व उप राष्ट्रपति जो बाइडन उन्हें चुनौती देंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपना इरादा साफ़ कर दिया है कि वो चुनाव जीतने के लिये किसी भी हद तक घटिया और विभाजनकारी राजनीति कर सकते हैं।

बाइडन पर हमला क्यों

बाइडन का नाम आते ही ट्रंप की तरफ़ से एक चुनावी विडियो जारी किया गया है। इस विडियो में ट्रंप ने बाइडन पर हमला करने के लिये नस्लवाद का सहारा लिया है। 

ट्रंप ने बाइडन को उसी तरह चीन परस्त बताया है जैसे भारत में बीजेपी और मोदी चुनाव जीतने के लिये अपने राजनीतिक विरोधियों को पाकिस्तान का दोस्त घोषित कर देते हैं।

बता दें कि अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होना है। ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार होंगे। उन्हें चुनौती देने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से मैदान में उतरेंगे जोजफ़ आर. बाइडन जूनियर, संक्षेप में, जो बाइडन। डेमोक्रेटिक पार्टी ने उनके नाम की विधिवत घोषणा अब तक नहीं की है, पर बर्नी सैंडर्स के अभियान बंद करने के बाद मैदान में अब कोई नहीं बचा है। 

क्या है वीडियो में

इस प्रचार वीडियो में चीन और एशियाई मूल के लोगों को निशाना बनाया गया है। वीडियो में यह बताने की कोशिश की गई है कि जो बाइडन ने चीनी अधिकारियों के साथ अपने रिश्तों के ज़रिए पैसे बनाए। ट्रंप पहले भी यह आरोप कई बार लगा चुके हैं।

इस वीडियो में चीन और उप राष्ट्रपति के रूप में चीन गए जो बाइडन के विजुअल्स को एडिट कर इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही वीडियो में बाइडन को कमज़ोर उप राष्ट्रपति के रूप में पेश किया गया है। इसके लिए उनके पुराने बयानों को एडिट कर लगाया गया है। 

नस्लवादी हमला

बाइडन ने इसे नस्लवाद क़रार दिया है। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘ट्रंप और उनके प्रशासन की ओर से बीच-बीच मे होने वाला नस्लवाद और नियमित रूप से विदेशियों के प्रति नफ़रत देश के लिए मुसीबत बन चुका है।’ उन्होंने कहा, ‘डोनल्ड ट्रंप सिर्फ़ जानते हैं कि लोगों का डर कैसे बढ़ाया जाए, उनकी बेहतरी के लिए कुछ नहीं करते।’ 

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिका में विदेशियों के प्रति नफ़रत और हिंसा बढ़ती जा रही है और चीनी मूल के लोग उनके निशाने पर रहे हैं।

प्रचार वीडियो में कहा गया है, ‘अमेरिका में संकट के समय बाइडन ने चीन के हितों की रक्षा की।’ वीडियो में बाइडन की वह क्लिपिंग लगाई गई है, जिसमें वह चीनियों और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ़ करते हुए देखे जा रहे हैं। इसके साथ ही ट्रंप की वह क्लिपिंग भी जोड़ी गई है, जिसमें वह आरोप लगा रहे हैं कि बाइडन ने अपने बेटे को चीनी निवेश से फ़ायदा दिलवाया। 

चीनी मूल के अमेरिकी गवर्नर पर हमला

इस वीडियों में एक ऐसी तसवीर का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें बाइडन एक चीनी से दिखने वाले व्यक्ति के साथ मुस्कराते हुए खड़े दिखते हैं। यह दिखाने की कोशिश की गई है कि बाइडन किस तरह चीनियों के नज़दीक हैं।

लेकिन इस पूरे मामले में गड़बड़ी यह की गई है कि जिस चीनी दिखने वाले आदमी को बाइडन के साथ दिखाया गया है, वह चीनी नहीं है। वह चीनी मूल का अमेरिकी नागरिक है।

वह कोई और नहीं गैरी लॉक हैं। लॉक वॉशिंगटन राज्य के गवर्नर रह चुके हैं, वह बराक़ ओबामा प्रशासन में वाणिज्य मंत्री और चीन में अमेरिकी  राजदूत भी रह चुके हैं।

यह तसवीर 2013 की है, जब बाइडन उप राष्ट्रपति के रूप में चीन गए थे। लाॉक ने पलटवार करते हुए एशियाई मूल के लोगों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का आरोप ट्रंप पर लगाया है। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘ट्रंप की टीम स्थिति को बदतर बना रही है। एशियाई मूल के अमेरिकी भी दरअसल अमेरिकी ही हैं।’

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी ख़बर में कहा है कि बीते कुछ हफ़्तों में एशियाई मूल के अमेरिकियों पर हमले बढ़े हैं। उन पर हमला किया जा रहा है, उन पर लोग बेवजह चिल्ला उठते हैं और उन पर थूके जाने की घटनाएँ भी हुई हैं

अब क्या करेगी डेमोक्रेटिक पार्टी

इस प्रचार वीडियो ने डेमोक्रेटिक पार्टी को अपने प्रचार अभियान पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के मीडिया रणनीतिकार केली गिब्सन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि ‘डर का मुक़ाबला तर्क से नहीं किया जा सकता है, न पहले यह होता था और न ही अब हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘डेमोक्रेटिक पार्टी को उस स्तर तक नहीं तो थोड़ा तो नीचे उतरना ही होगा, ऐसा नहीं किया गया तो मुश्किल होगी।’ 

यह ध्यान देने की बात है कि डोनल्ड ट्रंप बार-बार कोरोना वायरस को ‘चीनी वायरस’ और ‘ऊहान वायरस’ कह रहे हैं। वह इस मुद्दे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन तक को लताड़ चुके हैं और इसके महानिदेशक टेड्रस एडेनम गेब्रेसस पर निजी हमले तक कर चुके हैं। 

चुनाव में कोरोना का इस्तेमाल

अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो ने कई बार यह कहा है कि कोविड-19 वायरस दरअसल ऊहान शहर से ही फैला है और यह मानव निर्मित हैं। वह संकेतों में कह चुके हैं कि ऊहान स्थित वायरोलॉजी इंस्टीच्यूट में यह बनाया गया है और यह जैविक हथियार है।

कुल मिला कर ट्रंप प्रशासन चीन का दानवीकरण कर रहा है और उसे कोरोना वायरस के ज़रिए पूरी दुनिया की तबाही के लिए ज़िम्मेदार बता रहा है।

इसके साथ ही घरेलू राजनीति में ट्रंप अपने प्रतिद्वंद्वी को इस ‘दानव चीन’ के नज़दीक साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह वह कोरोना का राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं।

बीजेपी से सीख रहे हैं ट्रंप

इसकी तुलना भारतीय राजनीति के पाकिस्तान नैरेटिव से की जा सकती है। भारत में पाकिस्तान का दानवीकरण किया जा चुका है और उसे हर मुसीबत के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी और मीडिया के एक वर्ग ने मुसलमानों को पाकिस्तान से जोड़ा है।

बीजेपी मुसलमानों को बात-बात पर प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से निशाने पर लेती रहती है। उसने ऐसा माहौल बना दिया है कि मुसलमानों के साथ कोई राजनीतिक खड़ा होता नहीं दिखना चाहता है।

ट्रंप यही काम अमेरिका में करने की जुगत में है। वह जो बाइडन को चीन-परस्त और इस तरह अमेरिका-विरोधी साबित करने की कोशिश में हैं। उनका चुनाव प्रचार अभियान चलाने वाले बीजेपी से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

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