पंजाब-हरियाणा में धान की खरीद के पीछे राजनीति, किसानों का 24 से आंदोलन
पंजाब में धान न खरीदने का संकट गहरा उठा है। किसानों ने 51 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा हुआ। इस मुद्दे के राजनीतिक रंग लेने के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फोन कर उनसे फौरन दखल देने की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) गुरुवार 24 अक्टूबर से राज्य भर में विरोध प्रदर्शन और धरने की घोषणा करने की संभावना है।
हालांकि केंद्रीय एजेंसियों के पास धान को रखने की जगह की कमी है। केंद्र सरकार इस बात को स्वीकार नहीं कर रही है। पिछले वर्ष के केंद्रीय पूल में बचे चावल स्टॉक के अलावा पंजाब और हरियाणा में स्टोरेज की कमी के कारण दो सप्ताह पहले शुरू हुए चालू खरीफ सत्र (2024-25) में धान खरीद में गिरावट आई है। दूसरी तरफ हरियाणा-पंजाब में अडानी समूह के सिलो (स्टोरेज) बने हुए हैं। धान का रेट गिरने के बाद अडानी समूह इन्हें खरीद कर अपने गोदामों में भर देगा। पंजाब में अडानी समूह के 11 कॉरपोरेट सिलो हैं।
सूत्रों का कहना है कि सीएम भगवंत मान ने समस्या का समाधान नहीं होने की स्थिति में कानून-व्यवस्था का संकट खड़ा होने की स्थिति से अमित शाह को अवगत कराया है। उन्होंने शाह से यह सुनिश्चित करने को कहा कि केंद्र इस साल के चावल के लिए जगह बनाने के लिए पंजाब के गोदामों से पिछले साल के खाद्य भंडार को जल्दी से बाहर निकाले। चावल मिल मालिकों (राइस शेलर्स) ने मंडियों में आने वाले धान को तब तक लेने से इनकार कर दिया है जब तक उन्हें नया स्टॉक रखने के लिए जगह मुहैया नहीं कराई जाती।
पंजाब के सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों ने भाजपा पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब के किसानों से बदला लेने के लिए जानबूझकर राज्य में परेशानी पैदा करने का आरोप लगाया। किसानों के एक साल के लंबे विरोध के बाद 2021 में सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा और कमीशन एजेंटों और चावल मिलर्स के संघों ने पंजाब सरकार को दिया गया चार दिन का समय समाप्त हो गया है। मुद्दा काफी हद तक अनसुलझा है। लुधियाना. एसकेएम नेता रमिंदर सिंह ने बताया कि चूंकि धान की उठान में कोई सुधार नहीं हुआ है और किसान मंडियों में सड़ रहे हैं, इसलिए वे 24 अक्टूबर से राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा कर सकते हैं।
जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके मुताबिक पिछले हफ्ते तक केंद्रीय खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार की एजेंसियों ने ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु के किसानों से 4 मिलियन टन (एमटी) धान खरीदा है, जो पिछले सीजन (2023-24) की समान अवधि में खरीदे गए 6.52 मीट्रिक टन धान से 39% कम है।
- केंद्रीय पूल स्टॉक में सबसे बड़ा योगदान पंजाब का होता है। पिछले वर्ष किसानों से उठाए गए 2.48 मीट्रिक टन के मुकाबले अब तक केवल 1.15 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है, जो 53% की गिरावट है।
हरियाणा में अब तक एमएसपी पर धान की खरीद 2.48 मीट्रिक टन है, जो साल दर साल 53% की गिरावट है। पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर खरीदारी क्रमशः 1.36 मीट्रिक टन और 2.93 मीट्रिक टन है। चालू सीजन में नवंबर के अंत तक पंजाब और हरियाणा से क्रमश: 18.5 मीट्रिक टन और 5.97 मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य है।
खेती-किसानी पर नजर रखने वाले और लिखने वाले देवेंद्र शर्मा ने मंगलवार को एक्स पर ट्वीट किया था कि मैं आज (मंगलवार) पंजाब की फिरोजपुर छावनी मंडी में हूं। 2.35 लाख बोरी धान की खरीद हो चुकी है और अब तक केवल 15% उठान के साथ, मंडी में धान खचाखच भरा हुआ है। मैं जिस तरफ भी देख सकता हूं वहां केवल धान की बोरियां ही खड़ी हैं।
I am today in the Ferozepur Cantonment mandi in Punjab. With 2.35 lakh bags of paddy already procured and with only about 15% lifting so far, the mandi is overflowing. Which ever side I can see it is only bags of stacked paddy. pic.twitter.com/sVgBVhhYG7
— Devinder Sharma (@Devinder_Sharma) October 22, 2024
पंजाब के मंत्री हरपाल सिंह चीमा का कहना है, ''पंजाब के किसान मंडियों में धान ला रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने चावल उठाने में देरी की है। हमारे मंत्री गोदाम खाली कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिख रहे हैं ताकि स्टोरेज की व्यवस्था हो सके लेकिन केंद्र सरकार ने पंजाब के खिलाफ साजिश के तहत गोदाम खाली नहीं करवाए, क्योंकि भाजपा को पंजाब और किसानों से बहुत नफरत है... हम किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। ..."
पंजाब में तो आप की सरकार है। लेकिन हरियाणा में स्थिति अच्छी नहीं है। नायब सिंह सैनी ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में धान खरीद पर बात की थी। सरकारी प्रेस नोट में इसका उल्लेख भी किया गया। लेकिन जमीनी हकीकत पंजाब जैसी है। हरियाणा की पैडी बेल्ट की मंडियों में धान भरा पड़ा है लेकिन एफसीआई बहुत धीमी गति से खरीदारी कर रही है।