महाराष्ट्र में सियासी उठापटक तेज, बनेंगे नए समीकरण
महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल का दौर है। हर रोज नई खबरें आ रही हैं। इस सबके केंद्र में हैं एनसीपी के नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजित पवार, जो पार्टी में बगावत करने के लिए तैयार हैं। उनकी इस बगावत का कारण है उनकी मुख्यमंत्री बनने की लालसा जोकि वो पिछले कई चुनावों से पाले बैठे हैं। उनकी इस लालसा को हवा दे रही है महाराष्ट्र की सरकार चला रही बीजेपी।
महाराष्ट्र की राजनीति में अब नया मोड़ आ गया है। और समय से पहले चुनाव कराये जाने के कयास लगाए जाने लगे हैं। महाराष्ट्र के जलगांव में एक रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा। उसके बाद कभी भी कुछ भी हो सकता है। शिवसेना के बंटवारे के बाद उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है। सुप्रीम कोर्ट को शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता पर फैसला करना है। माना जा रहा है कि यह फैसला उद्धव गुट के पक्ष में जा सकता है।
अगर विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो फिर सरकार अल्पमत में आ जाएगी। उद्धव ठाकरे इसी उम्मीद में राज्य में समय से पहले चुनाव कराये जाने की बात कह रहे हैं।
उद्धव ने रैली में कहा कि महाराष्ट्र में सबको पता है कि असली शिवसेना किसके पास है और अगर अभी चुनाव करा लिए जाएं तो सबको पता चल जाएगा। रैली में उन्होंने चुनाव आयोग पर भी हमला बोला और कहा कि हमारे समर्थन को देखकर तो पाकिस्तान को भी पता है कि असली शिवसेना किसकी है, लेकिन चुनाव आयोग को यह नहीं दिखता है। इस दौरान उन्होंने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा कि वह घोषणा करे कि राज्य विधानसभा का अगला चुनाव एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
इस बीच शिवसेना उद्धव गुट के राज्यसभा सांसद और पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने भी एक बड़ा दावा किया है कि अगले 15-20 दिनो में राज्य सरकार गिर जाएगी। राउत ने अपने बयान में कहा कि ''महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार का डेथ वारंट जारी हो चुका है, सिर्फ तारीख का ऐलान होना बाकी है। राउत ने पहले ही कहा था कि शिंदे सरकार फरवरी में गिर जाएगी, लेकिन उनके मुताबिक़ सुप्रीम कोर्ट के फैसले में देरी के कारण इस सरकार की लाइफलाइन बढ़ गई।
उद्धव ठाकरे और संजय राउत की तरफ से दिये जा रहे बयानों से साफ लग रहा है कि राज्य समय से पहले चुनाव कराए जाने की तरफ बढ़ रहा है।
लेकिन महाराष्ट्र के इस राजनीतिक खेल में एक और खिलाड़ी है जो बहुत बारीकी से नजरें गड़ाए इस पूरे खेल को देख रहा है, वह है अजित पवार, जो पिछले दो हफ्तों से लगातार खबरों के केंद्र में बने हुए हैं। इसका कारण, बीजेपी है जो हर हाल में महाराष्ट्र की सरकार को चुनाव के पहले तक बचाए रखना चाहती है। माना जा रहा है कि पवार की आकांक्षाओं के पीछे भी वही है।
लेकिन बीजेपी भी बदले में कुछ चाहती है, देखना है यह है कि अजित पवार बीजेपी को उसकी मनचाही चीज दे पाते हैं कि नहीं।
क्योंकि जिन विधायकों के भरोसे पर अजित सीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं वे विधायक कहीं न कहीं अभी भी शरद पवार से जुड़े हुए हैं। हालांकि शरद पवार ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन रविवार को दिया गया उनका एक बयान बहुत चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिसको जो करना है करे, वह किसी को कुछ भी करने से या फिर कोई फैसला लेने से नहीं रोक सकते हैं।
इसी के साथ पवार का एक और बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी में शामिल दलों द्वारा अभी तक चुनावों के मसले पर कोई बात नहीं हुई है। और न ही कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा इस मसले पर भी चर्चा हुई है। लेकिन महाविकास अघाड़ी गठबंधन बरकरार है, और अगला चुनाव सभी लोग मिलकर लड़ेंगे। शरद पवार ने अडानी समूह का खुल कर बचाव किया है और बाद में गौतम अडानी ने उनसे मुलाकात भी की।
इस बीच पार्टी में अजित पवार की प्रतिद्वंदी मानी जाने वाली सुप्रिया सुले ने अजित का यह कहकर बचाव किया है कि राजनीति करने वाले हर व्यक्ति की महत्वाकांक्षा होती है। ऐसे में अगर अजित मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो कुछ भी गलत नहीं हैं।
बीते शुक्रवार को मुंबई में हो रही पार्टी की मीटिंग छोड़कर पुणे में एक कार्यक्रम में शामिल होने गये अजित पवार ने एक बयान दिया था कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के लिए 2024 तक का इंतज़ार क्यों करना। अजित के इस बयान के कुछ देर बाद ही एनसीपी की ओर से जारी की गई कर्नाटक विधानसभा के लिए स्टार प्रचारकों की सूची से अजित पवार का नाम गायब था। राज्य की राजनीति के जानकार कहते हैं कि जूनियर पवार दबाव में हैं और पार्टी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस मसले पर शिवसेना (उद्धव गुट) प्रवक्ता संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अजित पवार की टिप्पणी से साफ हो गया है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपना बस्ता बांध लेने को कह दिया है। इसके साथ ही राउत ने अजित पवार पर तंज करते हुए कहा था कि अगर वे मुख्यमंत्री पद पर दावा करते हैं, तो हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। हम किसी को भी उनकी महत्वाकांक्षाओं से नहीं रोक सकते। उन्हें अपनी किस्मत आजमाने दीजिए, हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
इसके साथ ही रावत ने यह भी कहा था कि एकनाथ शिंदे अचानक से लो-प्रोफाइल बने हुए हैं और दबी जुबान से भाजपा द्वारा अजित पवार को मुख्यमंत्री पद की पेशकश किए जाने की अटकलों के बारे में बोल रहे हैं।
उधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि अजित अगर बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।ऐसा लगता है कि शिंदे की शिवसेना को बीजेपी और अजित का मेल मिलाप नागवार गुजरी है। महाराष्ट्र में राजनीति बहुत दिलचस्प दौर में है। कुछ भी संभव है ।