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पत्रकारों पर छापेमारी प्रमाण कि पीएम मोदी डरे, घबराए हुए हैं: विपक्ष

पत्रकारों पर छापेमारी प्रमाण कि पीएम मोदी डरे, घबराए हुए हैं: विपक्ष

न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत केस, इसके कार्यालय और पत्रकारों पर छापे को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला किया है। जानिए इन दलों ने क्या आरोप लगाया है।

न्यूज़क्लिक और इसके पत्रकारों पर दिल्ली पुलिस के छापों को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की आलोचना की है। विपक्षी दलों ने कहा है कि जो बीजेपी की भजन मंडली में शामिल होने से इनकार करते हैं उनके ख़िलाफ़ इस तरह की कार्रवाई होती है। इन दलों ने कहा है कि सरकार उन लोगों से डरी हुई है जो उनकी विफलताओं पर सरकार से सवाल पूछते हैं। 

कांग्रेस ने मोदी सरकार की इस कार्रवाई को पीएम मोदी का डर और घबराहट क़रार दिया है। इसने ट्वीट किया है, 'वो विपक्ष के नेता हों या फिर पत्रकार, सच बोलने वालों को प्रताड़ित किया जाएगा। आज फिर से पत्रकारों पर छापेमारी इसी बात का प्रमाण है।'

कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक और इससे जुड़े पत्रकारों पर कार्रवाई की है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा समाचार पोर्टल के खिलाफ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत एक नया मामला दर्ज किया गया है। चीन से फंड लेने के आरोपों के बीच यह दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में है। 

जिनके ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है उनमें वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा, भाषा सिंह, न्यूज़क्लिक वेबसाइट के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और व्यंग्यकार संजय राजौरा, लेखिका गीता हरिहरन, प्रसिद्ध पत्रकार औनिंद्यो चक्रवर्ती, एक्टिविस्ट और इतिहासकार सोहेल हाशमी आदि शामिल हैं। अधिकतर के फोन और लैपटॉप जब्त किए गए हैं और कुछ को पूछताछ के लिए थाने जाया गया है।

इस कार्रवाई पर अखिलेश यादव ने कहा है, "ये कोई नयी बात नहीं है ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे। लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिये जा रहे हैं ये भी तो कोई छापे!"

शशि थरूर ने ट्वीट किया है, 'दिल्ली में 30 पत्रकारों पर छापे और उनमें से कई की गिरफ्तारी की ख़बर सुनकर स्तब्ध हूं। ये 'लोकतंत्र की जननी' की नहीं बल्कि एक असुरक्षित और निरंकुश राज्य की हरकतें हैं। इतनी मजबूत और सत्तावादी सरकार को एक समाचार वेबसाइट से ख़तरा क्यों महसूस होता है? और वह भी वह, जो पहुंच या पाठक संख्या में बहुत ऊंचे स्थान पर भी नहीं है? ...सरकार ने आज अपना और हमारे लोकतंत्र का अपमान किया है।'

आरजेडी के वरिष्ठ नेता मनोज कुमार झा ने कहा है, 'वरिष्ठ पत्रकार सह चिन्तक उर्मिलेश जी, सोहेल हाशमी, अभिसार शर्मा, भाषा सिंह, संजय राजौरा, प्रबीर पुरकायस्थ, अनिन्द्यो चक्रवर्ती समेत कई साथियों के घर सत्ता शीर्ष के आदेश पर पुलिस अपना घिनौना चेहरा दिखा रही है। कुछ को लोदी रोड पुलिस स्टेशन अकारण ले जाया गया है।'

मनोज झा ने एएनआई से कहा, 'यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है। आप उन्हें दिल्ली पुलिस क्यों कह रहे हैं। वे एचएम अमित शाह के अधीन हैं और उनकी सहमति के बिना कुछ भी नहीं होता है। जो लोग उनकी (भाजपा) 'भजन मंडली' में शामिल होने से इनकार करते हैं, वे उनके खिलाफ ऐसा करते हैं। वे इन सब से क्या दिखाना चाहते हैं। यह घटना इतिहास में लिखी जाएगी और सरकार के इस कदम की उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी।'

लालू यादव ने कहा है, 'लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को कुचलना कायरता पूर्ण कार्यवाही है। मोदी सरकार सचाई से डर रही है।'

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने न्यूज़क्लिक के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी फंडिंग की जांच की थी। केंद्रीय एजेंसी ने न्यूज पोर्टल से जुड़ी कुछ संपत्तियाँ भी जब्त की थीं।

न्यूज़ पोर्टल और इसकी फंडिंग के स्रोत 2021 में जांच के दायरे में आए, जब दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। प्रवर्तन निदेशालय का मामला इसी मामले पर आधारित था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यूज़क्लिक प्रमोटरों को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी, और मामला अब अदालत में है।

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