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हैदराबाद में कैसे हुई पुलिस 'मुठभेड़'?

हैदराबाद में कैसे हुई पुलिस 'मुठभेड़'?

हैदराबाद पुलिस ने मुठभेड़ में चार अभियुक्तों के मारे जाने की जो कहानी गढ़ी है, वह अजीब तो है ही, उसमें कई छेद हैं और वह कई सवाल खड़े करती है। 

हैदराबाद में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में बलात्कार और हत्या के चार अभियुक्तों की मौत के बाद इससे जुड़े सवाल भी उठ रहे हैं। पहला सवाल तो यही है कि यह मुठभेड़ आखिर हुई कैसे पुलिस की अपनी कहानी है, अपना तर्क है, जिसमें कई छेद हैं, जिन पर यक़ीन करना वाकई मुश्किल है।

इन अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 375 (बलात्कार) और 372 (अपहरण) के आरोप लगाए गए थे। इन मामलों की सुनवाई के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया था। 

पुलिस ने इस मुठभेड़ के बारे में जो कुछ बताया, वह दिलचस्प है। उसने जो घटनाक्रम दिया है, वह कुछ इस तरह है। 

  • तेलंगाना पुलिस के लोग शुक्रवार की आधी रात के बाद अभियुक्तों को हैदराबाद से 30 किलोमीटर दूर चट्टपल्ली ले गए, जहाँ उस महिला को कथित तौर पर जला दिया गया था।
  • पुलिस का कहना है कि इससे उन्हें वारदात को समझने और उनके बिन्दुओं को जोड़ने में मदद मिलती। पुलिस अभियुक्तों को उस जगह ले जाना चाहती थी कि जहाँ अभियुक्तों ने महिला को जलाने के लिए पेट्रोल खरीदा था और उस जगह भी जहाँ उन्होंने पीड़िता की स्कूटी छोड़ दी थी।
  • पुलिस आधी रात के बाद अभियुक्तों को उस जगह इसलिए ले गई कि उन्हें स्थानीय लोगों के गुस्से का शिकार न होना पड़े।
  • पुलिस का कहना है कि चट्टपल्ली पहुँचने के बाद चारों अभियुक्तों ने एक दूसरे को इशारों-इशारों में कहा कि पुलिस पर हमला करना है वहाँ से भाग जाना है।
  • पुलिस का यह भी कहना है कि मौका-ए-वारदात पर पहुँचने के बाद चारों अभियुक्त किसी सुनसान जगह की ओर दौड़े।
  • पुलिस का कहना है कि उन्होंने आत्मरक्षा में अभियुक्तों पर गोलियाँ चलाईं। साइबराबाद पुलिस आयुक्त ने कहा, अभियुक्त जब पुलिस वालों पर हमला कर देते तो क्या पुलिस बस देखती रहती 

लेकिन पुलिस की बातों से ही कई सवाल खड़े होते हैं, और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठते हैं। रात के अंधेरे में मैका-ए-वारदात पर अभियुक्तों को ले जाना और वारदात के दृश्य की कल्पना करना ही शक पैदा करता है। रात के अंधेरे में उस जगह को पहचानने में दिक्क़त होती और पूरी वारदात को दुहराने जैसा काम करने में दिक्क़त होती।  

पुलिस ने अभियुक्तों के इशारों से कैसे समझ लिया कि वे उन पर हमला करने वाले हैंअभियुक्त पुलिस कस्टडी में थे। अभियुक्तों के पास हथियार नहीं थे तो पुलिस को उनसे क्या ख़तरा था निहत्थों से पुलिस को क्या ख़तरा था कि उन्होंने आत्मरक्षा में गोलियाँ चलाईंज़ाहिर है, पुलिस के पास फ़िलहाल इन सवालों के जवाब नहीं हैं। 

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