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पुलिसराजः यूपी में प्रदर्शन की कवरेज करने वाले पत्रकार पर ही केस दर्ज

पुलिसराजः यूपी में प्रदर्शन की कवरेज करने वाले पत्रकार पर ही केस दर्ज

क्या आपने सुना या पढ़ा है कि धरना-प्रदर्शन की कवरेज करने वाले पत्रकार के ही खिलाफ पुलिस केस दर्ज कर ले। यूपी के कानपुर में ऐसा ही हुआ है। यह घटना बता रही है कि यूपी में भाजपा की सरकार है लेकिन प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।

संसदीय चुनाव के कुछ दिनों बाद पुलिस अधीक्षक (कानपुर देहात) के कैंप कार्यालय पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता और उनके समर्थकों के धरने की कवरेज के संबंध में एक टेलीविजन चैनल के रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अकबरपुर पुलिस ने पत्रकार विकास धीमान पर मानहानि का आरोप भी लगाया है।

पत्रकार के खिलाफ 27 जून को सब-इंस्पेक्टर रजनीश कुमार वर्मा ने एफआईआर दर्ज की थी और अब मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

पीटीआई ने इस मामले में जब फोन पर जिला पुलिस प्रमुख बीबीजीटीएस मूर्ति से बात की तो मूर्ति ने कहा कि खबर "योगी सरकार के मंत्री के पति और पूर्व सांसद की नहीं सुन रही पुलिस" शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। इस खबर से एसपी की छवि खराब हुई। पीटीआई के मुताबिक पुलिस में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि यूपी की मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी, एसपी कानपुर देहात से मिलना चाहते थे। लेकिन अधिकारी ने मिलने से मना कर दिया। इस पर पूर्व सांसद एसपी के शिविर कार्यालय में धरने पर बैठ गए। 

इस मामले में दिलचस्प घटनाक्रम भी हुआ। भाजपा के पूर्व सांसद जब धरने पर बैठ गए तो एसपी अपने कमरे से बाहर गए और भाजपा नेता को अंदर ले गए और उनके साथ चाय नाश्ता किया।

पत्रकार विकास धीमान ने पीटीआई को बताया कि उन्होंने अपना आधिकारिक कर्तव्य निभाया है क्योंकि विरोध को कवर करना एक मीडिया जिम्मेदारी थी, अपराध नहीं। उन्होंने कहा कि कवरेज के संबंध में एफआईआर दर्ज करने की पुलिस की कार्रवाई मीडिया को "डराने" की कोशिश का हिस्सा है। इस मुद्दे को कानपुर के पत्रकारों ने उठाया, तब सभी को इसका पता चला। 

यूपी पुलिस इस समय काफी आलोचनाओं का सामना कर रही है। हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने और 121 लोगों की मौत में पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। कार्यक्रम स्थल पर पुलिस का पर्याप्त इंतजाम ही नहीं थी। भोले बाबा के लिए पुलिस ने 80 लोगों की भीड़ का इंतजाम किया था। लेकिन वहां ढाई लाख लोग पहुंच गए। इस घटना के आरोपियों में भोले बाबा को पुलिस ने शामिल नहीं किया लेकिन उसके खिलाफ छापे जरूर मारे। पुलिस अधिकारी उसका नाम तक लेने से डर रहे हैं।

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