कहां गई विकास दुबे की काली कमाई और ज़मीनें, न विदेश गया, न टैक्स देता था
कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिस वालों की हत्या के बाद पांच साथियों सहित मुठभेड़ में मार गिराए गए विकास दुबे को योगी सरकार अरबों की संपत्ति का मालिक, भूमाफिया से लेकर विदेशों तक फ्लैट व पैसे जमा करने वाला बता रही है। विकास दुबे पर करोड़ों की सरकारी ज़मीन हड़पने से लेकर अब तक 13 बार विदेश यात्राएं करने के बारे में जानकारी दी गयी है। हालांकि पड़ताल में पता चला है कि विकास दुबे के पास बैंक खातों में मामूली रकम थी और आज तक उसने कभी आयकर का रिटर्न तक दाखिल नहीं किया था।
इतना ही नहीं, पुलिस के मुताबिक विकास दुबे की हर महीने होने वाली करोड़ों की काली कमाई कहां गयी है इसका भी पता नहीं चल पा रहा है। विकास की संपत्तियों और काली कमाई की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है।
कानपुर में लंबे अरसे से तैनात पुलिसकर्मियों के मुताबिक़, विकास को दबंगई और गुंडई के अलावा कोई शौक नहीं था। ऐसे में ईडी के सामने सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हो गया है कि आखिर हर महीने एक करोड़ की उगाही करने वाले विकास की संपत्ति गई कहां
मौजूद रिकॉर्डों के मुताबिक़, विकास दुबे थाने का ना तो मोस्ट वांटेड था और ना ही जिला प्रशासन का चिन्हित भूमाफिया। इसी साल जारी की गयी कानपुर जिला प्रशासन की भूमाफिया की सूची में विकास दुबे का नाम नहीं है। कानपुर के भूमाफियाओं की सूची में 72 लोगों के नाम हैं लेकिन विकास दुबे का नाम नहीं है।
ज़मीन कब्जा करने की शिकायत तक नहीं
कानपुर के एक तहसीलदार के मुताबिक़, उनके पास विकास दुबे के सरकारी ज़मीन कब्जा करने के संबंध में कोई शिकायत तक नहीं है। कानपुर प्रशासन की ओर से जारी सूची में सबसे बड़ा भूमाफिया बर्रा के रहने वाले निजामुद्दीन को बताया गया है। निजामुद्दीन के कब्जे में 4 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन बताई जा रही है।
पासपोर्ट नहीं था, विदेश कैसे गया
बिकरू कांड के बाद पुलिस ने जानकारी दी कि विकास दुबे की विदेशों में संपत्ति है। विकास के खास साथी जय बाजपेयी को उसकी काली कमाई को निवेश करने वाला बताते हुए दुबई वगैरह में फ्लैट व पेंटहाउस होने की जानकारी दी गयी। पुलिस के हवाले से देश के अंग्रेजी के एक बड़े अखबार ने तो विकास दुबे के 13 बार विदेश यात्रा करने की ख़बर भी छाप दी। लेकिन पड़ताल में अब तक विकास दुबे के एक बार भी विदेश जाने की जानकारी सामने नहीं आई है। विकास दुबे के नाम से कोई पासपोर्ट तक नहीं बना था।
विकास दुबे की पत्नी ने भी पूछताछ में इस बात की तस्दीक की है कि वह और दुबे कभी विदेश नहीं गए और न ही कोशिश की।
दुबे के जिस बड़े बेटे के विदेश में होने की बात कही जा रही थी, मुठभेड़ में पिता के मारे जाने के बाद वह भी सामने आ गया और बताया गया कि उसे एक रिश्तेदार के घर लखनऊ में रखा गया था।
पुलिस-प्रशासन मेहरबान था दुबे पर
विकास दुबे पर पुलिस की मेहरबानी इस कदर थी कि न तो प्रदेश और न ही कानपुर के भूमाफिया या बड़े अपराधियों की सूची में उसका नाम रखा गया था। कानपुर प्रशासन की सूची में ज्यादातर भूमाफिया चकेरी और नौबस्ता इलाके के हैं। सूची के मुताबिक़, विकास दुबे न थाने का हिस्ट्रीशीटर था और ना भू माफिया। अब ऐसे में विकास दुबे पर पहले से कार्रवाई कैसे होती।
टॉप मोस्ट अपराधियों की सूची से 60 मुक़दमों वाले विकास का नाम गायब होना साफ बताता है कि पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी किस हद तक उस पर मेहरबान थे।
जिन भी लोगों को अब तक पुलिस ने सामने लाकर विकास दुबे द्वारा उनकी ज़मीन कब्जाने का दावा किया है, वे सब अपने विवाद में विकास के विरोधी पक्ष की ओर से आने की बात कह रहे हैं।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की मौत के बाद उसके बारे में खूब खुलासे हो रहे हैं। विकास के बारे में एक और खुलासा हुआ है कि करोड़ों कमाने वाले विकास ने आज तक टैक्स देना तो दूर कभी इनकम टैक्स रिटर्न तक फाइल नहीं किया है। विकास दुबे की कमाई कथित रूप से भले ही एक करोड़ रुपये महीना रही हो।
जय बाजपेयी की कमाई बढ़ती गई
यह भी पता चला है कि जय बाजपेयी का इनकम टैक्स रिटर्न चार साल में दोगुना हो गया जबकि उसकी पत्नी श्वेता बाजपेयी की आय तीन साल में तीन लाख घट गई। विकास दुबे का काला-चिट्ठा खंगाल रही एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर विकास दुबे की काली कमाई कहां गई।
जय बाजपेयी ने वित्त वर्ष 19-20 में 11.93 लाख रुपये की आय घोषित की और 1.40 लाख रुपये टैक्स दिया। वर्ष 18-19 में 10.54 लाख रुपये का आईटीआर भरा और 1.26 लाख रुपये टैक्स दिया। इसके पहले वर्ष 17-18 में 10.23 लाख रुपये आय दिखाई और 1.07 लाख रुपये टैक्स दिया। वर्ष 16-17 में 6.55 लाख रुपये आय घोषित की और 28 हजार रुपये टैक्स दिया। 15-16 में 5.43 लाख रुपये की आय पर 16 हजार रुपये टैक्स भरा। महज चार साल में जय की आय 5.43 लाख रुपये से 11.93 लाख रुपये हो गई।
सूत्रों के मुताबिक, जितनी आय उसने एक साल में दिखाई है, इतना तो उसका एक महीने का खर्च है और यही जांच का केंद्र बिंदु है।