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डीयू से अल्लामा इकबाल पर चैप्टर हटाने का फैसला

डीयू से अल्लामा इकबाल पर चैप्टर हटाने का फैसला

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पाठ्यक्रम से उर्दू के महान शायर अल्लामा इकबाल पर चैप्टर हटाया जा रहा है। अकादमिक काउंसिल ने यह प्रस्ताव पारित कर दिया है। अल्लामा इकबाल को पाकिस्तान में राष्ट्रीय कवि का दर्जा प्राप्त है। 

दिल्ली यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद ने शायर अल्लामा इकबाल के एक चैप्टर को राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से हटाने का प्रस्ताव किया है। अल्लामा इकबाल को पाकिस्तान में राष्ट्रीय कवि का दर्जा प्राप्त है। लेकिन अल्लामा इकबाल - ''सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा'' जैसी नज्म के लिए जाने जाते हैं। भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान अल्लामा इकबाल ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत के लिए अपनी कलम शायरी में चलाई।

डीयू अकादमिक काउंसिल के प्रस्ताव को लीगल सेल के सदस्यों ने पुष्टि कर दी। भारत विभाजन के पहले सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में 1877 में जन्मे इकबाल को 'आइडिया ऑफ पाकिस्तान' को जन्म देने के लिए भी जाना जाता है।

डीयू अधिकारियों ने कहा कि 'मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट' शीर्षक वाला अध्याय बीए के छठे सेमेस्टर के पेपर का हिस्सा है, यह मामला अब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो अंतिम फैसला लेगी।

अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने कहा, "राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव के संबंध में एक प्रस्ताव लाया गया था। प्रस्ताव के अनुसार इकबाल पर एक अध्याय था जिसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।"

पीटीआई न्यूज एजेंसी ने इकबाल पर 'इकबाल: समुदाय' शीर्षक वाली एक यूनिट, जो पाठ्यक्रम का हिस्सा है, की समीक्षा की। उससे पता चला कि तमाम विचारकों के माध्यम से महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में 11 यूनिट हैं। अन्य विचारक जो पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं उनमें राममोहन राय, पंडिता रमाबाई, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और भीमराव अम्बेडकर शामिल हैं।

पीटीआई के मुताबिक पाठ्यक्रम में उल्लेख किया गया है, "पाठ्यक्रम को छात्रों को भारतीय राजनीतिक विचारों के भीतर समृद्धि और विविधता की झलक देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।" पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को आधुनिक भारतीय विचारों की एक महत्वपूर्ण समझ से लैस करना है। 

इसमें कहा गया है कि विचारों की विषयगत खोज महत्वपूर्ण विषयों पर सामयिक बहस का पता लगाने और संबंधित विचारकों के लेखन में प्रदर्शित विविध संभावनाओं पर प्रतिबिंबित करने के लिए है।  

इस बीच, एबीवीपी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, "कट्टर धार्मिक विद्वान" इकबाल भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार थे। एबीवीपी ने एक बयान में कहा, "दिल्ली यूनिवर्सिटी अकादमिक परिषद ने मोहम्मद इकबाल को डीयू के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला किया है। इसे पहले बीए के छठे सेमेस्टर के पेपर 'मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट' में शामिल किया गया था। एबीवीपी ने कहा- "मोहम्मद इकबाल को 'पाकिस्तान का दार्शनिक पिता' कहा जाता है। वह जिन्ना को मुस्लिम लीग में एक नेता के रूप में स्थापित करने में प्रमुख खिलाड़ी थे। इकबाल भारत के विभाजन के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने मोहम्मद अली जिन्ना हैं।"

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