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महाराष्ट्र: 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए राउत

महाराष्ट्र: 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए राउत

ईडी ने इस बार आख़िर संजय राउत की हिरासत क्यों नहीं मांगी? क्या उसे वो सब जानकारी मिल गई जो वह राउत से पत्रा चॉल मामले में जानना चाहती थी?

मुंबई के पत्रा चॉल घोटाला मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत को सोमवार को मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। राउत को आज अदालत में पेश किया गया और ईडी ने अदालत से संजय राउत की कस्टडी की मांग नहीं की। ऐसा माना जा रहा है कि संजय राउत को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में भेजा जाएगा जहां पर पहले से ही महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख और नवाब मलिक बंद हैं।

2 दिन पहले ही संजय राउत से ईडी ने उनकी पत्नी वर्षा राउत के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की थी जिसमें बताया जा रहा है कि ईडी को कई अहम सुराग हाथ लगे थे। हालाँकि अदालत से ईडी ने और कस्टडी की मांग नहीं की थी लिहाजा अदालत ने संजय राउत को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ईडी ने पिछली बार जब संजय राउत को अदालत के सामने पेश किया था तो उस समय अदालत को बताया था कि संजय राउत जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। यही कारण था कि अदालत ने संजय राउत को 8 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेजा था।

ईडी ने पिछले 4 दिनों में संजय राउत से जो पूछताछ की उसके बारे में अदालत को बताया कि संजय राउत से पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि पत्रा चॉल का पुनर्निर्माण करने वाली कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के चीफ़ प्रमोटर्स प्रवीण राउत के खाते से संजय राउत को एक करोड़ 6 लाख रुपये उनके खाते में आए। ईडी संजय राउत से यही जानना चाहती है कि आख़िरकार इतने पैसों का लेनदेन किसलिए किया गया था।

2 दिन पहले ही ईडी ने संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत से भी सवाल जवाब किए थे और पत्राचार घोटाले में उनके खाते में आए 55 लाख रुपया के बारे में भी पूछताछ की थी। सूत्रों के अनुसार ऐसी जानकारी भी सामने आई थी कि संजय राउत और उनकी पत्नी वर्षा राउत को आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की थी। इसके अलावा संजय राउत को गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी से लगभग दो करोड़ रुपये कैश में भी मिले थे जिनका इस्तेमाल संजय राउत ने अलीबाग में बंगला और जमीन खरीदने के लिए किया था।

इससे पहले पिछली बार अदालत में जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई तो जज ने संजय राउत से पूछा कि ईडी की कस्टडी में आपको कोई परेशानी तो नहीं हुई तो संजय राउत ने कहा कि मुझे जहां कस्टडी में रखा गया है वहां वेंटिलेशन नहीं है। जब इस पर जज ने ईडी के अधिकारियों से पूछा कि क्या संजय राउत सही बोल रहे हैं तो ईडी के अधिकारियों ने कहा कि इन्हें एसी के कमरे में रखा गया है, ये झूठ बोल रहे हैं। ईडी ने अदालत को भरोसा दिया है कि उन्हें वेंटिलेशन का रूम दिया जाएगा।

ईडी ने अदालत को बताया कि संजय राउत के यहां छापेमारी के दौरान कुछ कागजात हासिल किए गए हैं। इन कागजातों से पता चला है कि संजय राउत के खाते में हर महीने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के चीफ़ प्रोमोटर प्रवीण राउत के खाते से हर महीने क़रीब 2 लाख रुपये आ रहे थे।

ईडी की जाँच में यह भी सामने आया है कि संजय राउत ने इन्हीं पैसों से अलीबाग में जमीन खरीदी थी। इसके अलावा इस बात का खुलासा हुआ है कि संजय राउत के संबंध कुछ दूसरे लोगों से भी हैं। यही कारण है कि ईडी उनसे इस मामले में भी पूछताछ करना चाहती है।

ईडी ने अदालत को बताया कि उन्हें संजय राउत की 10 अगस्त तक कस्टडी चाहिए लेकिन अदालत ने सिर्फ़ 8 अगस्त तक ही संजय राउत को ईडी की कस्टडी में भेजा है। उधर, संजय राउत के वकील मनोज मोहिते ने अदालत को बताया कि जब से संजय राउत को ईडी ने गिरफ्तार किया है तभी से ईडी यह आरोप लगा रही है कि संजय राउत पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। मनोज मोहिते ने कहा कि अलीबाग की जमीन की जाँच ईडी पहले भी कर चुकी है लिहाजा उन्हें जांच करने की कोई ज़रूरत नहीं है लेकिन बावजूद इसके अदालत ने संजय राउत को 8 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।

 

दरअसल, इस घोटाले की शुरुआत साल 2007 से हुई थी। उस समय म्हाडा ने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन और एचडीआईएल के साथ मिलकर गोरेगांव के पत्रा चॉल का पुनर्निर्माण करने का करार किया था। कंपनी को लगभग 40 एकड़ में फैले इस प्लॉट पर क़रीब 672 चॉल निवासियों को फ्लैट बनाकर देने थे। उस समय ऐसी ख़बरें आई थीं कि इस मामले में लगभग 1034 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। कंपनी के मालिक प्रवीण राउत ने लगभग 70 फीसदी जमीन को प्राइवेट बिल्डरों को बेच दिया था। जिस जमीन को प्राइवेट बिल्डरों को बेच दिया था वहां पर बड़ी-बड़ी इमारतें बन गई हैं लेकिन जिस जगह पर पत्रा चॉल के निवासियों के फ्लैट बने थे उसका काम रुक गया और 15 साल बाद भी पत्रा चॉल के निवासियों को घर नहीं मिल पाया है।

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