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पीएमसी बैंक घोटाला: मोदी के न्यू इंडिया में सुनी जाएगी बुजुर्गों की बात?

पीएमसी बैंक घोटाला: मोदी के न्यू इंडिया में सुनी जाएगी बुजुर्गों की बात?

पीएमसी बैंक घोटाले के बाद रिज़र्व बैंक पर सवाल उठने लगे हैं। बुजुर्ग खाताधारकों ने पानी में भींगते हुए आन्दोलन किया और अपने पैसे वापस माँगे।

क्या नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया में बुजुर्गों की आवाज़ सुनी जायेगी यह सवाल खड़ा होता है बारिश की धार में अपनी आशा के दीपक को जलाये रखने का संघर्ष कर रहे बुजुर्गों को देखकर। ये बुजुर्ग देश की बैंकिंग प्रणाली का नियंत्रण करने वाले रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

सरकार ने आदेश दे दिया और पुलिस ने आन्दोलन  कर रहे बुजुर्गों को खदेड़ दिया। ये बुजुर्ग पंजाब महाराष्ट्र बैंक में अपना पैसा या यूँ कहें कि अपनी जमा पूंजी निकालने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं।  एक और खातेदार की मौत हर्ट अटैक से होने के साथ ही इस मामले में मरने वालों की तादाद चार हो गयी। 

बुजुर्गों का आन्दोलन

जिस तरह से प्रदर्शन के दौरान कई वृद्ध महिला और पुरुष खाताधारकों की तबियत खराब हो गयी, उससे इस बात के संकेत तो मिल ही रहे हैं कि सदमा बहुत गंभीर है। यदि इतना गंभीर नहीं होता तो लोग क्यों अपनी जान जोखिम में डाल बारिश में भींगते हुए उस सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं यह पता होते हुए कि सरकार अपनी कुर्सी बचाने की कसरत में है और सरकार के लोग उनके दुख दर्द सुनने नहीं आयेंगें, फिर भी लोग घरों से निकलकर आये। 

इस बीच  खबर आयी है की पीएमसी बैंक के एक और खाताधारक की मौत हो गई है।  80 साल के मुरलीधर धारा की हार्ट अटैक से मौत का मामला सामने आया है। मुरलीधर मुलुंड के रहने वाले थे।  मृतक के बेटे प्रेम धारा ने ख़बर की पुष्टि करते हुए बताया कि लंबे समय से उनके पिता बीमार थे और उनकी बाईपास सर्जरी करानी थी, जिसके लिए पैसे की ज़रूरत  थी। लेकिन सही समय पर पैसे न जुटा पाने के कारण प्रेम अपने पिता का इलाज नही करा पाए। 

ऐसा नहीं कि उनके पास पैसा नहीं था। उनके पिता ने अपनी वृद्धावस्था के लिए लाखों रुपये पीएमसी बैंक में सहेज कर रखा था, लेकिन वक्त आने पर वह बैंक ही धोखा दे गया बैंक डूब गया और यह सदमा मुरलीधर नहीं झेल सके, इलाज के अभाव में जान चली गयी। 

देश की सर्वोच्च न्याय संस्था सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के चलते खाताधारकों में नाराज़गी भी है और कहीं ना कहीं कुछ हताशा भी।

आरबीआई का दफ़्तर घेरा

जिन्हें चुनकर देश या राज्य चलाने को दिया था, वे अपनी कुर्सी के चक्कर में व्यस्त हैं, लिहाज़ा, बैंक के खाताधारकों ने शनिवार को मुंबई में एशियाटिक लाइब्रेरी के पास रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का दफ्तर घेर लिया और विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कई लोगों की तबीयत भी खराब हो गई।   पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कई लोगों को खदेड़ा।

इस दौरान प्रदर्शन कर रहे खताधारकों ने सड़क से गुज़र रही गाड़ियों का रास्ता रोक दिया।  खाताधारकों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए आरबीआई के बाहर पुलिस ने कड़े बंदोबस्त किए थे। पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को गेट पर रोक लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पीएमसी बैंक से नकदी निकालने पर आरबीआई की ओर से लगाई गई रोक हटाने की माँग कर रहे पीएमसी खाताधारकों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हम अनुच्छेद 32 (रिट अधिकार क्षेत्र) के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहते।  याचिकाकर्ता उचित राहत के लिए संबंधित हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस बारे में कहा कि सरकार इस स्थिति की गंभीरता से परिचित है और प्रवर्तन निदेशालय दोषी के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई कर रहा है। लेकिन सवाल लोगों के पैसों का है, जिससे उनके जीवन की आये दिन की दिनचर्या या गतिविधियाँ जुडी हुई हैं।

इस देश में विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची जितनी लम्बी होती जा रही है कि लोगों का बैंकों से विश्वास उतनी ही तेजी से कम होता जा रहा है।

सरकार चुनाव का बहाना कर अपना पल्ला झाड़ कर खड़ी हो गई है। लेकिन यह मामला देश की बैंकिंग व्यवस्था के विश्वास से जुड़ा है, फिर इस मामले में तत्परता क्यों नहीं देखने को मिल रही क्या यही है न्यू इण्डिया जंहाँ लोगों को अपने हक़ और हक़ूक के लिए जान की बाजी लगानी पड़ेगी और अपनी मेहनत का पैसा हासिल करने के लिए सरकार के सामने हाथ फैलाये किसी लाचार आदमी की तरह खड़ा होना होगा

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