शरद पवार पीएम क्यों नहीं बने, पीएम मोदी ने बताया- इसलिए...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एनडीए सांसदों से कहा कि कांग्रेस की 'वंशवादी राजनीति' के कारण एनसीपी प्रमुख शरद पवार को प्रधानमंत्री बनने का मौका नहीं मिल सका। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की जब एनसीपी विभाजित हो चुकी है। अजीत पवार ने विद्रोह का नेतृत्व किया और महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए।
पीएम मोदी और शरद पवार की दूरी चाहकर भी नहीं बन पा रही है। इसे लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया में भी संशय है। इस वजह से शरद पवार पर कई विपक्षी नेताओं की नजर बनी हुई है।
इस महीने की शुरुआत में शरद पवार ने पुणे में तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया था। पवार की उपस्थिति ने विपक्ष के बीच हलचल पैदा कर दी, खासकर तब जब एनसीपी उस इंडिया समूह का हिस्सा है जिसकी घोषणा पिछले महीने की गई थी।
इंडिया टुडे के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के एनडीए सांसदों के साथ बैठक के दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस और शरद पवार ने भाई-भतीजावाद के कारण कई प्रतिभाशाली लोगों को बढ़ावा नहीं दिया।
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी ने उनके साथ गठबंधन नहीं तोड़ा था। उन्होंने कहा, "बिना किसी कारण के विवाद पैदा किया गया। लेकिन हमने सहन किया है। कभी-कभी, हमने इसे हल्के में ले लिया। एक तरफ, आप सत्ता में रहना चाहते हैं और दूसरी तरफ, आप आलोचना करना चाहते हैं। ये दोनों चीजें एक साथ कैसे चल सकती हैं।"
प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी उस राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में की, जब 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच असहमति बन गई थी। इसके बाद, शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस और एनसीपी के साथ एक अप्रत्याशित गठबंधन बनाया - जिसे महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के रूप में जाना जाता है। हालांकि इसमें भी अब दरार है।
उन्होंने एनडीए सांसदों से यह भी कहा कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए गलत काम करने वालों के टिकट रद्द कर दिये। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने जोर देकर कहा कि उन लोगों ने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी थी। पीएम मोदी ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनावों में जेडीयू को बीजेपी (74) की तुलना में कम सीटें (43) मिलने के बावजूद, नीतीश कुमार को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया।