पीएम के अमेरिका यात्रा एजेंडे में क्या अवैध प्रवासी, अडानी मुद्दे होंगे?
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के लिए निमंत्रण नहीं मिलने के क़रीब पखवाड़े भर बाद ही प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका यात्रा पर क्यों हैं? ट्रंप से उनकी मुलाक़त क्यों हो रही है? अमेरिका में अवैध प्रवासी भारतीयों को हथकड़ियाँ-बेड़ियाँ लगाकर भेजे जाने, टैरिफ़ वार, अडानी मुद्दे जैसे विवादों के बीच पीएम मोदी के इस दौरे का एजेंडा क्या है?
इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लें कि आख़िर पीएम की यात्रा की क्या योजना है और किन हालातों में यह यात्रा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के बाद 12-13 फरवरी को अमेरिका की यात्रा पर हैं। वह 13 फरवरी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद ट्रंप से मिलने वालों में पीएम मोदी चौथे राष्ट्राध्यक्ष होंगे। प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा से मुलाकात की। मंगलवार को ही ट्रंप ने जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला से भी मुलाक़ात की।
तो ट्रंप से मुलाक़ात करने वाले विश्व नेताओं में पीएम मोदी चौथे नेता हैं। भारत के नज़रिए से ही इसका संकेत अहम है क्योंकि खुद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ट्रंप के शपथ ग्रहण के कुछ हफ़्ते बाद ही पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाक़ात को अहम बताया था। पिछले सप्ताह एक मीडिया ब्रीफिंग में मिस्री ने कहा था, 'यह तथ्य कि नए प्रशासन के कार्यभार संभालने के बमुश्किल तीन सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री को अमेरिका आने का निमंत्रण मिला है, भारत-अमेरिका साझेदारी के महत्व को दिखाता है। यह अमेरिका में इस साझेदारी को मिल रहे द्विपक्षीय समर्थन को भी दिखाता है।'
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में आयात शुल्क कम करने, अमेरिकी ऊर्जा और रक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और लंबे समय से चले आ रहे व्यापार मुद्दों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह जाहिर तौर पर घोषित एजेंडा है, लेकिन माना जा रहा है कि पर्दे के पीछे कई अहम मुद्दे हैं जिन पर भी चर्चा हो सकती है।
पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा तब हो रही है जब अमेरिका से अवैध प्रवासी भारतीयों को वापस भेजने के अमानवीय तौर-तरीक़ों का मुद्दा गरमाया हुआ है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका का एक सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर अमृतसर पहुंचा था। हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरों के साथ कुछ लोगों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। बाद में अमेरिका के एक अधिकारी ने इसका एक वीडियो ही पोस्ट कर दिया।
डिपोर्ट होकर आए लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई और कहा कि उन्हें बेड़ियों व हथकड़ियों में बांध कर सैन्य विमान से लाया गया। उनको 40 घंटे तक बाथरूम जाने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ी। इस अमानवीय स्थिति के लिए विपक्ष ने मोदी सरकार की आलोचना की।
104 'अवैध' प्रवासी भारतीयों को बेड़ियाँ, हथकड़ियाँ लगाकर भेजने का मुद्दा शांत हुआ भी नहीं था कि अमेरिका से 487 और संभावित भारतीयों के निष्कासन का आदेश निकाला गया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इनको सम्मानजनक रूप से वापस लाने के प्रयास किए जाएँगे? 104 'अवैध' प्रवासी भारतीयों को अमानवीय तरीक़े से अमेरिकी सैन्य जहाज में भेजे जाने के साये में नये सिरे से संदेह जताए जा रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने इस पर ब्रीफ़िंग दी थी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका में 487 भारतीय नागरिक ‘अंतिम निष्कासन आदेश’ के तहत हैं। निर्वासित किए गए अवैध भारतीय अप्रवासियों की स्थिति पर चिंताओं का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि दुर्व्यवहार का मुद्दा वैध था। तो प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी मुलाक़ात के बाद क्या अब वापस भेजे जाने वाले अवैध अप्रवासियों का सम्मानजनक निष्कासन हो पाएगा?
अडानी मुद्दा
कुछ महीने पहले ही अमेरिका द्वारा गौतम अडानी पर रिश्वत देने की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था। अमेरिका ने इस पर अभियोग चलाया। अमेरिका में उनपर आरोप लगा कि उन्होंने भारत में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 2000 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की साजिश रची। तब द गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया था कि या तो घूस की यह रक़म भुगतान की जा रही थी या फिर यह देना तय हुआ था। न्यूयॉर्क में उनपर यह आरोप इसलिए लगा क्योंकि 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की इस योजना को अमेरिकी निवेशकों से छिपाया गया।
अब इस मामले में कई अमेरिकी सांसदों ने ख़त लिख दिया है कि अडानी के ख़िलाफ़ अब यह अभियोग बंद किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अब ताज़ा घटनाक्रम यह हुआ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें न्याय विभाग को लगभग आधी सदी पुराने रिश्वतविरोधी कानून को लागू करने से रोकने का निर्देश दिया गया है। उसी कानून का इस्तेमाल अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच शुरू करने के लिए किया गया था।
समझा जाता है कि इस घटनाक्रम से अडानी समूह को फायदा होगा। यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय यात्रा पर अमेरिका जाने से एक दिन पहले सामने आया है।
एच-1बी वीजा मुद्दा
माना जा रहा है कि पीएम मोदी एच-1बी वीजा के विस्तार की वकालत करेंगे। यह भारतीय आईटी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है। एच-1बी वीजा प्राप्त करने वालों में भारत का हिस्सा सबसे अधिक है और वह इस कार्यक्रम की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक होगा। ख़ासकर इसलिए भी कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से एच-1बी का मुद्दा गरमाया हुआ है। ट्रंप सहित सभी रिपब्लिकन एच-1बी वीजा के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि उनको लगता है कि इस वीजा पर दूसरे देश से आने वाले लोग अमेरिका की नौकरियाँ हथिया ले रहे हैं।
व्यापार और शुल्क
चूँकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका व्यापार 2023-24 में 118 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, इसलिए दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग एजेंडे में होगा। दोनों नेता व्यापार और टैरिफ पर चर्चा करेंगे, खास तौर पर आयात शुल्क को चरणबद्ध तरीके से ख़त्म करने के बारे में। कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप ने भारत को 'टैरिफ किंग' और 'दुरुपयोग करने वाला' क़रार दिया है।
डीयू के प्रोफ़ेसर मुक्तदर ख़ान कहते हैं, ' पूरी दुनिया में भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया में सबसे ज़्यादा संरक्षणवादी देशों में से एक है। बाक़ी देश औसत रूप से 3-4 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाते हैं, लेकिन भारत 12-13 फ़ीसदी लगाता है।' वह आगे कहते हैं, 'ट्रंप से मुलाक़ात से पहले ही टैरिफ़ भारत ने 13 से घटाकर 11 फ़ीसदी कर दिया है। लग्ज़री कार जैसे सामानों पर सबसे ज़्यादा 150 फ़ीसदी लगने वाले टैरिफ़ को भी घटाकर 70 फ़ीसदी कर दिया गया है। पीएम के पास अब ट्रंप से यह कहने के लिए हो जाएगा कि हमने तो टैरिफ़ पहले ही कम कर दिया है।'
पिछले सप्ताह पेश किए गए अपने बजट 2025 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाई-एंड मोटरसाइकिल और इलेक्ट्रिक बैटरी सहित आयात शुल्क में कटौती की। मोदी-ट्रंप चर्चा के दौरान भारत द्वारा टैरिफ में की गई कटौती काम आ सकती है।
रक्षा सहयोग
पीएम मोदी की यात्रा में अमेरिका से रक्षा उपकरणों की भारत की खरीद में वृद्धि पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार भारत अमेरिका से 31 ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में है, जिसकी क़ीमत लगभग 4 बिलियन डॉलर है और उसने 114 लड़ाकू विमानों के लिए निविदा जारी की है। मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान अपेक्षित प्रमुख चर्चाओं में से एक भारत को F-35 लड़ाकू विमान बेचने की अमेरिकी पेशकश होगी। यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत फ्रांसीसी राफेल जेट के साथ अपनी वायु सेना को मजबूत कर रहा है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रौद्योगिकी-साझाकरण समझौते और उन्नत अमेरिकी रक्षा उपकरणों की खरीद पर चर्चा होने की संभावना है।
चीन का फ़ैक्टर
इन मुद्दों के अलावा भारत-अमेरिका के बीच संबंधों को चीन का फ़ैक्टर भी प्रभावित ज़रूर करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2017 और 2021 के बीच दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत और अमेरिका के संबंध बेहतर हुए थे। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड ने क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुक़ाबला किया है।
हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने नई अमेरिकी सरकार के उद्घाटन के तुरंत बाद जयशंकर सहित क्वाड विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की थी। मोदी-ट्रंप बैठक के दौरान चीन पर भी चर्चा हो सकती है।
क्या मोदी-ट्रंप की दोस्ती का असर भी होगा?
ट्रंप के साथ मोदी के व्यक्तिगत संबंध जगजाहिर हैं। सितंबर 2019 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने टेक्सास में प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी की थी। ह्यूस्टन में ‘हाउडी, मोदी!’ कार्यक्रम को संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी विदेशी नेता के लिए अब तक के सबसे बड़े रिसेप्शन में से एक माना गया था। एक साल बाद पीएम मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में एक कार्यक्रम में ट्रंप का स्वागत किया था। वैसे, पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती तो जगजाहिर है, लेकिन ट्रंप की राष्ट्रवादी व 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' की सोच और भी कम जगजाहिर नहीं है। वह बड़बोले और ऐसे नेता हैं जो जब अपने हित की बारी आती है तो फिर उसके लिए कोई भी चीज मायने नहीं रखती। दूसरे कार्यकाल में ट्रंप के कड़े फ़ैसलों से इसको समझा जा सकता है। ट्रंप पद पर आने के पहले दिन से ही बहुत आक्रामक रहे हैं। उन्होंने पहले ही कई देशों और सामानों पर व्यापार शुल्क लगा दिया है। अवैध प्रवासियों और टैरिफ़ के मुद्दे पर भारत को भी उन्होंने संकेत तो दे दिया है!
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)