+
मोदीजी, इज़राइल के उदाहरण का अनुसरण करें, तुरंत एक राष्ट्रीय सरकार का गठन करें!

मोदीजी, इज़राइल के उदाहरण का अनुसरण करें, तुरंत एक राष्ट्रीय सरकार का गठन करें!

मैं बार-बार पीएम मोदी से कुछ ऐसा ही करने और 'नेशनल गवर्नमेंट' बनाने की विनती कर रहा हूँ जैसा कि पीएम चर्चिल ने मई 1940 में नाज़ी आक्रमण के ख़तरे का सामना करते समय किया था। 

रविवार को इज़राइल में एक नई सरकार का गठन हुआ जिसे 'आपातकालीन एकता सरकार' नाम दिया गया है। जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के नेता बेनी गैंट्ज़ की विपक्षी पार्टी दोनों सदस्य होंगे, नेतन्याहू पहले 18 महीनों के लिए पीएम होंगे, और गैंट्ज़ अगले 18 महीनों के लिए पीएम बनेंगे।

मैं बार-बार पीएम मोदी से कुछ ऐसा ही करने और 'नेशनल गवर्नमेंट' बनाने की विनती कर रहा हूँ जैसा कि पीएम चर्चिल ने मई 1940 में नाज़ी आक्रमण के ख़तरे का सामना करते समय किया था। अगर मोदीजी ऐसा करते हैं तो उन्हें दूसरे चर्चिल के नाम से जाना जाएगा।

यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री ने उचित विचार-विमर्श और व्यापक परामर्श के बिना 24 मार्च की शाम को हड़बड़ाहट में तालाबंदी की घोषणा की (जैसा कि उन्होंने डीमॉनेटाइज़ेशन की घोषणा करते समय किया था), जनता को कोई पर्याप्त अग्रिम सूचना दिए बिना। नतीजा हमारे सामने है: सैकड़ों प्रवासी मज़दूर ज़िंदा लाशों की तरह अपने परिवारों के साथ मीलों चल कर सड़कों पर अपने गाँव वापस जाने के लिए भटक रहे हैं (कुछ लोगों ने तो रास्ते में ही दम तोड़ दिया)। इतना ही नहीं, रोज़ लाखों लोग भूखे, बिना आजीविका के गुजारा करने पर मजबूर हैं। मोदीजी की दुर्दशा नेपोलियन की तरह है, जो 1812 में मास्को पहुँचा तो ज़रूर, लेकिन पहुँचकर करना क्या है यह पता ही नहीं था।

अर्थव्यवस्था, जो लॉकडाउन से पहले ही नीचे गिर रही थी, अब तेज़ी से डूब रही है। और यह स्पष्ट है कि देश के सामने जो भारी समस्याएँ हैं वे मोदीजी या बीजेपी के अकेले संभालने के बस की बात नहीं हैं।

इससे पहले कि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो जाए और खाद्य दंगे भड़क उठें और व्यापक अराजकता उत्पन्न हो जाए, इस स्थिति में एक ऐसी सरकार का गठन अनिवार्य है जिसमें सभी राजनीतिक दलों के लोग, साथ ही प्रमुख वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, उद्योगपति और प्रशासक शामिल हों। दूसरे शब्दों में, केवल सभी भारतीयों का एकजुट प्रयास ही देश को इस कठिन स्थिति से उबार सकता है। निर्मला सीतारमण के प्रोत्साहन पैकेज निरर्थक हैं, और यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं (एक उर्दू कवि के शब्दों में):

‘तू इधर उधर की ना बात कर

 ये बता क़ाफ़िला क्यों लुटा’

मोदीजी, कृपया राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों को दरकिनार करके, इस अवसर पर आगे बढ़ें और इज़राइल और चर्चिल के उदाहरण का अनुकरण कर बिना किसी देरी के राष्ट्रीय एकता सरकार का गठन करें!

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें