मोदी ने यूपी के कोरोना नियंत्रण को अभूतपूर्व बताया; तो गंगा में शव कैसे?
जिस उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा नदी में तैरते हज़ारों शवों की तसवीरें आई थीं उसी उत्तर प्रदेश की सरकार की आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तारीफ़ों के पुल बांधे। जिस यूपी में कोरोना संक्रमण से निपटने में बीजेपी के ही सांसद-विधायक और पूर्व विधायक सरकार की अव्यवस्था उजागर कर रहे थे उसी यूपी की सरकार के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'सेकेंड वेव के दौरान यूपी ने जिस तरह कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका, वह अभूतपूर्व है।'
प्रधानमंत्री गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की यात्रा पर थे। वहीं उन्होंने संबोधन दिया। उन्होंने उस सभा में कोरोना संकट से निपटने में योगी सरकार की जो तारीफ़ की उसको उन्होंने ख़ुद ट्विटर पर भी पोस्ट किया है।
सेकेंड वेव के दौरान यूपी ने जिस तरह कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका, वह अभूतपूर्व है।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2021
मैं काशी के अपने साथियों का, यहां शासन-प्रशासन से लेकर कोरोना योद्धाओं की संपूर्ण टीम का विशेष रूप से आभारी हूं।
आपने जिस प्रकार काशी में व्यवस्थाएं खड़ी कीं, वह बहुत बड़ी सेवा है। pic.twitter.com/HrqkUACZ89
दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने जहाँ बाज़ारों और हिल स्टेशनों पर भीड़ इकट्ठा होने को लेकर कोरोना की संभावित तीसरी लहर के प्रति आगाह किया था वहीं उन्होंने आज बड़ी संख्या में लोगों की सभा को संबोधित किया। हालाँकि, आयोजकों की ओर से दावा किया गया कि सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने योगी सरकार के कई कार्यों की प्रशंसा की है। उन्होंने सबसे पहले कोरोना संकट को काबू में करने के लिए योगी सरकार की पीठ थपथपाई। यह वही यूपी है जहाँ कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई महीने में गंगा किनारे पानी में तैरती हुई सैकड़ों लाशें मिल रही थीं। सबसे पहले बिहार के बक्सर में शव मिले थे और वहाँ दावा किया गया था कि यूपी से बहकर ये शव वहाँ पहुँचे थे। बाद में यूपी में भी शव गंगा में तैरते हुए पाए गए। कई मीडिया रिपोर्टें आईं। तब 'दैनिक भास्कर' की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यूपी में 27 ज़िलों में 1140 किलोमीटर की दूरी में गंगा किनारे 2 हज़ार से ज़्यादा शव मिले। ये शव गंगा किनारे कहीं पानी में तैरते मिले तो कहीं रेतों में दफनाए हुए। इसमें प्रयागराज भी शामिल था और प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी। इसी बीच न्यूयॉर्क टाइम्स ने रेत में दफन हज़ारों शवों की तसवीर और एक रिपोर्ट भी छापी थी।
इन ख़बरों से सरकार की काफ़ी छिछालेदर होने लगी तो गंगा किनारे रेत में दबाए गए शवों से रामनामी चादर रूपी कफन को भी हटाने की तसवीरें आई थीं। कहा गया कि पहले तो सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं और फिर रेत में दफन शवों के साथ भी क्रूरता! प्रियंका गांधी ने भी एक वीडियो शेयर किया था, हालाँकि उन्होंने यह नहीं लिखा था कि वह वीडियो कहां का था।
जीते जी ढंग से इलाज नहीं मिला। कितनों को सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं मिला। सरकारी आंकड़ों में जगह नहीं मिली। अब कब्रों से रामनामी भी छीनी जा रही है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 25, 2021
छवि चमकाने की चिंता में दुबली होती सरकार पाप करने पर उतारू है। ये कौन सा सफाई अभियान है?
ये अनादर है-मृतक का, धर्म का, मानवता का pic.twitter.com/PHC1fyMKCL
ये हालात कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान के थे। तब अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों को भर्ती कराना मुश्किल हो रहा था। इसको लेकर ख़ुद बीजेपी के नेताओं ने ही शिकायतें की थीं।
मई महीने की शुरुआत में ही जब मुख्यमंत्री योगी मुरादाबाद और बरेली के दौरे पर थे तो उनसे ऐसी शिकायतें की गई थीं। 'हिंदुस्तान' की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री और बरेली के सांसद संतोष गंगवार, आंवला सांसद समेत कई बीजेपी नेताओं ने सीएम के सामने सरकारी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी। संतोष गंगवार का सीएम को भेजा गया एक ख़त वायरल हुआ था। गंगवार ने कोरोना संक्रमित मरीजों की अस्पतालों में भर्ती को लेकर व्याप्त अव्यवस्था और अधिकारियों द्वारा फ़ोन नहीं उठाये जाने की शिकायत की थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि बरेली में खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी है। कई अन्य शिकायतें भी की थीं। हालाँकि तब योगी सरकार ने इन कमियों को मानने से साफ़ इनकार किया था। बता दें कि संतोष गंगवार को अब मंत्री पद से हटा दिया गया है।
इससे पहले अप्रैल महीने के पहले पखवाड़े में यूपी के क़ानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) और प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात काफी चिंताजनक हैं।
यूपी के क़ानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने पत्र में लिखा था कि अस्पतालों में बेड नहीं हैं, ऐंबुलेंस समय पर नहीं मिल रही है और मरीजों को इलाज भी नहीं।
उन्होंने लखनऊ में कोविड बेड बढ़ाने, पर्याप्त जांच किट और प्राइवेट लैब में कोविड जांच शुरू कराने को कहा था। मंत्री ने कहा था कि इन परिस्थितियों को शीघ्र नियंत्रित नहीं किया गया तो लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।
अप्रैल के आख़िरी पखवाड़े में लखनऊ के मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र से बीजेपी सांसद कौशल किशोर के बड़े भाई की कोरोना से मौत हो गई थी। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, सांसद कौशल किशोर ने उससे कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की अपील की थी। कौशल किशोर ने कहा था, 'माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि भारी संख्या में करोना से पीड़ित लोग घरों में आइसोलेट हैं, उनको ऑक्सीजन की सख्त ज़रूरत है। ऑक्सीजन गैस रिफलिंग प्लांट पर ऐसे लोगों को ऑक्सीजन मिलने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।'
जून महीने में बीजेपी की उत्तर प्रदेश कार्य समिति के सदस्य और पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने दावा किया था कि कोरोना की पहली लहर से सबक न लेने के कारण दूसरी लहर में हर गांव में कम से कम दस लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई।
टीकाकरण के लिए यूपी की तारीफ़ क्यों?
अब प्रधानमंत्री ने यूपी में सबसे ज़्यादा संख्या में टीके लगाए जाने के लिए तारीफ़ की है। लेकिन आबादी के हिसाब से देखें तो यूपी और बिहार टीकाकरण में पिछड़े हुए हैं।
दो दिन पहले की ही इंडिया टुडे की रिपोर्ट है कि उत्तर प्रदेश में टीकाकरण के लिए योग्य जनसंख्या की सिर्फ़ 4 फ़ीसदी और बिहार में 3.7 फ़ीसदी आबादी को कोरोना की दोनों खुराकें लग पाई हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश, केरल जैसे राज्यों में 16 फ़ीसदी और दिल्ली व गुजरात में 13 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन लगाई जा सकी है। वैक्सीन की एक ख़ुराक के मामले में भी उत्तर प्रदेश और बिहार पिछड़े हैं। बिहार में वैक्सीन लेने के लिए योग्य कुल जनसंख्या की 22 फ़ीसदी और उत्तर प्रदेश में 21.5 फ़ीसदी आबादी ही कम से कम एक भी खुराक ले पाई है। जबकि हिमाचल में 62, दिल्ली में 45, गुजरात में 44, केरल में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा ऐसी जनसंख्या ने कम से कम एक खुराक ली है।
बहन-बेटियों की सुरक्षा?
प्रधानमंत्री ने योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ करते हुए कहा है कि आज यूपी में क़ानून का राज है। उन्होंने कहा कि माफिया राज और आतंकवाद जो कभी बेकाबू हो रहे थे उनपर अब क़ानून का शिकंजा है। उन्होंने कहा, 'बहनों-बेटियों की सुरक्षा को लेकर मां बाप हमेशा जिस तरह डर और आशंकाओं में जीते थे वह स्थिति भी बदली है। आज बहन-बेटियों पर आँख उठाने वाले अपराधियों को पता है कि वे क़ानून से बच नहीं पाएँगे।'
प्रधानमंत्री भले ही तारीफ़ करें, लेकिन यूपी से क़रीब-क़रीब हर रोज़ दुष्कर्म और हत्या की ख़बरें आ रही हैं। अभी हाल ही में यूपी ब्लॉक प्रमुख चुनाव में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की जिस तरह की की तसवीरें आई हैं, उससे योगी सरकार की ख़ूब किरकिरी हुई। कई जगह से वीडियो आए जिसमें दिखा कि चुनाव में हिस्सा लेने जा रही महिलाओं की साड़ी खिंची गई, एक जगह तो महिला को अर्धनग्न करने वाली तसवीर दिखी। इटावा के बढ़पुरा ब्लॉक में एसपी सिटी प्रशांत कुमार को थप्पड़ मारा गया। उन्नाव के मियागंज ब्लॉक में चुनाव कवर कर रहे पत्रकार को पीटा गया। कहीं लाठी-डंडे चले तो कहीं गोलियाँ चलीं। पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने पंचायत चुनाव में सत्ताधारी दल द्वारा धांधली का आरोप लगाते हुए कहा कि इन चुनावों में अनैतिक रास्ते तय किये गये। उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव में ऐसी स्थिति हुई कि डीएम और एसपी के सामने से वोट छीनने की घटना हुई।
यूपी से हर रोज़ आ रही ऐसी नकारात्मक ख़बरों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी सरकार की तारीफ़ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा, 'यूपी में आज सरकार भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से नहीं, बल्कि विकासवाद से चल रही है। इसीलिए, आज यूपी में जनता की योजनाओं का लाभ सीधा जनता को मिल रहा है, नए-नए उद्योगों का निवेश हो रहा है, रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।' शायद प्रधानमंत्री मोदी ने प्रयागराज के शिवकुटी में छात्र विकास सिंह (25) द्वारा नौकरी नहीं मिलने से आत्महत्या वाली ख़बर नहीं पढ़ी होगी!