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कोरोना के कारण कुंभ मेला अब प्रतीकात्मक ही हो: प्रधानमंत्री

कोरोना के कारण कुंभ मेला अब प्रतीकात्मक ही हो: प्रधानमंत्री

देश में कोरोना संकट के बीच कुंभ मेले के आयोजन के लिए सरकार और प्रधानमंत्री की  आलोचनाओं के बीच अब पीएम मोदी ने कहा है कि कुंभ अब प्रतीकात्मक तौर पर ही जारी रखा जाए। 

देश में कोरोना संकट के बीच कुंभ मेले के आयोजन के लिए मोदी सरकार की आलोचनाओं के बीच अब प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने संतों से प्रार्थना की है कि कुंभ अब प्रतीकात्मक तौर पर ही जारी रखा जाए। उन्होंने कहा है कि उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से फोन पर बात की है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ को प्रतीकात्मक रखे जाने पर कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में ताक़त मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसको लेकर ट्वीट किया है। 

हालाँकि अभी यह साफ़ नहीं है कि कुंभ को प्रतीकात्मक किया जाएगा या नहीं। ऐसा इसलिए कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा करने का आदेश नहीं दिया है। उन्होंने ख़ुद लिखा है कि उन्होंने प्रार्थना की है। इसका मतलब है कि यदि संत मानेंगे तभी यह हो पाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज़ अब 2 लाख से ज़्यादा आने लगे हैं और ये लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अधिकतर राज्यों में रिकॉर्ड मामले आ रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पड़ने की शिकायतें आ रही हैं। एक दिन पहले ही ऑक्सीज़न की आपूर्ति को लेकर प्रधानमंत्री ने बैठक की थी। और इसी बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ का भी आयोजन किया जा रहा है जहाँ लाखों लोग इकट्ठे हुए हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार कुंभ मेला इस महीने के आख़िर तक चलना है।

कोरोना के संक्रमण के बीच कुंभ मेले के आयोजन को लेकर उत्तराखंड सरकार के साथ ही मोदी सरकार और बीजेपी की काफी आलोचना हो रही है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें शामिल हुए लोग कोरोना के सुपर स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। कुंभ मेले में मास्क पहनने में लापरवाही और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने की तसवीरें सामने आई हैं। लेकिन राज्य की तीरथ सिंह रावत सरकार दावा करती है कि वह कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करवा रही है। प्रधानमंत्री के ट्वीट के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी ट्वीट कर उनका समर्थन किया और कहा कि कुंभ को प्रतीकात्मक रखा जाए। 

बता दें कि कोरोना संक्रमण के बीच हरिद्वार में कुंभ मेले को लेकर संतों में गतिरोध पैदा हो गया है। यह गतिरोध कोरोना संक्रमण के कारण बना है। कोरोना से एक संत की मौत हो गई है। कई संत संक्रमित हैं। हरिद्वार में बड़े पैमाने पर यह फैल रहा है। और इसीलिए दो अखाड़ों- निरंजनी और आनंद अखाड़े ने 17 अप्रैल से कुंभ समापन की घोषणा कर दी थी। लेकिन कुछ संत अब खुलकर सामने आए हैं और कहा है कि कुंभ पहले से तय समय तक चलता रहेगा। यानी कुछ कुंभ के समापन के पक्ष में हैं तो कुछ इसे जारी रखना चाहते हैं। 

संक्रमित होने वालों में ऑल इंडिया अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी भी हैं और उन्हें ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया है।

वीडियो चर्चा में देखिए, कुंभ पर बैन क्यों नहीं लगाते मोदी?

हरिद्वार के चीफ़ मेडिकल अफ़सर डॉ. एसके झा ने कहा कि संक्रमण के मामले किसी एक अखाड़े के नहीं हैं बल्कि लगभग सभी अखाड़ों में ऐसे मामले मिले हैं। कुंभ में कोरोना को लेकर ज़्यादा हलचल तब मची जब महामंडलेश्वर कपिल देव की मौत की ख़बर आई।

इस बीच जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा की कि कुंभ अपनी तय अवधि तक चलेगा। शुक्रवार को अमर उजाला की आई रिपोर्ट के अनुसार, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि कुंभ किसी संस्था या अखाड़ा का नहीं है। उन्होंने घोषणा की कि कुंभ ज्योतिष है और अपनी अवधि तक चलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना नियमों का पालन करते हुए शंकराचार्य छावनी लगी रहेगी।

रिपोर्ट के अनुसार निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी की मांग की है। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार इन अखाड़ों ने कहा है कि मेला समापन का अधिकार केवल मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है, घोषणा करने वाले संत माफी नहीं मांगते तो वह अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मेला जारी रहेगा और 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे।

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