प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले उन अपराधों पर बात की है, जिनको लेकर उनके ही सरकार पर बड़े सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि मैं एक बार फिर हर राज्य सरकार से कहूंगा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध अक्षम्य पाप है, दोषी कोई भी हो, वो बचना नहीं चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'उसको किसी भी रूप में मदद करने वाले बचने नहीं चाहिए। अस्पताल हो, स्कूल हो, दफ्तर हो या फिर पुलिस व्यवस्था। जिस भी स्तर पर लापरवाही होती है, सबका हिसाब होना चाहिए। ऊपर से नीचे तक मैसेज एकदम साफ़ जाना चाहिए। ये बात अक्षम्य है।'
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान तब आया है जब कोलकाता डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है। बदलापुर स्कूल यौन शोषण और असम गैंगरेप जैसे मामलों ने भी तूल पकड़ा है। तो सवाल है कि क्या अब उन मामलों में भी यह संदेश दिया जाएगा जिनको लेकर बीजेपी पर ही बड़े सवाल खड़े होते रहे हैं?
मणिपुर क्यों नहीं जा रहे पीएम: विपक्ष
सबसे ताज़ा मणिपुर हिंसा का मामला है। क़रीब एक साल से हिंसा जारी है। कुछ दिन पहले ही 'ऑडियो क्लिप' लीक मामले पर कुकी-जो समुदाय के 10 विधायकों ने कहा है कि यदि अपराध साबित हो जाता है तो बीरेन सिंह पर मुकदमा चलाना चाहिए। मणिपुर हिंसा ने तब पूरे देश को झकझोर दिया था जब कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ ने नंगा कर गाँव में घुमाया था, दुष्कर्म किया था और खेतों में फेंक दिया था। उनके परिवार के लोग मार दिए गए थे। बाद में ऐसी ख़बरें आईं कि ऐसी घटनाएँ बड़े पैमाने पर हुई हैं। सैकड़ों लोग मारे गए। हजारों बेघर हैं। कई तो अभी भी लापता हैं। राज्य में बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियाँ पीएम मोदी पर यह कहते हुए एक साल से निशाना साध रही हैं कि इतने भयावह हालात के बावजूद पीएम मणिपुर नहीं जा रहे हैं।
गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल क्यों?
कुछ दिन पहले ही डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 21 दिन की छुट्टी पर रोहतक की सुनारिया जेल से बाहर आ गया। मुजरिम राम रहीम अपनी दो शिष्याओं से रेप के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। उसे 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी।
दुष्कर्म का दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को जनवरी में 50 दिन की पैरोल मिली थी। दो महीने पहले यानी अक्टूबर 2023 में उसको 21 दिन की पैरोल मिली थी। पिछले 24 महीनों में राम रहीम सिंह की यह आठवीं और पिछले चार वर्षों में दसवीं पैरोल और फर-लो है। राम रहीम 2023 में तीन मौकों पर ही पैरोल में 91 दिन जेल से बाहर रहा था। 2022 में गुरमीत राम रहीम सिंह पूरे 91 दिन पैरोल पर बाहर रहा था। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि आखिर हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी सरकार संगीन मामलों में सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम सिंह पर क्यों इतनी 'मेहरबान' है?
बृजभूषण शरण सिंह के बेटे को टिकट क्यों?
पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का केस और भी रोचक है। देश की गोल्ड मेडलिस्ट महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। कार्रवाई कराने के लिए प्रदर्शन करना पड़ा। उनको दिल्ली पुलिस ने घसीटा। मेडल गंगा में प्रवाहित करने की घोषणा करने की नौबत तक आन पड़ी।
बड़ी मुश्किल से कार्रवाई शुरू हुई। बृजभूषण के खिलाफ छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और पीछा करने के आरोप में 1,500 पन्नों की चार्जशीट में चार राज्यों के कम से कम 22 गवाहों के बयानों का उल्लेख किया गया है। इनमें पहलवान, एक रेफरी, एक कोच और एक फिजियोथेरेपिस्ट भी शामिल हैं। इन्होंने आरोपों की पुष्टि की है।
एक समय पूरे देश को झकझोर देने वाले महिला पहलवानों के ऐसे आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण शरण सिंह को जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा!
सितंबर महीने में उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर चेता दिया था कि उनका टिकट काटने की हिम्मत किसी में नहीं है। उन्होंने कहा था, 'कौन काट रहा है, उसका नाम बताओ। काटोगे आप? ...काटोगे? ....काट पाओ तो काट लेना।' हालाँकि बाद में बृजभूषण को टिकट न देकर उनके बेटे को टिकट दिया गया। बृजभूषण सिंह ने खुद को निर्दोष बताया था।
प्रज्वल रेवन्ना केस
वैसे तो यौन उत्पीड़न टेप कांड के आरोपी सांसद प्रज्वल रेवन्ना जेडीएस के सांसद हैं, लेकिन वह पार्टी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल है। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने इसके लिए प्रचार किया था। टेप कांड होने के बाद कई दिनों तक वह पकड़ में ही नहीं आए थे।
प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं। रेवन्ना के खिलाफ कुछ महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। ये महिलाएं रेवन्ना के घर में किचन से लेकर तमाम घरेलू काम तक करती थीं। इनमें से एक महिला ने पुलिस में एफआईआर भी कराई थी। रेवन्ना के यौन उत्पीड़न आरोपों वाले करीब 3000 वीडियो-फोटो एक पेन ड्राइव के जरिए सामने आए हैं। केस दर्ज होने के बाद कर्नाटक सरकार ने एसआईटी गठित की थी। इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने तमाम सवाल उठाए थे।
पीएम किस आधार पर बोले- एफ़आईआर में देरी नहीं होगी?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पहले शिकायत आती थी कि समय पर एफ़आईआर नहीं होती है। सुनवाई नहीं होती है। मुक़दमों में देर बहुत लगती है। ऐसी अनेक अड़चनों को हमने भारतीय न्याय संहिता में दूर कर दिया है।
लेकिन हाल ही में हुए महाराष्ट्र के बदलापुर मामले में एफ़आईआर में हुई देरी को लेकर सवाल खड़े हुए। यहाँ तक कि अदालत ने भी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा कि जब तक जनता में आक्रोश न हो तब तक पुलिस तंत्र काम नहीं करता। इसके साथ ही इसने स्कूल अधिकारियों से घटना की समय पर रिपोर्ट न करने के लिए सवाल किया और पूछा, 'अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं है, तो शिक्षा के अधिकार के बारे में बोलने का क्या फायदा है?' बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसी को लेकर वह सुनवाई कर रहा था।
अदालत ने बदलापुर पुलिस से पूछा कि पीड़ितों और उनके परिवारों के बयान प्रक्रिया के अनुसार समय पर क्यों नहीं दर्ज किए गए और स्कूल अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या कथित घटना जिस स्कूल में हुई, उसके ख़िलाफ़ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किए गए थे।
इसके साथ ही हाथरस, कठुआ जैसे अनेकों मामले सामने आए हैं जहाँ पर शुरुआत में कार्रवाई नहीं किए जाने या फिर आरोपियों को बचाने का आरोप लगा है। विपक्षी दल लगातार सवाल उठाते रहे हैं कि बीजेपी और पीएम मोदी ऐसे मामलों में चुप्पी साध लेते हैं।