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पीएम मोदी के भाषण की खास बातें- चुनावी जुमले और क्या

पीएम मोदी के भाषण की खास बातें- चुनावी जुमले और क्या

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को क्या माना जाए। अगर इसे एक लाइन में कहना हो तो इसे चुनावी भाषण ही कहा जाएगा। जानिए उनके भाषण की खास बातें।

पीएम मोदी का लाल किले से 15 अगस्त 2023 को दिया गया भाषण इस मायने में महत्वपूर्ण था कि उन्होंने कोई वादा न करके जनता से आशीर्वाद माँगा। ज़ाहिर सी बात है कि यह आशीर्वाद 2024 के आम चुनाव के लिए माँगा गया है। लेकिन वो बार-बार अपने इस आत्मविश्वास को भी दोहरा रहे थे कि कोई किन्तु परंतु नहीं। हम जिसका शिलान्यास करते हैं, उसका उद्घाटन भी हम ही करते हैं।

पीएम मोदी के भाषण की एक और ख़ास बात विपक्ष पर निशाना साधना रहा। विपक्ष पर जितनी देर उन्होंने अपना भाषण खर्च किया, उससे कुछ देर के लिए लाल क़िले की प्राचीर को चुनावी मंच जैसा बना दिया। उन्होंने कांग्रेस का नाम तो नहीं लिया लेकिन कांग्रेस पार्टी मुख्य तौर पर निशाने पर रही। 

पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण पर हमला बोलते हुए कांग्रेस और अन्य विपक्षी  दलों पर निशाना साधा। हालाँकि भाजपा भी परिवारवाद से अछूती नहीं रही है लेकिन मोदी के निशाने पर कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार का परिवारवाद निशाने पर रहा। उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में भी कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष पर हमला बोला। अल्पसंख्यक तुष्टिकरण भी मोदी के निशाने पर रहा लेकिन इसमें नई बात यह जोड़ी कि इससे सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर पड़ गई। लेकिन पीएम मोदी बहुसंख्यक तुष्टिकरण पर चुप रहे। 

महंगाई पर भी जुमलेः प्रधानमंत्री मोदी 15 अगस्त को बहुत साहस करके महंगाई पर बोले। लेकिन दरअसल विपक्ष ने मॉनसून सत्र में महंगाई का मुद्दा उठाया। फिर आजादपुर सब्जी मंडी में सब्जी बेचने वाले रामेश्वर का वीडियो कल राहुल गांधी के साथ वायरल हुआ। वही रामेश्वर जो महंगी सब्जी खरीद नहीं पाए तो सब्जी मंडी में रो पड़े थे। तो पीएम मोदी ने महंगाई का नाम लिया लेकिन उसकी तुलना दुनिया के बाकी देशों में फैली महंगाई से कर दी। मोदी ने कहा कि सारी दुनिया में महंगाई है। वो भारत में महंगाई कम करने के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी का महंगाई पर जुमला कोई उम्मीद नहीं जगाता। मसलन वो कह सकते थे कि महंगाई बढ़ाने वालों और मुनाफाखोरों पर सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। लेकिन महंगाई को लेकर कोई चेतावनी या योजना का जिक्र नहीं था।

प्रधानमंत्री मोदी के डेढ़ घंटे के भाषण में कोई नयापन नहीं था। भाषण देते हुए वो जल्दी में लग रहे थे या फिर कम समय में ज्यादा बोलने की बात थी। उन्होंने लोकसभा में मॉनसून सत्र के दौरान 2 घंटे 13 मिनट का भाषण दिया था। उससे अलग स्वतंत्रता दिवस के भाषण में नई बात नहीं थी। उन्होंने दो करोड़ लखपति बहना बनाने की बात कही लेकिन उसके लिए योजना का ठोस खाका नहीं खींचा। उन्होंने युवकों की बात कही लेकिन युवकों के लिए आगे बेरोजगारी दूर करने के उपाय के बारे में कुछ नहीं कहा।

किसानों पर दो शब्द भी नहीं

प्रधानमंत्री के भाषण से किसानों का सरोकार मंगलवार को गायब रहा। लगता यही है कि वो किसानों से कुछ ज्यादा ही नाराज हैं। कृषि प्रधान देश में किसानों को नजरन्दाज करना सही नहीं माना जाता। प्रधानमंत्री का इस बार लाल किले से दसवां संबोधन था। इससे पहले सभी 9 संबोधनों में पीएम मोदी ने किसानों के लिए बढ़-चढ़ कर घोषणाएं की हैं। लेकिन इस बार ऐसी घोषणाएं गायब रहीं। किसानों का मात्र संदर्भ आने से बात नहीं बनती है। बहरहाल, लगता यही है कि भाजपा ने मान लिया है कि शहरी लोग और खासकर मिडिल क्लास ही उन्हें वोट देता है।

बहरहाल, प्रधानमंत्री के भाषण की दस प्रमुख बातों को इस तरह बताया जा सकता है: 

  • देशवासियों के बजाय मेरे परिवारजनों का इस्तेमाल 
  • दस साल स्थिर सरकार के फ़ायदे गिनाए यानी 2024 में वोट दो 
  • तीसरी बार सरकार बनाने का भरोसा लेकिन आत्मविश्वास बॉडी लैंग्वेज से नजर नहीं आया
  • हज़ार साल की ग़ुलामी का हवाला दिया लेकिन गुलामी से आजादी हासिल करने में योगदान पर चुप
  • हज़ार साल में भव्य भारत बनाने का अवसर लेकिन भारत में औसतन लोग तो अब 60-70 साल से ऊपर जिन्दा नहीं रहते
  • भ्रष्टाचार, परिवारवाद , तुष्टिकरण तीन बुराइयाँ लेकिन इसकी आड़ में सिर्फ विपक्ष पर ही हमला
  • मणिपुर का दो बार उल्लेख, शांति की अपील लेकिन मणिपुर जाना स्वीकार नहीं
  • सामान के साथ साथ महंगाई इंपोर्ट हो रही है लेकिन महंगाई दूर करने का खाका नहीं
  • विश्वकर्मा योजना में रेहड़ीवालों को मदद तो इससे पहले शहरी निकाय योजना के तहत दी गई मदद का क्या हुआ
  • गाँव के महिला समूहों को ड्रोन देगी सरकार लेकिन क्या महिलाओं का पेट ड्रोन से भरेगा या ये सिर्फ जुमला है

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