अल्पसंख्यकों से जुड़े सवाल पर पीएम बोले- 'लोकतंत्र हमारे डीएनए में'
पिछले 9 साल से सत्ता में होने के बावजूद प्रेस कॉन्फ़्रेंस नहीं करने के लिए निशाने पर रहे प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अमेरिकी यात्रा पर एक सवाल का जवाब दिया। पीएम मोदी से सवाल पूछा गया कि उनकी सरकार भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए क्या कदम उठाने को तैयार है? इस सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'लोकतंत्र हमारे डीएनए में है', और 'जाति, पंथ, धर्म और लिंग' के आधार पर भेदभाव नहीं होता है। जब मोदी यह जवाब दे रहे थे तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी उनके साथ थे।
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में नेताओं ने प्रत्येक पक्ष के एक रिपोर्टर से सवाल लिए। इसी दौरान बाइडेन से प्रधानमंत्री मोदी के साथ मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दों को उठाने के बारे में पूछा गया। इस पर बाइडेन ने कहा, 'प्रधानमंत्री और मेरे बीच लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में अच्छी चर्चा हुई। ...और यह हमारे रिश्ते का सबसे अच्छा हिस्सा है। हम एक-दूसरे के प्रति ईमानदार हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'और मेरा मानना है कि हम प्रत्येक नागरिक की गरिमा में विश्वास करते हैं और यह अमेरिका के डीएनए में है और मेरा मानना है कि यह भारत के डीएनए में है।' पीएम मोदी ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो ट्वीट किया है, लेकिन उसमें वो हिस्सा नहीं है जिसमें पत्रकार ने सवाल पूछा है और बाइडेन ने जो बोला है।
Addressing the press meet with @POTUS @JoeBiden. https://t.co/qWx0tH82HH
— Narendra Modi (@narendramodi) June 22, 2023
इसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री से भी सवाल पूछा गया। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक पत्रकार ने पीएम मोदी से कहा कि भारत लंबे समय से खुद को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में गौरवान्वित बताता रहा है, लेकिन कई मानवाधिकार समूह हैं जो कहते हैं कि उनकी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव किया है और अपने आलोचकों को चुप करा दिया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने पूछा, 'जैसा कि आप यहां व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में खड़े हैं, जहां कई विश्व नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्धताएं जताई हैं, आप और आपकी सरकार अपने देश में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाने को तैयार हैं?'
इस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, 'वास्तव में भारत एक लोकतंत्र है और जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने भी उल्लेख किया है, भारत और अमेरिका के लिए, लोकतंत्र हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र हमारी आत्मा है। लोकतंत्र हमारी रगों में दौड़ता है। हम लोकतंत्र जीते हैं। और हमारे पूर्वजों ने वास्तव में इस अवधारणा को लिखा है, और वह हमारे संविधान के रूप में है। हमारी सरकार ने लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाया है। और उसी आधार पर हमारा संविधान बना है और पूरा देश उसी पर चलता है... हमने हमेशा साबित किया है कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है। और जब मैं कहता हूं कि परिणाम दे सकता है, तो यह जाति, पंथ, धर्म, लिंग की परवाह किए बिना है, भेदभाव के लिए बिल्कुल कोई जगह नहीं है।'
उन्होंने आगे कहा, 'और जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, यदि कोई मानवीय मूल्य नहीं है, कोई मानवता नहीं है, कोई मानवाधिकार नहीं है, तो यह लोकतंत्र नहीं है। और इसीलिए जब आप लोकतंत्र कहते हैं, और आप लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं, और जब हम लोकतंत्र में रहते हैं, तो भेदभाव का सवाल ही नहीं उठता। और यही कारण है कि भारत सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के साथ आगे बढ़ने में विश्वास करता है... ये हमारे बुनियादी सिद्धांत हैं, जो इस बात का आधार हैं कि हम कैसे काम करते हैं, हम भारत में अपना जीवन कैसे जीते हैं।'
पीएम मोदी ने कहा,
“
सरकार द्वारा दिए गए लाभ उन सभी के लिए उपलब्ध हैं जिनके वे हकदार हैं, वे लाभ सभी के लिए हैं। और इसीलिए भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में, बिल्कुल कोई भेदभाव नहीं है, न ही जाति, पंथ, या उम्र या किसी भी प्रकार के भौगोलिक स्थान के आधार पर।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री (सवाल के जवाब में)
बाइडेन से यह पूछा गया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सदस्य सहित कुछ लोग कहते हैं कि उनका प्रशासन प्रधानमंत्री मोदी के देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और असहमति पर रोक लगाने की अनदेखी कर रहा है। इस पर बाइडेन ने कहा, 'प्रधानमंत्री और मेरे बीच लोकतांत्रिक मूल्य के बारे में अच्छी चर्चा हुई। और यह हमारे रिश्ते का सबसे अच्छा हिस्सा है। हम एक-दूसरे के प्रति ईमानदार हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।'
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि अमेरिका-चीन संबंध अमेरिका-भारत संबंधों के समान नहीं है, इसका एक बुनियादी कारण यह है कि एक-दूसरे के लिए अत्यधिक सम्मान है क्योंकि हम दोनों लोकतांत्रिक हैं। और इसका एक सामान्य लोकतांत्रिक चरित्र है- हमारे लोग, हमारी विविधता, संस्कृति, हमारी खुली, सहिष्णु, ठोस बहस। और मेरा मानना है कि हम हर नागरिक की गरिमा में विश्वास करते हैं और यह अमेरिका के डीएनए में है और मैं मानता हूँ कि यह भारत के डीएनए में है।'
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त बैठक को संबोधित किया तो उसमें भी उन्होंने लोकतंत्र, समानता और विविधता के साझा मूल्यों की बात की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'लोकतंत्र हमारे पवित्र और साझा मूल्यों में से एक है। यह लंबे समय में विकसित हुआ है और इसने विभिन्न प्रणालियों के रूप ले लिए हैं। हालाँकि, पूरे इतिहास में एक बात स्पष्ट रही है: लोकतंत्र वह भावना है जो समानता और सम्मान का समर्थन करती है। लोकतंत्र वह विचार है जो बहस और चर्चा का स्वागत करता है, लोकतंत्र वह संस्कृति है जो विचारों और अभिव्यक्ति को पंख देती है। भारत को प्राचीन काल से ही ऐसे मूल्यों का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। लोकतांत्रिक भावना के विकास में भारत लोकतंत्र की जननी है।'
उन्होंने कहा, 'मैं विचारों और विचारधारा की बहस को समझ सकता हूं। लेकिन मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आज आप दुनिया के दो महान लोकतंत्रों- भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों का जश्न मनाने के लिए एक साथ आए हैं।'