पिछले दो माह से ज़्यादा वक़्त से दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन से मोदी सरकार अब तक पार नहीं पा सकी है। हालांकि इस बीच सरकार लगातार किसान नेताओं से बातचीत करती रही लेकिन वे सभी बातचीत बेनतीजा रहीं। शनिवार को सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में एक बार फिर सरकार ने कहा कि वह किसानों से बातचीत के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव किसानों के सामने रखा गया है, सरकार अभी भी उस पर कायम है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों से सिर्फ़ एक फ़ोन कॉल की दूरी पर हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने बजट सत्र को लेकर सरकार की तैयारियों की भी समीक्षा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के द्वारा बातचीत के दौरान उठाए गए मुद्दों को हल करने की दिशा में काम कर रही है। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस से ग़ुलाम नबी आज़ाद, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, शिव सेना से विनायक राउत और शिरोमणि अकाली दल से बलविंदर सिंह भूंदड़ ने किसान आंदोलन को लेकर सरकार के सामने अपनी बातों को रखा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने जो प्रस्ताव किसानों के सामने रखा है, उसमें कहा गया है कि सरकार डेढ़ साल तक की अवधि के लिए कृषि क़ानूनों को रद्द करने पर राजी है। इस दौरान किसान और सरकार मिलकर कृषि क़ानूनों को लेकर जारी गतिरोध का हल निकालेंगे। लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ किया है कि उन्हें कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
सरकार-किसानों के तर्क
किसान नेताओं की सरकार के साथ ग्यारह दौर की बैठक हो चुकी है। किसान नेता इन क़ानूनों को खेती को ख़त्म करने वाला और उनकी ज़मीन पर कब्जा करने वाला बताते हैं जबकि सरकार कहती है कि ये क़ानून बिचौलियों और भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए लाए गए हैं। सरकार के मुताबिक़, किसानों और जनता के बीच में ग़लतफहमी फैलाने की कोशिश की गई और कुछ लोगों ने किसानों के कंधों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित के लिए किया।
फिर हमलावर हुए राहुल
कृषि क़ानूनों को लेकर मोदी सरकार के ख़िलाफ़ हमलावर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक बार फिर किसानों के समर्थन में आवाज़ उठाई। राहुल ने नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा कि किसान आंदोलन अभी और फैलेगा।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
राहुल ने कृषि क़ानूनों को लेकर कहा कि इनमें से पहला क़ानून भारत के मंडी सिस्टम को ख़त्म कर देगा जबकि दूसरा क़ानून भारत के सबसे बड़े चार-पांच बिजनेस मैन को उनके मन मुताबिक़ अनाज स्टोर करने की आज़ादी देता है और ऐसे में किसान क़ीमतों को लेकर मोल-भाव नहीं कर पाएगा और तीसरे क़ानून के मुताबिक़ किसान अपनी परेशानियों को लेकर अदालत नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि किसान इन्हीं क़ानूनों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं और सरकार मसले को सुलझाने के बजाए उनको पीट रही है, धमका रही है।