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वंशवादी दल संविधान निष्ठ लोगों के लिए चिंता का विषय: मोदी

वंशवादी दल संविधान निष्ठ लोगों के लिए चिंता का विषय: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान दिवस पर वंशवादी राजनीति की बात क्यों की? चुनावी फायदों के लिए या फिर प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार इससे लोकतंत्र को ख़तरा है?

संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों को जमकर कोसा। कोसा क्या, सीधे-सीधे कहें तो उन्हें लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताने की कोशिश की। संसद में संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार करने वाले विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'परिवार द्वारा संचालित पार्टियों' ने लोकतांत्रिक गुणों को खो दिया है और उनसे देश के लोकतंत्र की रक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक संकट की ओर बढ़ रहा है, जो लोकतंत्र की भावना में विश्वास रखने वालों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, 'जब कोई राजनीतिक दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो देता है, तो वह लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकता है? आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के कोने-कोने पर नज़र डालें, तो देश एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है जिससे संविधान का सम्मान करने वाले हर व्यक्ति को चिंता होनी चाहिए। राजनीतिक दल - परिवार के लिए पार्टी, परिवार द्वारा पार्टी...., और मुझे विस्तार से बताने की ज़रूरत नहीं है। यदि कोई पार्टी एक परिवार द्वारा कई पीढ़ियों तक चलाई जाती है, तो यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है... कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के राजनीतिक दलों को देखें।'

उन्होंने इसके आगे कहा कि 'यह संविधान के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है, जो संविधान हमें बताता है, उसके बिल्कुल विपरीत है।'

प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया है जब आने वाले शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक की है और सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों के साथ रणनीति बनाई है। उन विपक्षी दलों ने संविधान दिवस कार्यक्रम से खुद को दूर रखा।

वैसे, वंशवादी राजनीति का उदाहरण हर राजनीतिक दल में मिलता है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने वंशवाद की अपनी एक परिभाषा दी। उन्होंने कहा, 'वंशवाद की राजनीति से मेरा मतलब यह नहीं है कि एक परिवार के एक से अधिक सदस्य राजनीति में प्रवेश नहीं कर सकते। नहीं... क्षमता के आधार पर, लोगों के आशीर्वाद से, लोग राजनीति में शामिल हो सकते हैं। लेकिन अगर एक राजनीतिक दल - पीढ़ी पीढ़ी दर पीढ़ी - एक परिवार द्वारा चलाया जाता है, यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा बन जाता है।' यह सीधे तौर पर गांधी परिवार पर तीखा हमला था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2015 में भी उनकी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा था जब पहली बार संविधान दिवस मनाया गया था। उन्होंने कहा, 'आप ऐसा क्यों कर रहे हैं... क्या ज़रूरत है, उन्होंने पूछा था।' उन्होंने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा, 'यह दिन बीआर आंबेडकर को देश के लिए किए गए कार्यों के लिए सम्मान देने के लिए था।' 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा, 'बीजेपी के नेतृत्व वाली यह सरकार संविधान का सम्मान नहीं करती... वे संविधान के अनुसार शासन नहीं करते लेकिन संविधान दिवस मनाना चाहते हैं... यह एक जनसंपर्क कार्यक्रम है जिसे उन्होंने शुरू किया था।'

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