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मोदी का रोजगार मेलाः मुंह चिढ़ाते बेरोजगारी के आंकड़े

मोदी का रोजगार मेलाः मुंह चिढ़ाते बेरोजगारी के आंकड़े

प्रधानमंत्री मोदी ने आज शनिवार को 75000 युवकों को नौकरियों के नियुक्ति पत्र जारी किए। अगले डेढ़ साल में करीब दस लाख लोगों को ऐसे नियुक्ति पत्र मिलेंगे। इस इवेंट के पीछे क्या है, देश में बेरोजगारी की हालत क्या है। इन्हीं तथ्यों के संदर्भ में इस इवेंट पर यह रिपोर्टः

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार 22 अक्टूबर को उस समय रोजगार मेला लॉन्च किया है जब देश का युवा उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक सड़कों पर रोजगार के लिए आंदोलन चला रहा है। पीएम मोदी ने 75000 से ज्यादा लोगों को नियुक्ति पत्र दिये और अगले 18 महीनों यानी अगले डेढ़ साल में कुल 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया है। रोजगार मेले और इसके जरिए नौकरी देने की यह टाइमिंग महत्वपूर्ण है। बीजेपी चुनावी मोड में है। डेढ़ साल बाद 2024 का आम चुनाव है यानी मोदी और बीजेपी की साख पर अगला और मोदी के नेतृत्व में तीसरा चुनाव लड़ा जाने वाला है। ऐसे में 75000 नौकरियों के लिए मोदी के रोजगार मेला इवेंट के निहितार्थ को समझा जा सकता है। लेकिन अगर मोदी सरकार के वादों और बयानों पर नजर डालें तो ये इवेंट एक चुनावी इवेंट के अलावा कुछ नहीं है। 

पीएम मोदी ने शनिवार को इस मेले की शुरुआत में जो बोला, उस पर गौर फरमाइए। आगे हम उनके बयान की असलियत बताएंगे। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में देश में रोजगार और स्वरोजगार का जो अभियान चल रहा है, उसमें आज एक और महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ गई। आज का दिन भारत की युवा शक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले आठ वर्षों में लाखों नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। उनके भाषण की इन महत्वपूर्ण बातों के अलावा उन्होंने भारत के आर्थिक विकास पर ज्यादा बात की, आगे बेरोजगारी दूर करने का रोडमैप क्या होगा, उसका कोई विजन भाषण में नजर नहीं आया। 

सच क्या है

2014 में मोदी पीएम बने थे। तब उनकी पार्टी ने हर साल 2 करोड़ नौकरी का वादा किया गया था। इस वादे के दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं। पार्टी इसका खंडन नहीं कर सकती है। करीब 8 साल बाद यानी 2022 में मोदी सरकार ने संसद में बताया कि इन वर्षों में कुल 7.22 लाख नौकरियां दी गईं जबकि 22 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। इस तरह हर साल 1 लाख से भी कम औसत रूप से क़रीब 90 हज़ार लोगों को नौकरियाँ दी गई हैं। 22 करोड़ में से सिर्फ 7.22 लाख लोगों को नौकरी मिलना, मोदी सरकार की नाकामी का जीता जागता सबूत है।

चेतावनियां नजरन्दाज

मोदी सरकार को समय-समय पर उनके अपने सांसद और आरएसएस की ओर से बेरोजगारी को लेकर चेतावनी जारी की गई, लेकिन केंद्र सरकार उसे नजरन्दाज करती रही। बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने 28 जुलाई 2022 को संसद में पेश किए गए आंकड़े देते हुए बताया था कि जब देश में करीब एक करोड़ स्वीकृत पद खाली हैं और आप 8 वर्ष में सिर्फ 7 लाख को नौकरी दे पाए हैं। इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इन आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया  कि पिछले 8 वर्षों में मोदी सरकार प्रति 1000 लोगों में से सिर्फ 3 को नौकरी दे पाई।

आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने भी हाल ही में मोदी सरकार के लिए चेतावनी जारी की थी। इस महीने की शुरुआत में एक कार्यक्रम में संघ के इस महत्वपूर्ण नेता ने कहा - देश में ग़रीबी है। बेरोजगारी है। असमानता बढ़ रही है। देश के बड़े हिस्से को अभी भी न तो साफ़ पानी मिलता है और न ही पौष्टिक भोजन। 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो हमें बहुत दुखी करता है। 23 करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आय 375 रुपये से कम है। ...देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, श्रम बल सर्वेक्षण कहता है कि हमारे पास 7.6% की बेरोजगारी दर है। कम्युनिस्टों की तरह होसबोले ने देश में बढ़ती आर्थिक असमानता का भी जिक्र किया।

आरएसएस की मोदी सरकार के लिए यह चेतावनी तभी सामने आई जब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे को जोरशोर से उठाया। इससे पहले बीजेपी सरकार के तमाम मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री बेरोजगारी पर घड़ियाली आंसू या लीपापोती करते पाए गए।

रोजगार नहीं धर्म है महत्वपूर्ण

बीजेपी के छोटे नेता से लेकर बड़े नेता यानी प्रधानमंत्री तक इस मुद्दे पर बात करने की बजाय वे धार्मिक मुद्दे पर देश के युवकों का ध्यान बार-बार मोड़ रहे हैं। यूपी में बेरोजगारों की भरमार है। लेकिन कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी न किसी मंदिर में अनुष्ठान करते नजर न आते हों। ऐसे एक इवेंट पर कम से कम 5 से 10 लाख रुपये खर्च होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी अभी दो दिन पहले केदारनाथ में पूजा करने गए थे। इस इवेंट पर उत्तराखंड सरकार ने कई लाख रुपये खर्च किए। पीएम मोदी रविवार को अयोध्या में दीप उत्सव में भाग लेंगे। अयोध्या में हर साल दीवाली पर दीप उत्सव होता। इस बार चूंकि पीएम मोदी आ रहे हैं तो 17 लाख 50 हजार दीपक यूपी सरकार ने खरीदे हैं। इसमें 3500 लीटर सरसों का तेल खर्च होगा। यूपी सरकार ने इस इवेंट पर आने वाले खर्च का ब्यौरा अभी नहीं दिया है। 

यह सब बताने का आशय ये है कि एक तरफ जब लाखों घरों में पैसे के अभाव में दीवाली नहीं होगी, ऐसे में इतने बड़े इवेंट का आयोजन सरकार की गंभीरता को बताने के लिए काफी है। अगर सरकार के एजेंडे पर मुख्य रूप से बेरोजगारी दूर करने का विषय होता तो उसके इवेंट कुछ और होते। मात्र 75000 लोगों को नियुक्ति पत्र देकर बाकी 9.25 लाख से अगले डेढ़ साल  में नियुक्ति पत्र देने का वादा नहीं करना पड़ता।

बेरोजगार कर रहे हैं खुदकुशीः अभी अगस्त 2022 में नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट आई थी। जिसमें कई चौंकाने वाली बातें कही गईं थीं। एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2021 में खुदकुशी करने वालों में या तो दैनिक वेतन भोगी (डेली अर्नर्स)  या अपना काम धंधा करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी। 11,724 बेरोजगार लोगों ने 2021 में जान दी है। खुदकुशी करने वालों की तादाद 2021 में पहले के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा है। यानी 2020 के लॉकडाउन में लोगों पर जो संकट आया था, उससे लोग उबरे लेकिन 2021 में खुदकुशियां ज्यादा हुईं। 

पीएम मोदी ने आज शनिवार को अपने भाषण में जिस स्वरोजगार की बात कही, उनमें लगे लोगों की आत्महत्या का आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि पकौड़ा तलने को बेशक आप स्वरोजगार मानें लेकिन उससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल होता है। एनसीआरबी के मुताबिक 2020 में 17,332 ऐसे लोगों ने खुदकुशी की जो स्वरोजगार में लगे थे। 2021 में ऐसे ही लोगों की खुदकुशी का आंकड़ा 20,231 जा पहुंचा है। 2022 की रिपोर्ट अभी आई नहीं है। एनसीआरबी की रिपोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया था कि जो लोग साल में एक लाख रुपये से कम कमा रहे हैं, उनमें खुदकुशी ज्यादा देखी गई। इस तरह देखा जा सकता है कि पिछले 8 वर्षों में स्वरोजगार में भी लगे लोगों की खुदकुशी बढ़ रही है। इसकी वजह आमतौर पर वही नोटबंदी बताई गई है।    

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