COP28: दुबई पहुंचे पीएम; जहरीली हवा सुधारने पर बात बनेगी?
जलवायु परिवर्तन पर क्या इस बार ठोस क़दम उठाए जा सकेंगे? दुनिया भर के देश फिर से जुट रहे हैं। पीएम मोदी भी इसमें शामिल होने के लिए दुबई पहुँचे हैं। समझा जाता है कि कोयले पर भारत की निर्भरता पर भी चर्चा की जा सकती है। दुनिया भर के सबसे ज़्यादा प्रदूषण फैलाने वाले अमेरिका और चीन जैसे देशों के प्रदूषण कम करने पर तो चर्चा होगी ही।
दरअसल, ये सब देश जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (सीओपी28) के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए जुट रहे हैं। ये इसलिए इकट्ठा हो रहे हैं कि दुनिया भर में प्रदूषण यानी ख़राब होती हवा का असर तापमान पर पड़ रहा है। हवा में कार्बन डाइऑक्साइड जैसे गैसों की मात्रा बढ़ रही है और इसको संतुलन बनाए रखने में अहम योगदान देने वाले पेड़ों की कटाई हो रही है। नतीजा सामने है। तापमान बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
Landed in Dubai to take part in the COP-28 Summit. Looking forward to the proceedings of the Summit, which are aimed at creating a better planet. pic.twitter.com/jnHVDwtSeZ
— Narendra Modi (@narendramodi) November 30, 2023
जलवायु परिवर्तन का असर यह हो रहा है कि मौसम अनपेक्षित हो गया है। कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ का कहर है। सर्दी पड़ रही है तो ऐसी कि रिकॉर्ड ही टूट रहे हैं। गर्मी भी ऐसी पड़ रही है कि पूरी दुनिया इसका असर महसूस कर रही है। हाल ही में इंग्लैंड सहित कई यूरोपीय देशों ने भीषण गर्मी झेली। कई ऐसी रिपोर्टें आई हैं जिनमें कहा गया है कि अगले कुछ दशकों में तापमान इतना बढ़ जाएगा कि यह असहनीय हो जाएगा और बड़े-बड़े ग्लेशियर पिघल जाएँगे। फिर तटीय इलाकों के डूबने का ख़तरा भी है।
बहरहाल, इसी जलवायु परिवर्तन पर बात करने के लिए दुनिया भर के नेता इकट्ठे हो रहे हैं। गुरुवार से शुरू हुआ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28वां संस्करण 12 दिसंबर तक चलेगा। पीएम मोदी 2015 में पेरिस और 2021 में ग्लासगो की अपनी यात्रा के बाद तीसरी बार विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। शुक्रवार को COP28 बैठक के उच्च-स्तरीय खंड में 140 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों या सरकारों के प्रमुखों के शामिल होने की उम्मीद है।
मुख्य एजेंडा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में प्रगति की समीक्षा करना है। इसमें देशों द्वारा उठाए जा रहे क़दमों को और मजबूत करने के उपायों पर निर्णय लेना है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर चर्चा की जानी है। भारत में भी कोयले पर निर्भरता को लेकर चर्चा होती रही है।
पहले भारत ने जोर देकर कहा था कि यह बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर अपनी निर्भरता को जल्द ही छोड़ने की स्थिति में नहीं है। हालाँकि भारत हरित ऊर्जा में सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति में तेजी से वृद्धि कर रहा है। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'कोयला भारत के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और रहेगा, यह हमेशा से रहा है, क्योंकि हम अपने देश में अपनी विकासात्मक प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।'
बड़े कोष की घोषणा
दुबई में COP28 जलवायु सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर कमजोर देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने में मदद करने के लिए एक हानि और क्षति कोष आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया है। प्रारंभिक फंडिंग $475 मिलियन होने का अनुमान है। संयुक्त अरब अमीरात ने $100 मिलियन का वादा किया, यूरोपीय संघ ने $275 मिलियन, अमेरिका से $17.5 मिलियन और जापान से $10 मिलियन का वादा किया गया है। हानि और क्षति निधि की घोषणा पहली बार पिछले साल मिस्र के शर्म अल-शेख में COP27 के दौरान की गई थी।