पीएम मोदी ने 51000 नियुक्ति पत्र बांटे, लेकिन सच तो कुछ और है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रोजगार मेले के तहत सरकारी विभागों और संगठनों में नए भर्ती हुए लोगों को 51,000 नियुक्ति पत्र वितरित किए। पीएम मोदी ने रंगरूटों को 'अमृत रक्षक' कहा। कुछ दिनों से पीएम मोदी लगातार रोज़गार मेले के ज़रिए नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं।इनसे ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत में रोज़गार देने में पीएम मोदी नई पहल कर रहे हैं और देश से बेरोज़गारी ख़त्म हो जाएगी। लेकिन हक़ीक़त इसके विपरीत है।
पीएम मोदी ने अभी तक जो नियुक्ति पत्र बांटे हैं, उसके आंकड़ों से पता चलता है कि रोज़गार मेला कार्यक्रमों में नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले सभी लोग नए नौकरी लेने वाले नहीं थे। रोजगार मेलों का अधिकतम प्रचार तय करने के मकसद से इस तरीके को सावधानीपूर्वक चुना गया। तमाम दावों के बावजूद केंद्र सरकार बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा करने में बुरी तरह विफल रहा है। जबकि ऐसे कार्यक्रमों से यह ध्वनि निकल रही है कि पीएम मोदी रोजगार बांट रहे हैं।
द टेलीग्राफ ने आरटीआई के जरिए प्राप्त सूचना के आधार पर एक रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट की जानकारी के अनुसार, प्रमोशन (पदोन्नति) के जरिए उच्च पदों पर नियुक्तियों को भी रोजगार डेटा में शामिल किया गया है। प्रधान मंत्री मोदी द्वारा संबोधित रोजगार मेला कार्यक्रमों में सरकारी विभागों और स्वायत्त निकायों को शामिल करने वाले नियुक्ति पत्र वितरित किए जाते हैं। कार्यक्रम 45 शहरों में आयोजित किए जाते हैं। लेकिन केंद्र यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहा है कि ऐसी सभी नियुक्तियाँ नई भर्तियाँ हैं।
13 अप्रैल, 2023 को सरकार द्वारा संचालित प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा जारी एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया था: “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (13 अप्रैल) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय रोजगार मेले को संबोधित किया। उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों में नवनियुक्त भर्तियों को लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र वितरित किए। पीआईबी की इस मीडिया रिलीज से साफ है कि सरकार की मंशा क्या है। रोज़गार मेलों के हर राउंड के बाद जारी मीडिया विज्ञप्ति में पत्र प्राप्तकर्ताओं को नव नियुक्त व्यक्ति या नव शामिल भर्तीकर्ता के रूप में संदर्भित किया गया है।
द टेलीग्राफ ने आरटीआई के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से अक्टूबर 2022 से महीने में एक बार आयोजित होने वाले रोजगार मेलों के हर राउंड के तहत की गई नई और पदोन्नति नियुक्तियों पर डेटा प्रदान करने का अनुरोध किया। कुछ केंद्रीय शिक्षा संस्थानों ने नई नियुक्तियों और पदोन्नति पर अलग-अलग डेटा प्रदान किया है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), मोहाली द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल में संस्थान ने 15 नई नियुक्तियां कीं और 21 प्रमोशन को मंजूरी दी। रोजगार मेला आयोजनों के दौरान उम्मीदवारों को पत्र जारी किए गए थे। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी ने अप्रैल में अपने जवाब में कहा कि 38 लोगों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। 38 में 18 प्रमोशन के मामले शामिल हैं।
द टेलीग्राफ ने रोजगार डेटा में पदोन्नति को शामिल करने के औचित्य को समझने के लिए केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव संजय मूर्ति को एक ईमेल भेजा। लेकिन एक हफ्ता होने जा रहा है, उनके जवाब का इंतजार है। आईआईटी के एक फैकल्टी मेंबर ने कहा कि नई नियुक्तियों का मतलब आदर्श रूप से जॉब पूल में नई नियुक्तियां होना चाहिए। उन्होंने कहा कि “पदोन्नति पाने वाले लोग पहले से ही सेवा में हैं। बस उनकी स्थिति बदल जाती है। इन्हें नया रोजगार मानने का कोई तर्क नहीं है। प्रमोशन डेटा को शामिल करने से सरकार को कुछ रिकॉर्ड बनाने में मदद मिलती है लेकिन यह भ्रामक है।” इसके उलट पीआईबी की मीडिया रिलीज पदोन्नति पाने वालों को भी नए रोजगार वाले लोगों के आंकड़े में शामिल कर रही है।
रोज़गार मेलों के लिए, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने रोजगार मेलों के लिए एक विस्तृत प्रोटोकॉल तैयार किया है। वो प्रोटोकॉल हर बार रोजगार मेले में लागू होता है। जैसे 13 अप्रैल 2023 के रोजगार मेले के लिए डीओपीटी ने आदेश दिया था- सुबह 10.30 बजे प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए रोजगार मेले को संबोधित करेंगे। उम्मीदवारों सहित सभी आमंत्रित लोगों को निर्धारित समय से 90 मिनट पहले सुबह 9 बजे तक कार्यक्रम स्थल पर रिपोर्ट करना होगा। प्रोटोकॉल में कहा गया है कि कार्यक्रम के बाद प्रचार के लिए स्थानीय दूरदर्शन स्टेशन, ऑल इंडिया रेडियो और पीआईबी के साथ समन्वय किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि स्थानीय कार्यक्रम स्थल की क्षमता के अनुरूप विशाल स्क्रीन पर प्रधानमंत्री के संबोधन के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जानी चाहिए। कार्यक्रम स्थल पर कार्यक्रम सुबह 9.45 बजे शुरू हो जाए। नामित गणमान्य व्यक्ति का स्वागत किया जाना चाहिए और राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों पर फिलर्स को स्क्रीन पर तब तक चलाया जाना चाहिए जब तक कि प्रधानमंत्री वीडियो के माध्यम से कार्यक्रमों में शामिल न हो जाएं। गणमान्य व्यक्ति कम से कम 25 उम्मीदवारों को शारीरिक रूप से नियुक्ति आदेश सौंपेंगे। कार्यक्रम के बाद प्रोटोकॉल में कहा गया है, "गणमान्य व्यक्तियों के साथ तस्वीरें लेने और नए नियुक्त लोगों से साउंड बाइट्स लेने की व्यवस्था की जानी चाहिए।"
प्रोटोकॉल में कहा गया है कि नवनियुक्त उम्मीदवारों की बाइट रिकॉर्ड करते समय, उनसे अपने नाम और पद का उल्लेख करने और उनकी अपेक्षित भूमिका के बारे में एक संदेश देने के लिए कहा जाना चाहिए। इसे उच्च रिज़ॉल्यूशन में रिकॉर्ड किया जाना चाहिए। सेल्फी पॉइंट स्थापित किए जाएं और सेल्फी कटआउट के माध्यम से उम्मीदवारों की तस्वीरें उनके नाम और पदनाम के साथ दर्ज किए जाएं। पत्र वितरित होने के बाद नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की समूह तस्वीरें ली जानी चाहिए। प्रोटोकॉल में कहा गया है कि संपूर्ण फुटेज/रिकॉर्डिंग को स्थल-वार बताया जाना चाहिए और हार्ड ड्राइव और Google ड्राइव के जरिए डीओपीटी को सौंप दिया जाना चाहिए।
इस प्रोटोकॉल से ही साफ है कि केंद्र सरकार का मकसद इन रोजगार मेलों के जरिए सरकार का प्रचार करना है। इससे पीएम मोदी की छवि भी शानदार तरीके से पेश हो सकेगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर जबरदस्त हमला बोला। जयराम रमेश ने कहा- हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के अपने वादे को पूरा करने में फेल होने के बाद। नोटबंदी, गलत ढंग से डिज़ाइन की गई GST और बिना किसी तैयारी के अचानक लॉकडाउन से MSME सेक्टर को बर्बाद करने के बाद। 9 वर्षों से अधिक समय तक युवाओं की आशा और आकांक्षा को धोखा देने के बाद, प्रधानमंत्री चुनावी वर्ष में असहज स्थिति में है। अपनी बिगड़ती छवि को बचाने के लिए, वह सबसे बड़े जुमलों में से एक - PM रोज़गार मेला लेकर आए हैं।
After failing to fulfill his grand promise of creating 2 crore jobs per year.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 28, 2023
After destroying the MSME sector with demonetisation, a badly designed GST and an ill-planned sudden lockdown.
After betraying the hope of aspirational youth for more than 9 years, the Prime…
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे सिलसिलेवार प्वाइंट्स में पेश किया। उन्होंने कहा- 1. रोज़गार मेलों में जो नौकरियां मिल रही हैं, वो पहले से ही स्वीकृत पदों पर मिल रही हैं, जिन्हें प्रशासनिक या वित्तीय कारणों से वर्षों से नहीं भरा गया था। 2. बहुत बड़ी संख्या में प्रमोशन के मामलों में भी प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं। 3. इन मेलों के माध्यम से जो हो रहा है, वो शासन का व्यक्तिगत इस्तेमाल है। ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे ये रूटीन नौकरियां प्रधानमंत्री की वजह से मिल रही हैं। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। रोजगार सृजन आर्थिक विकास से होता है, जिसके लिए भरपूर निवेश की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री रोज़गार मेला सिर्फ़ एक नौटंकी है। ये असीम और अद्वितीय अहंकार, घमंड, आत्म-मुग्धता के साथ-साथ बेरोज़गारी की गंभीर स्थिति के लिए ज़िम्मेदारी स्वीकार करने से इंकार करने का एक और प्रमाण है।