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विपक्ष के संविधान वाले नैरेटिव का मुक़ाबला 'आपातकाल' से कर रहे मोदी?

विपक्ष के संविधान वाले नैरेटिव का मुक़ाबला 'आपातकाल' से कर रहे मोदी?

लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान का मुद्दा बनाया था और सांसद के रूप में पीएम मोदी के शपथ लेने के दौरान भी। तो क्या विपक्ष के इसी नैरेटिव से मुक़ाबला करने के लिए पीएम मोदी ने 'आपातकाल' नैरेटिव का इस्तेमाल किया है। 

विपक्षी इंडिया गठबंधन और पीएम मोदी की बीजेपी के बीच अब 'संविधान' बनाम 'आपातकाल' के नैरेटिव की लड़ाई हो गई है। पीएम मोदी ने मंगलवार को 49 साल पहले लगाए गए आपातकाल के लिए कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा कि जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया था वह 'उसी पार्टी में बहुत ज़्यादा मौजूद है'। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस को संविधान के प्रति प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। पीएम मोदी का यह हमला तब आया है जब एक दिन पहले सोमवार को ही सांसद के रूप में पीएम मोदी के शपथ के दौरान विपक्ष ने हाथों में संविधान लहराया था और कहा था कि वे संविधान की रक्षा किसी भी क़ीमत पर करेंगे।

लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक कई पोस्ट में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंदा, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह उसी पार्टी में बहुत ज़्यादा मौजूद है, जिसने इसे लगाया था। वे अपने दिखावे के ज़रिए संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देख लिया है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार नकार दिया है।' 

उन्होंने लिखा, 'जिन्होंने आपातकाल लगाया, उन्हें हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम का इजहार करने का कोई अधिकार नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि "ये वही लोग हैं जिन्होंने अनगिनत मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाया, प्रेस की स्वतंत्रता को ख़त्म करने के लिए विधेयक पारित किया, संघवाद को नष्ट किया और संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया।'

प्रधानमंत्री ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने सत्ता पर काबिज रहने के लिए हर लोकतांत्रिक सिद्धांत का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस से असहमत होने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित किया गया और परेशान किया गया। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए सामाजिक रूप से विपरीत नीतियाँ लागू की गईं।' 

आपातकाल की घोषणा 24-25 जून, 1975 की मध्यरात्रि को की गई थी। उस समय कई तरह की ज्यादतियाँ सामने आईं। तब अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फ़र्नांडीज़ और जय प्रकाश नारायणन सहित सभी प्रमुख विपक्षी नेता या तो जेल में थे या हिरासत में थे।

मोदी के शपथ के वक़्त हाथ में संविधान क्यों?

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को लोकसभा में जब सांसद के रूप में शपथ ले रहे थे तो विपक्षी सांसद हाथों में संविधान की कॉपी लहरा रहे थे। विपक्षी सांसदों द्वारा ऐसा किए जाने के पीछे क्या वजह थी, इसका जवाब राहुल गांधी ने दिया है।

संसद से बाहर निकले राहुल गांधी से जब पत्रकारों ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संविधान पर हमला कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि यह विपक्ष के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे, इसलिए हमने शपथ लेते समय संविधान को हाथ में लिया। उन्होंने कहा कि कोई भी शक्ति संविधान को नहीं छू सकती। 

10 साल से अघोषित इमरजेंसी: खड़गे

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 1975 में लगाए गए आपातकाल को याद किया था तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि मोदी लगातार आपातकाल का जिक्र कर कब तक शासन करने का इरादा रखते हैं। उन्होंने कहा था, 'आप इसे 100 बार दोहराएंगे। आपातकाल घोषित किए बिना आप इस तरह से कार्य कर रहे हैं। इसे सामने लाकर आप कब तक शासन करने की योजना बना रहे हैं?'

 - Satya Hindi

खड़गे ने कहा कि 'देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने घिसेपिटे शब्द आज ज़रूरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया। 

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने मोदी से कहा- मोदी जी, आप विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं। 50 साल पुरानी इमरजेंसी की याद दिला रहे हैं, पिछले 10 साल की अघोषित इमरजेंसी को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया। लोगों ने मोदी जी के ख़िलाफ़ जनमत दिया है। इसके बावजूद अगर वो प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए।

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