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पीएम केयर्स फंडः कोर्ट ने कहा- इतना खास मुद्दा और हलफनामा सिर्फ 1 पेज का!

पीएम केयर्स फंडः कोर्ट ने कहा- इतना खास मुद्दा और हलफनामा सिर्फ 1 पेज का!

पीएम केयर्स फंड मामले की मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई थी। अदालत में सिर्फ 1 पेज का हलफनामा पेश करने पर चीफ जस्टिस की बेंच नाराज हो गई। उसने बहुत कुछ कहा। पढ़िए और जानिए।

पीएम केयर्स फंड को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत "राज्य" घोषित करने की मांग वाली याचिका के जवाब में दाखिल एफिडेविट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को हैरानी जताई।

लाइव लॉ के मुताबिक हाईकोर्ट ने मंगलवार को पीएमओ सचिव को एक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा- यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा था जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने मामले में पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट की ओर से पहले दायर एक पेज के हलफनामे पर नाखुशी जताई। पीठ ने कहा कि याचिका में उठाई गई चिंताओं को सही ठहराने के लिए हलफनामा पर्याप्त विस्तृत नहीं था।

प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव ने हलफनामे में कहा कि PM CARES ट्रस्ट के कामकाज में केंद्र सरकार या राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा- 

यह इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है और केवल एक पृष्ठ का हलफनामा दायर किया गया है। इस जवाब में कुछ कानाफूसी तक नहीं है। उचित जवाब दाखिल करें। मसला इतना आसान नहीं है। हमें एक विस्तृत जवाब की जरूरत है।


- दिल्ली हाईकोर्ट, पीएम केयर्स फंड पर मंगलवार को

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय भी दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि उसे याचिका में उठाए गए हर बिंदु पर एक विस्तृत आदेश पारित करना होगा।

पीठ अब इस मामले की सुनवाई 16 सितंबर को करेगी।

याचिकाकर्ता के तर्क

जनहित याचिका याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल के लिए बहस करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि फंड भारत के संविधान के अर्थ में राज्य के अलावा और कुछ नहीं है और संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा बनाए गए किसी भी फंड को भारत के संविधान से अनुबंधित नहीं किया जा सकता है। दीवान ने कहा: आप एक संरचना बना सकते हैं लेकिन आप संविधान से छूट का दावा नहीं कर सकते।

दीवान ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री किसी संस्थान को बसाना चाहते हैं, तो वह ऐसा कर सकते हैं, हालांकि, यह राज्य की छत्रछाया में होना चाहिए। दीवान ने तर्क दिया कि फंड सुशासन के लिए विनाशकारी है और भविष्य में कई समस्याएं पैदा कर सकता है।

पीएम केयर्स फंड पहले दिन से ही विवादों से घिरा हुआ है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के होने के बावजूद एक नया फंड बनाने के औचित्य पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इन सवालों के संतोषजनक उत्तर मोदी सरकार की तरफ़ से नहीं आए हैं। पीएम केयर्स फंड 28 मार्च 2020 को शुरू किया गया था और कहा गया था कि ये कोरोना महामारी से निपटने और इसी तरह के कामों के लिए बनाया गया है। लेकिन जिस तरह से इसे बनाया गया था, उससे ही संदेह पैदा हो गए थे कि आख़िर इसका मुख्य उद्देश्य क्या है।

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