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बंगाल: सांप्रदायिकता के आरोप झेल रहे आईएसएफ़ ने ऐसे चौंकाया!

बंगाल: सांप्रदायिकता के आरोप झेल रहे आईएसएफ़ ने ऐसे चौंकाया!

पश्चिम बंगाल चुनाव में विपक्षी दलों से सांप्रदायिक होने के आरोपों का सामना कर रहे इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानी आईएसएफ़ ने अपने उम्मीदवारों की सूची से चौंका दिया है।

पश्चिम बंगाल चुनाव में विपक्षी दलों से सांप्रदायिक होने के आरोपों का सामना कर रहे इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानी आईएसएफ़ ने अपने उम्मीदवारों की सूची से चौंका दिया है। अब्बास सिद्दीक़ी के नेतृत्व वाले आईएसएफ़ ने अलग-अलग क्षेत्रों और जातियों से ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं जिनमें उच्च जाति के हिंदू, दलित और आदिवासी भी शामिल हैं। 

अब्बास सिद्दीक़ी की आलोचना यह कहकर भी की जाती रही है कि धार्मिक गुरु का राजनीति में क्या काम है। इसी कारण यह संदेश जा रहा था कि वह अधिकतर मुसलिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं।

अब्बास सिद्दीकी का परिवार फुरफुरा शरीफ स्थित हजरत अबु बकर सिद्दीकी और उनके पाँच बेटों की मजार की देख रेख करता आया है। मौजूदा समय में इसके कर्ता-धर्ता अब्बास सिद्दीकी हैं। वह फुरफरा शरीफ के पीरजादा हैं। आसान भाषा में कहें तो पीरजादा का मतलब होता है मुसलिम धर्मगुरु की संतान।

अब्बास सिद्दीकी तब चर्चा में आए थे जब 28 फ़रवरी को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई रैली में वह मंच पर आए। वह रैली कांग्रेस और सीपीएम के साथ थी और सिद्दीक़ी भी उसमें शामिल थे। 

जब अब्बास सिद्दीक़ी मंच पर आए थे तो उनकी विचारधारा की चर्चा होने लगी। अब्बास सिद्दीकी की धर्मनिरपेक्ष छवि पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सवाल खड़े किए थे। हालाँकि कांग्रेस के दूसरे कई नेता उनके समर्थन में आए। तृणमूल पार्टी के नेता ने भी उनकी धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए। 

लेकिन अब आईएसएफ़ की उम्मीदवारों की जो पहली सूची आई है उसमें उसने अपने विरोधियों को ग़लत साबित करने की कोशिश की है।

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, आईएसएफ़ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमारी सूची के आधार पर हम कह रहे हैं कि हम सांप्रदायिक नहीं हैं। हम सभी पिछड़े लोगों के लिए लड़ रहे हैं और हमारे उम्मीदवारों की सूची यह दर्शाती है। हम इसे बनाए रखेंगे।'

आईएसएफ़ की सूची में उम्मीदवार

आईएसएफ़ ने रायपुर (एसटी) से मिलन मंडी, महिसादल से बिक्रम चटर्जी, चद्रकोना (एससी) से गोरंगा दास, कुलपी से सिराजुद्दीन गाजी, मंदिर बाजार (एससी) से डॉ. सांचे सरकार, जगतबालवपुर से एडवोकेट एसके शब्बीर अहमद, हरिपाल से सिमोल सोरेन, खानकुल से फैसल खान, मेटियाब्रुज से नुरुज्जमन, पंचला से मुहम्मद जलील, उलुबेरिया (पूरबो) से अब्बासुद्दीन खान, राणाघाट उत्तर पूरबो (एससी) से दिनेश चंद्र विश्वास, कृष्णगंज (एससी) से अनूप मोंडल, बसिरहाट उत्तर से पीरजादा बैजिद, संदेश खली (एसटी) से बरुण महतो, छपरा से कंचन मैत्री, अशोकनगर से तापस चक्रवर्ती, अमडंगा से जमालुद्दीन, आसनसोल (उत्तर) से मुहम्मद मुस्तकीम और एंटल्ली से प्रोफेसर मुहम्मद इक़बाल आलम को चुनाव में उतारा है। 

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार सीपीएम के एक नेता ने कहा कि सूची साफ़ तौर पर दिखाती है कि आईएसएफ़ सांप्रदायिक नहीं है और उसके नेता आम आदमी व पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि तृणमूल के फिरहाद हकीम ने अब्बास सिद्दीकी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि दिक्कत यह नहीं है कि किनको टिकट दे रहे हैं, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में जब धार्मिक गुरु आने लगें तो यह नुक़सान दायक होता है। 

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