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पिंजड़ा तोड़ की देवांगना कलिता को ज़मानत, हेट स्पीच का सबूत नहीं

पिंजड़ा तोड़ की देवांगना कलिता को ज़मानत, हेट स्पीच का सबूत नहीं

पिंजड़ा तोड़ आन्दोलन की कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा देवांगना कलिता को दिल्ली में हिंसा फैलाने के मामले में ज़मानत मिल गई है। 

पिंजड़ा तोड़ आन्दोलन की कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा देवांगना कलिता को दिल्ली में हिंसा फैलाने के मामले में ज़मानत मिल गई है। लेकिन पुलिस ने एक दूसरे मामले में उन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेन्शन एक्ट यानी यूएपीए के तहत मामला दर्ज कर रखा है। लिहाज़ा, कलिता तुरन्त जेल से बाहर नहीं आ पाएंगी। वह मई के अंतिम हफ़्ते से ही जेल में हैं। 

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फ़ैसले में कहा कि 'दिल्ली पुलिस ऐसा कोई सबूत पेश करने में नाकाम रही, जिससे यह साबित होता हो कि देवांगना ने एक समुदाय विशेष के लोगों को दंगे के लिए भड़काया या उन्होंने नफ़रत फैलाने वाला कोई भाषण दिया।'

जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने ज़मानत देते हुए कहा कि इससे कलिता को 'अनावश्यक उत्पीड़न, अपमान और अनुचित क़ैद से छुटकारा मिलेगा।'

आरोप क्या हैं?

दिल्ली पुलिस ने कलिता पर यह आरोप लगाया था कि जब लोग जफ़राबाद मेट्रो स्टेशन पर समान नागरिकता क़ानून और नैशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे तो कलिता वहां मौजूद थीं और लोगों को उकसाया था। पुलिस ने कहा था, 'कलिता जफ़राबाद मेट्रो स्टेशन पर छह फ़ुटा रोड के पास स्वयं मौजूद थीं, वह 22.02.2020 को सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक जब सारे उग्र लोग वहां से चले नहीं गए, वहीं थीं।'

पुलिस का कहना था, '5 जनवरी 2020 का एक वीडियो क्लिप है जिसमें देवांगना कलिता सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ भाषण देती दिख रही हैं। इसके अलावा उनके ट्विटर के वीडियो लिंक से भी यह पता चलता है कि वह 23 फरवरी 2020 को वहां मौजूद थीं।'

अभी रहना होगा जेल में

लेकिन इस फ़ैसले से देवांगना कलिता जेल से तुरन्त नहीं छूट जाएंगी। दिल्ली पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ अनलॉफुल एक्टीविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट के तहत एक और मामला दर्ज कर लिया है। इसमें दिल्ली दंगों के लिए साजिश रचने का आरोप उन पर लगाया गया है। इसकी ज़मानत याचिका एक निचली अदालत से खारिज हो चुकी है। इससे जुड़े दो अलग-अलग मामलों में देवांगना कलिता को ज़मानत मिल चुकी है।

उनकी पैरवी करते हुए कपिल सिब्बल ने इसके पहले कहा था कि देवांगना के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर पहले से दर्ज है। एक ही मामले में कई एफ़आईआर दर्ज नहीं किए जा सकते हैं।

अदालत ने अपने फ़ैसले में यह भी कहा है कि पुलिस इसका कोई सबूत नहीं दे पाई है कि देवांगना ने एक ख़ास समुदाय की महिलाओं को उकसाया था या किसी समुदाय के प्रति नफ़रत फैलाने वाला बयान दिया था।

हेट स्पीच नहीं

बता दें कि इसके पहले की एक सुनवाई के दौरान जस्टिस कैत ने एडिशनल सॉलीसिटर जनरल एस. वी. राजू से बार-बार पूछा कि क्या ज़फ़राबाद में दिए गए कलिता के भाषण या उसके किसी हिस्से का वीडियो उनके पास है।

राजू ने कहा था कि 'कलिता दिसंबर 2019 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाक़ों में कई बार गईं, वहां की अशिक्षित महिलाओं को सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ भड़काया और नफ़रत फैलाने वाली स्पीचें दीं। उन्होंने कहा कि पहले मुसलमानों को काग़ज़ात दिखाने को कहा जाएगा, फिर उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाएगा।'

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