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न्यायपालिका पर टिप्पणी के लिए उपराष्ट्रपति, कानून मंत्री के खिलाफ PIL

न्यायपालिका पर टिप्पणी के लिए उपराष्ट्रपति, कानून मंत्री के खिलाफ PIL

संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के द्वारा इस तरह का अशोभनीय व्यवहार, जनता की नजर में सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को कम करता है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू कॉलेजियम, न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ लगातार सार्वजनिक बयान दे रहे हैं। अब उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका  (पीआईएल) दायर की गई है।

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अहमद आब्दी के माध्यम से दायर की गई इस याचिका में संविधान के तहत उपलब्ध किसी भी प्रावधान का उपयोग किए बिना न्यायपालिका पर "सबसे अपमानजनक और अपमानजनक भाषा" में शुरू किए गए "हमले" पर आपत्ति जताई है।

दायर याचिका में कहा गया है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे दो व्यक्तियों के इस तरह के आचरण ने उच्चतम न्यायालय की प्रतिष्ठा को सार्वजनिक रूप से कम किया है।

उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री कॉलेजियम प्रणाली के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के सिद्धांत पर सार्वजनिक मंचों से खुलेआम हमला कर रहे हैं। संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के द्वारा इस तरह का अशोभनीय व्यवहार, जनता की नजर में सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को कम करता है।

याचिका में पिछले दिनों की कई घटनाओं को भी उल्लेख किया गया है, जब जगदीप धनखड़ और किरण रिजिजू ने कथित तौर पर पूरी छूट के साथ संविधान पर हमला किया।

वकील एकनाथ ढोकाले के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि दोनों व्यक्तियों ने संविधान में अपनी आस्था की कमी को व्यक्त किया है। जिसकी वजह से किसी भी संवैधानिक पद पर रहने के लिए खुद को ही अयोग्य घोषित करते हैं।

इसलिए अदालत से अनुरोध किया कि धनखड़ को उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने और रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के लिए आदेश पारित किया जाए। जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना बाकी है।

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