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कांग्रेस को झटका, त्रिपुरा के कार्यकारी अध्यक्ष ने पार्टी और राजनीति छोड़ी

कांग्रेस को झटका, त्रिपुरा के कार्यकारी अध्यक्ष ने पार्टी और राजनीति छोड़ी

पीयूष कांति विश्वास ने कहा है कि वे राजनीति से भी रिटायर हो रहे हैं। लेकिन उनके टीएमसी में जाने की अटकलें लग रही हैं। बीते सोमवार को असम से आने वालीं सुष्मिता देव ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। 

कांग्रेस को पूर्वोत्तर में एक और झटका लगा है। पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष पीयूष कांति विश्वास ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि वे राजनीति से भी रिटायर हो रहे हैं। लेकिन उनके टीएमसी में जाने की अटकलें लग रही हैं। बीते सोमवार को असम से आने वालीं सुष्मिता देव ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। 

सुष्मिता देव अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर थीं। सुष्मिता को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने टीएमसी में शामिल किया था। 

विश्वास ने इस्तीफ़े के बारे में ट्विटर पर जानकारी दी है। इसमें उन्होंने कांग्रेस के सभी नेताओं का उन्हें सहयोग देने के लिए शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आभार व्यक्त किया है। 

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सुष्मिता देव ने विश्वास को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं और कहा है कि उनका कार्यकाल कठिन था। हालांकि विश्वास ने लिखा है कि वे राजनीति से रिटायर हो रहे हैं लेकिन सुष्मिता देव के उन्हें शुभकामनाएं देने से अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है। 

जानकारों के मुताबिक़, विश्वास सुष्मिता देव के नज़दीकी रहे हैं और ऐसे में उनके टीएमसी में जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। 

सियासी विस्तार में जुटीं ममता 

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद ममता अब टीएमसी का विस्तार करना चाहती हैं। ममता की कोशिश बंगाल के बाहर भी पार्टी का मजबूत कैडर खड़ा करने की है और इसके संकेत वह बीते दिनों में कई बार दे चुकी हैं। ममता 2023 के मार्च में होने वाले त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना चाहती हैं। इसके साथ ही वह असम सहित कई और राज्यों में भी दूसरे दलों से मजबूत लोगों को लाकर पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा करना चाहती हैं। 

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झटके पर झटका

उधर, कांग्रेस को एक के बाद एक जोरदार झटके लग रहे हैं। पिछले कुछ सालों में एसएम कृष्णा, सोनिया गांधी के क़रीबी रहे टॉम वडक्कन, रीता बहुगुणा जोशी, जगदंबिका पाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर अशोक तंवर, जितिन प्रसाद सहित कई नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं। इसके अलावा कई राज्यों में कांग्रेस के विधायकों ने बग़ावत की है, जिससे पार्टी की सरकार की वहां से विदाई हुई है। 

मिलिंद देवड़ा, संदीप दीक्षित, सचिन पायलट जैसे कई नेता हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि पार्टी हाईकमान उनकी बात नहीं सुनता और वे भी लगातार नाराज़गी जताते रहते हैं। 

नेतृत्व का संकट बरकरार

कांग्रेस में नेतृत्व का संकट कब हल होगा, ये सवाल ऐसा है जिसे पार्टी आलाकमान लंबे समय से टालता जा रहा है। काफी समय से पार्टी के वरिष्ठ नेता मुखर होकर यह सवाल उठा चुके हैं लेकिन इस मामले के साथ ही पार्टी में आंतरिक चुनाव की मांग के मुद्दे पर भी कोई फ़ैसला नहीं हो सका है। पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था सीडब्ल्यूसी में भी पारदर्शी ढंग से चुनाव चाहते हैं।

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